पटना : बिहार में नौका परिचालन के अंग्रेज के जमाने के पुराने कानून को अब खत्म कर दिया गया है. नौका परिचालन का जिम्मा अब निकायों को दे दिया गया है. इससे संबंधित एक्ट भी मंगलवार को विधानसभा से पास करा दिया गया है. बिहार में अभी 138 साल पुराने कानून बंगाल फेरी अधिनियम 1985 के अनुसार ही नौका का परिचालन किया जा रहा था.
सुरक्षा होगी पुख्ता : इस एक्ट के लागू हो जाने से अब सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और नदियों में नाव के परिचालन में भी मनमानी रुकेगी. ओवरलोडिंग के कारण दुर्घटना लगातार होती रही है, तो उस पर भी रोक लग सकेगा. बिना लाइसेंस के जर्जर नाव का परिचालन नहीं हो सकेगा. नौका का परिचालन एक्ट लागू होने के बाद से यात्रियों की सुरक्षा बेहतर हो सकेगी.
नौकाघाट बंदोबस्ती एवं परिवर्धन प्रबंधन 2023 : विधानसभा से पास होने के बाद सरकार की ओर से इसकी नियमावली तैयार की जाएगी और फिर उसके अनुसार ही नौका का परिचालन किया जाएगा. नए एक्ट नौकाघाट बंदोबस्ती एवं परिवर्धन प्रबंधन 2023 के तहत नौका का परिचालन का अधिकार ग्रामीण और शहरी निकायों को दिया जाएगा. नौका घाटों की बंदोबस्ती नियंत्रण और प्रबंधन की शक्ति समाहर्ता, अपर समाहर्ता और स्थानीय निकायों के स्थानीय प्राधिकार में विहित रीति से सरकार द्वारा तय किया जाएगा.
नए एक्ट में नौकाघाट से टोल की वसूली सरकार द्वारा निश्चित विहित प्रक्रिया के तहत की जाएगी. इसके कारण सरकार का राजस्व काफी बढ़ सकता है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से नियमावली तैयार होने में कुछ समय लग सकता है. लेकिन इसके लागू होने के बाद कई तरह की विसंगतियों से नौका के परिचालन में छुटकारा मिलेगा. सबसे बड़ी बात कि दुर्घटना पर भी काफी हद तक रोक लगेगा.