पटना: बिहार विधान परिषद में नवल किशोर यादव और सुबोध कुमार ने छठे चरण के नियोजन में एसटीईटी अभ्यर्थियों का मामला उठाया था. उनका कहना था कि वर्ष 2011-12 में माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों की सर्टिफिकेट की मान्यता जून 2021 में खत्म हो रही है.
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इस सर्टिफिकेट की मान्यता 7 साल होती है जिसे वर्ष 2019 में बिहार सरकार ने 2 साल के लिए बढ़ा दिया था लेकिन उसके बाद भी नियोजन की प्रक्रिया तक पूरी नहीं हुई है. जबकि एनसीटीई ने टेट सर्टिफिकेट की वैलिडिटी को लाइफ टाइम कर दिया है.
वैलिडिटी को कैसे बढ़ाया जाए?
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सवाल के जवाब में कहा कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन ने टेट सर्टिफिकेट की मान्यता लाइफ टाइम कर दी है. लेकिन यह पुराने कैंडिडेट के लिए मान्य नहीं है. फिर भी शिक्षा विभाग इस मामले में विधिक परामर्श ले रहा है कि जिन अभ्यर्थियों ने वर्ष 2011-12 में एसटीइटी पास किया है उनकी सर्टिफिकेट की वैलिडिटी को कैसे बढ़ाया जाए.
छठे चरण के नियोजन में देरी को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के मामले में पटना हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है. शिक्षा मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार छठे चरण का नियोजन जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है और इसके लिए पटना हाई कोर्ट में सरकार की तरफ से आइए भी दाखिल कर दिया गया है.
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बता दें कि एसटीईटी अभ्यर्थियों के लिए शिक्षा विभाग की तरफ से कोई राहत अब तक नहीं मिली है. 2012 में एसटीईटी परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों की पात्रता की वैधता 7 साल से बढ़ा दी गई थी, सरकार ने इसे 2 साल बढाया था. यह निर्णय जून 2019 में सरकार ने लिया था. इन अभ्यर्थियों की पात्रता 2021 तक कर दी गई थी.