पटना: राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ में लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत (Chhath Puja) को लेकर एकता की मिसाल देखने को मिली है. जहां मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों ने छठ व्रतियों को पूजा समाग्री का वितरण किया. छठ महापर्व पर आस्था जगाते हुए सूप वितरण (Distributed Chhath Prasad In Phulwari Sharif) किया गया और छठ व्रतियों ने भी श्रद्धा भाव से पूजन समाग्री लिया. इस मौके पर मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि छठ ही ऐसा पर्व है, जिसमें धर्म और जाति का संबंध नहीं रहता है. इसमें आस्था सभी का जुड़ा हुआ रहता है. यही वजह है कि हम भी इसमें अपना योगदान देते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने छठ पूजन समाग्री वितरण किया. वहीं, छठ व्रतियों ने भी मुसलमान भाइयों को शुभकामनाएं दी.
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'छठ महापर्व पर सूप वितरण किया जा रहा है. ताकि हिंदू महिलाओं के इस छठ महापर्व में हमारी भी भागीदारी बनी रहे. हमलोग एकजुट होकर के यह पर्व बड़े ही सादगी और भाईचारे के साथ मनाते हैं.' - रौशनी, मुस्लिम श्रद्धालु
'लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत है. ये आपसी भाईचारे का संदेश हैं जो की हमलोग छठ पूजा मिल जुलकर मनाते हैं.' - मो. सलाउद्दीन, समाजसेवी
छठ के दूसरे दिन खरना की तैयारी : गौरतलब है कि लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत में उत्साह का माहौल है. आज इस चार दिवसीय पर्व का दूसरा दिन है. दूसरे दिन को खरना व्रत (Second Day Kharna Of Chhath Puja) के नाम से जाना जाता है. छठ का त्योहार व्रतियां 36 घंटों का निर्जला व्रत रखकर मनाती हैं और खरना से ही व्रतियों का निर्जला व्रत शुरू होता है. छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. इस बार छठ पूजा 28 अक्टूबर को नहाय-खाय शरू हो चुकी है.
क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.