नई दिल्ली: भारत में सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाएं बिहार, गुजरात और पश्चिम बंगाल में एनीमिया (Anemia) से पीड़ित हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में 63.1 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. इसके बाद गुजरात में 62.6 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 62.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में एनीमिया पाया गया है.
एनीमिया एक आम रक्त संबंधी समस्या है
एनीमिया के कारण थकान, कमजोरी और सांस लेने में तकलीफ जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं. एनीमिया के कारण शरीर के ऊतकों (Body Tissues)को स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं मिल पाता है जो ऑक्सीजन ले जाने के लिए जरूरी है.
लोकसभा में इसका खुलासा करते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-21) के अनुसार देश भर में 15 से 49 साल की महिलाओं में एनीमिया का प्रसार 57.0 प्रतिशत है. वहीं, देश भर में 6 से लेकर 59 महीने के बच्चों में एनीमिया का प्रसार 67.1 प्रतिशत है.
एनीमिया मुक्त भारत रणनीति
उन्होंने कहा कि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-21) के अनुसार देश भर में गर्भवती महिलाओं (15 से 49 वर्ष) में एनीमिया का प्रसार 52.2 प्रतिशत है. अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारत सरकार प्रोफिलैक्टिक आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन सहित छह हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन के माध्यम से लाइफ साइकिल एप्रोच में महिलाओं और बच्चों में एनीमिया के प्रसार को कम करने के लिए एनीमिया मुक्त भारत रणनीति को लागू करती है.
मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में दी जानकारी
पटेल ने कहा कि, भारत सरकार महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की व्यापकता को कम करने के लिए एनीमिया मुक्त भारत रणनीति लागू कर रही है, जिसके तहत छह उपायों को लागू किया जा रहा है, जिसमें प्रोफिलैक्टिक आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन, कृमि मुक्ति (Deworming) और अन्य शामिल हैं. बता दें कि, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान सभी बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोलियां दी जाती हैं.
एनीमिया से मुक्ति के लिए प्रयास जारी
एनीमिया के लिए परीक्षण और प्रबंधन प्रोटोकॉल के अनुसार उपचार, सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आईएफए फोर्टिफाइड भोजन का अनिवार्य प्रावधान और मजबूत संस्थागत तंत्र के माध्यम से एनीमिया के गैर-पोषण संबंधी कारणों, विशेष रूप से मलेरिया, फ्लोरोसिस और हीमोग्लोबिनोपैथी का समाधान करना शामिल है.
बीमारी से बचाव और समाधान
अनुप्रिया पटेल ने कहा, "6 से लेकर 59 महीने के बच्चों को हर दो सप्ताह में आईएफए सिरप दिया जाता है. प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को हर सप्ताह आईएफए रेड टैबलेट दी जाती है. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को 180 दिनों तक रोजाना आईएफए रेड टैबलेट दी जाती है."
क्या है एनीमिया, विस्तार से समझिए
एनीमिया एक आम रक्त विकार (Blood Disorders) है, जिसमें शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells)) या हीमोग्लोबिन ((Hemoglobin) की कमी हो जाती है. हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है. जब लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है, तो शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. इससे थकान और सांस लेने संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.
क्या कहता है एचएमआईएस का आंकड़ा?
एचएमआईएस के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 (दिसंबर 2024 तक) में 6 से 59 महीने की आयु के 45.3 प्रतिशत बच्चों को आईएफए सिरप और 95.0 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को आईएफए रेड टैबलेट उपलब्ध कराए जाएंगे. बताते चलें कि, त्रिपुरा, तेलंगाना, पंजाब, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़, असम, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं.
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