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1984 सिख विरोधी दंगा: सरस्वती विहार मामले में सज्जन कुमार दोषी करार - SAJJAN KUMAR SARASWATI VIHAR CASE

1984 के सिख विरोधी दंगे के एक और मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार दिया गया है.

सरस्वती विहार मामले में सज्जन कुमार दोषी करार
सरस्वती विहार मामले में सज्जन कुमार दोषी करार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 12, 2025, 2:46 PM IST

Updated : Feb 12, 2025, 4:45 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार मामले में आरोपी और पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने सज्जन कुमार की सजा पर 18 फरवरी को फैसला सुनाने का आदेश दिया है. इससे पहले कोर्ट ने 31 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दरअसल, यह मामला 1 नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम को करीब चार- साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके में स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया था. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे, जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे.

भीड़ को हमला करने के लिए उकसाने का आरोप: शिकायतकर्ता के मुताबिक, सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया. भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया. शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,395,397,302,307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.

कब क्या हुआ?

1 नवंबर 1984: सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या की गई थी. पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में सज्जन कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

16 दिसंबर 2021: पुलिस जांच को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सज्जन के खिलाफ आरोप तय किए थे. इस दौरान पीड़ित के वकील ने दलील दी थी, "वकील ने कहा था, भीड़ खतरनाक हथियार लेकर सरस्वती विहार में घुसी. उन्होंने लूटपाट, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी. वे सिखों की प्रॉपर्टीज पर हमला कर रहे थे. वे इंदिरा गांधी की हत्या का बदला ले रहे थे. भीड़ ने जसवंत के घर हमला किया, उसकी और बेटे की हत्या कर दी. लूटपाट के बाद घर में आग लगा दी."

12 फरवरी 2025: स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने फैसला सुनाया- इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सज्जन कुमार न केवल भीड़ में शामिल थे, बल्कि भीड़ की अगुआई भी कर रहे थे.

पहले तीन बार टल चुका है फैसला:

31 जनवरी 2025 को हुई सुनवाई में राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार पर फैसला टाल दिया था. इससे पहले 8 जनवरी और 16 दिसंबर 2024 को भी फैसला टाला गया था. दोनों बार विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की कोर्ट में तिहाड़ में बंद सज्जन कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुआ था.

दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी. ट्रायल में सज्जन कुमार को दोषी माना गया था. इसके बाद उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

सज्जन कुमार का राजनीतिक करियर:

  1. सज्जन कुमार ने अपना राजनीतिक जीवन पार्षद के तौर पर शुरू किया था.
  2. वह 1977 में जब पहली बार पार्षद बने तो उन्हें प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता गुरु राधा किशन ने शपथ दिलाई थी.
  3. उस समय जब दिल्ली में किसी कांग्रेसी का पार्षद चुना जाना बड़ी बात थी.
  4. बाद में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का महासचिव नियुक्त किया गया.
  5. 1980 में वह सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए. 1991 में वह फिर लोकसभा के लिए चुने गए.
  6. 2004 में उन्होंने बाहरी दिल्ली सीट पर देश भर में अब तक के सबसे अधिक मतों, 855,543 से जीतने का रिकॉर्ड कायम किया था.
  7. 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.

ये भी पढ़ें:

  1. 1984 सिख विरोधी दंगा: सरस्वती विहार मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले पर फैसला टला
  2. सिख विरोधी दंगा: सज्जन कुमार के खिलाफ एक और गवाह इंस्पेक्टर ने दर्ज कराया बयान
  3. सिख विरोधी दंगा: सज्जन कुमार के खिलाफ सरस्वती विहार मामले में CBI ने मांगी दलीलें रखने की अनुमति

नई दिल्ली: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार मामले में आरोपी और पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने सज्जन कुमार की सजा पर 18 फरवरी को फैसला सुनाने का आदेश दिया है. इससे पहले कोर्ट ने 31 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दरअसल, यह मामला 1 नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम को करीब चार- साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके में स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया था. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे, जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे.

भीड़ को हमला करने के लिए उकसाने का आरोप: शिकायतकर्ता के मुताबिक, सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया. भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया. शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,395,397,302,307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.

कब क्या हुआ?

1 नवंबर 1984: सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या की गई थी. पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में सज्जन कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

16 दिसंबर 2021: पुलिस जांच को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सज्जन के खिलाफ आरोप तय किए थे. इस दौरान पीड़ित के वकील ने दलील दी थी, "वकील ने कहा था, भीड़ खतरनाक हथियार लेकर सरस्वती विहार में घुसी. उन्होंने लूटपाट, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी. वे सिखों की प्रॉपर्टीज पर हमला कर रहे थे. वे इंदिरा गांधी की हत्या का बदला ले रहे थे. भीड़ ने जसवंत के घर हमला किया, उसकी और बेटे की हत्या कर दी. लूटपाट के बाद घर में आग लगा दी."

12 फरवरी 2025: स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने फैसला सुनाया- इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सज्जन कुमार न केवल भीड़ में शामिल थे, बल्कि भीड़ की अगुआई भी कर रहे थे.

पहले तीन बार टल चुका है फैसला:

31 जनवरी 2025 को हुई सुनवाई में राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार पर फैसला टाल दिया था. इससे पहले 8 जनवरी और 16 दिसंबर 2024 को भी फैसला टाला गया था. दोनों बार विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की कोर्ट में तिहाड़ में बंद सज्जन कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुआ था.

दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी. ट्रायल में सज्जन कुमार को दोषी माना गया था. इसके बाद उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

सज्जन कुमार का राजनीतिक करियर:

  1. सज्जन कुमार ने अपना राजनीतिक जीवन पार्षद के तौर पर शुरू किया था.
  2. वह 1977 में जब पहली बार पार्षद बने तो उन्हें प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता गुरु राधा किशन ने शपथ दिलाई थी.
  3. उस समय जब दिल्ली में किसी कांग्रेसी का पार्षद चुना जाना बड़ी बात थी.
  4. बाद में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का महासचिव नियुक्त किया गया.
  5. 1980 में वह सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए. 1991 में वह फिर लोकसभा के लिए चुने गए.
  6. 2004 में उन्होंने बाहरी दिल्ली सीट पर देश भर में अब तक के सबसे अधिक मतों, 855,543 से जीतने का रिकॉर्ड कायम किया था.
  7. 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.

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  1. 1984 सिख विरोधी दंगा: सरस्वती विहार मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मामले पर फैसला टला
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  3. सिख विरोधी दंगा: सज्जन कुमार के खिलाफ सरस्वती विहार मामले में CBI ने मांगी दलीलें रखने की अनुमति
Last Updated : Feb 12, 2025, 4:45 PM IST
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