पटना: पटना पहुंचे उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि गूगल कभी गुरू को रिप्लेस नहीं कर सकता. उन्होंने सुपर-30 कोचिंग के ऑनर आनंद कुमार की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय परपंरा के अनुसार नई शिक्षा नीति बनाने की जरूरत है. जिस देश में आनंद कुमार जैसे शिक्षक हैं, वहां उनका परामर्श देश इसमें सहायक होगा.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुझे बचपन की याद आ रही है, स्कूल में एनसीसी अनिवार्य होता था. एनएसएस, क्रॉफ्ट क्लास और कृषि क्लास अनिवार्य होता था. इसके साथ ही मोरल साइंस क्लास भी चलती थी. आज के समय में साइंस तो है लेकिन मोरल गायब है. इस कारण हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए. दोबारा मोरल और नीति को जीवन में वापस लाना होगा.
वैल्यू बेस एजुकेशन पर देना होगा जोर- उपराष्ट्रपति
पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से जो परिस्थिति बन गई है, सिनेमा-टीवी से जो स्थिति बिगड़ गई हैं. इससे बचने के लिए हमें वैल्यू बेस एजुकेशन पर ध्यान देना होगा. ये जरूरी है. हमें इसे व्यक्तित्व बदलाव के लिए नई एजुकेशन नीति लानी होगी.
एमए, एमकॉम से नहीं होगा समाधान- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आईटी का प्रभाव है लेकिन इसके साथ ड्यूटी भी मिल रही है. उन्होंने कहा कि केवल एमए-एमकॉम करने से समस्या का समाधान नहीं होगा. छात्रों को अपनी स्किल की पहचान करनी होगी. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने स्किल इंडिया प्रोग्राम डेवलप किया है. प्रदेश स्तर पर इसपर जोर दिया गया है. इसलिए पढ़ते-पढ़ते अपने स्किल पर ध्यान देना चाहिए.
अनुशासन बहुत जरूरी है-उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है. इसके साथ ही हार्ड वर्किंग, दृढ़ निश्चय, न्याय परायणता, समाजिक जागरूकता जरूरी है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति कलाम को याद करते हुए कहा कि डॉ. कलाम ने कहा, 'ड्रीम हाई, ऐम हाई बट वर्क आल्सो हार्ड'. उन्होंने कहा कि देखिए, भारत का राष्ट्रपति एक साधारण स्कूल में पढ़कर राष्ट्रपति बन गया.
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PU को केंद्रीय विवि बनाने की मांग पर बोले CM- विश्वास है उपराष्ट्रपति पूरी करेंगे मांग
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मीडियम से कुछ नहीं होता- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा कि साधारण स्कूल में पढ़ने से भी सफलता मिलती है, ये जरूरी है. मीडियम से कुछ नहीं होता. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सभी को बचपन में एक प्राइमरी स्कूल में, मातृ भाषा में ही शिक्षा लेनी चाहिए. भाषा और भावना एक साथ चलती है. उन्होंने कहा किसी ने मुझसे कहा कि ऊपर कैसे जाएंगे. इसपर उपराष्ट्रपति ने चुटकी लेते हुए मोटिवेट किया और कहा,- 'ऊपर जाने के लिए भगवान ने जाने के लिए कोई अमुख भाषा का नियम रखा है. कान्वेंट में जाने से कोई आगे नहीं बढ़ता. मैंने, पीएम और कई मुख्यमंत्रियों ने कभी कांन्वेंट स्कूल नहीं देखा है.'