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मुफलिसी में भी बच्चों का भविष्य बनाने में जुटी हैं ये माताएं, सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर चलाती हैं खर्च

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Published : May 10, 2020, 5:19 PM IST

गंगा रिसर्च सेंटर में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर तैनात नेहा कुमारी ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं और बड़ा बेटा पारा मेडिकल डॉक्टर है. उन्होंने बताया कि वह दिन-रात कड़ी मेहनत कर पैसे जुटाकर अपने बच्चे को नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एडमिशन कराई है, जहां से वो पारा मेडिकल का कोर्स कर रहा है.

पटना
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पटना : मुफलिसी के दौर में भी गरीब माताएं अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए दिन रात मेहनत करने में जुटी हुई हैं. राजधानी पटना के कलेक्ट्रेट घाट स्थित नमामि गंगे प्रोजेक्ट के ऑफिस गंगा रिसर्च सेंटर में सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाली महिलाएं दिन-रात कड़ी मेहनत कर अपने बच्चों का उज्जवल भविष्य बनाने में लगी हुई हैं.

'बड़ा बेटा पारा मेडिकल डॉक्टर है'
गंगा रिसर्च सेंटर में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर तैनात नेहा कुमारी ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं और बड़ा बेटा पारा मेडिकल डॉक्टर है. उन्होंने बताया कि वह दिन-रात कड़ी मेहनत कर पैसे जुटाकर अपने बच्चे को नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एडमिशन कराई है, जहां से वो पारा मेडिकल का कोर्स कर रहा है और फिलहाल ओटी असिस्टेंट के रूप में अस्पताल में काम भी करता है. उन्होंने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं, जिनमें एक बेटी इस साल दसवीं की परीक्षा दी है और एक बेटी 9वीं में है.

देखें पूरी रिपोर्ट

नेहा कुमारी ने बताया कि उनका छोटा बेटा पांचवीं कक्षा में पढ़ता है और वह 2 बजे से 10 बजे की शिफ्ट में ड्यूटी पर रहती हैं. उन्होंने बताया कि वह ड्यूटी पर आने से पूर्व सुबह का खाना खिला कर बच्चों को स्कूल भेजने के बाद दिन का खाना बनाकर ड्यूटी आती है. उन्होंने बताया कि वह बच्चों के घर पर पहुंचने के बाद फोन कर पूछ लेती है कि उन्होंने खाया या नहीं.

सास-ससुर के भरोसे छोड़ कर आती है बच्चों को
सिक्योरिटी गार्ड राधा देवी ने बताया कि उनके भी चार बच्चे हैं. उन्होंने बताया कि उनके बच्चे छोटे हैं और सबसे बड़ा बेटा 11 साल का है. राधा देवी बताती हैं कि वह अपने सास-ससुर और बच्चों के चाचा-चाची के भरोसे बच्चों को घर पर छोड़ कर आती हैं. उन्होंने बताया कि दिनभर मन नहीं मानता है और जब वह घर पर जाती है, तो सबसे पहले यह जानती हैं कि बच्चों ने दिनभर में क्या खाया पिया है. उन्होंने बताया कि इसके बाद वह खाना बनाकर बच्चों को खिलाती और सुलाती है.

पटना : मुफलिसी के दौर में भी गरीब माताएं अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए दिन रात मेहनत करने में जुटी हुई हैं. राजधानी पटना के कलेक्ट्रेट घाट स्थित नमामि गंगे प्रोजेक्ट के ऑफिस गंगा रिसर्च सेंटर में सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाली महिलाएं दिन-रात कड़ी मेहनत कर अपने बच्चों का उज्जवल भविष्य बनाने में लगी हुई हैं.

'बड़ा बेटा पारा मेडिकल डॉक्टर है'
गंगा रिसर्च सेंटर में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर तैनात नेहा कुमारी ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं और बड़ा बेटा पारा मेडिकल डॉक्टर है. उन्होंने बताया कि वह दिन-रात कड़ी मेहनत कर पैसे जुटाकर अपने बच्चे को नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एडमिशन कराई है, जहां से वो पारा मेडिकल का कोर्स कर रहा है और फिलहाल ओटी असिस्टेंट के रूप में अस्पताल में काम भी करता है. उन्होंने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं, जिनमें एक बेटी इस साल दसवीं की परीक्षा दी है और एक बेटी 9वीं में है.

देखें पूरी रिपोर्ट

नेहा कुमारी ने बताया कि उनका छोटा बेटा पांचवीं कक्षा में पढ़ता है और वह 2 बजे से 10 बजे की शिफ्ट में ड्यूटी पर रहती हैं. उन्होंने बताया कि वह ड्यूटी पर आने से पूर्व सुबह का खाना खिला कर बच्चों को स्कूल भेजने के बाद दिन का खाना बनाकर ड्यूटी आती है. उन्होंने बताया कि वह बच्चों के घर पर पहुंचने के बाद फोन कर पूछ लेती है कि उन्होंने खाया या नहीं.

सास-ससुर के भरोसे छोड़ कर आती है बच्चों को
सिक्योरिटी गार्ड राधा देवी ने बताया कि उनके भी चार बच्चे हैं. उन्होंने बताया कि उनके बच्चे छोटे हैं और सबसे बड़ा बेटा 11 साल का है. राधा देवी बताती हैं कि वह अपने सास-ससुर और बच्चों के चाचा-चाची के भरोसे बच्चों को घर पर छोड़ कर आती हैं. उन्होंने बताया कि दिनभर मन नहीं मानता है और जब वह घर पर जाती है, तो सबसे पहले यह जानती हैं कि बच्चों ने दिनभर में क्या खाया पिया है. उन्होंने बताया कि इसके बाद वह खाना बनाकर बच्चों को खिलाती और सुलाती है.

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