पटना: अब पशुओं को एफएमडी यानी की मुंहपका-खुरपका रोग (Foot-and-mouth disease) का टीका देने से पहले उनकी ईयर टैगिंग अनिवार्य है. यह पशुओं का आधार नंबर है. इसे सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाएगा जिसके बाद संबंधित पशु की जानकारी कहीं से भी हासिल की जा सकेगी. इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सितंबर 2019 को की थी तबसे जानवरों को ये टीका दिया जाता है.
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पशुओं का टीकाकरण
बिहार सरकार लगातार पशुपालन के लिए किसानों को सुविधा देकर प्रेरित कर रही है और अपनी योजनाओं से किसानों को समय-समय पर लाभ पहुंचा रही है. विभाग द्वारा छोटे पशुओं जैसे भेड़, बकरियों को 5 मार्च से 20 मार्च तक अभियान चला कर पीपीआर का टीका लगाया गया. इसके तहत 50 लाख छोटे पशुओं को टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें से 49 लाख 95 हजार 633 भेड़-बकरियों को टीका दिया गया. अब विभाग बड़े पशुओं को एफएमडी का टीका लगाने की तैयारी कर रहा है.
खतरनाक बीमारियों से रक्षा
बिहार में 2 करोड़ 30 लाख से ज्यादा पालतू जानवरों को इस बार एफएमडी का टीका लगना है. जिसकी तैयारी विभाग कर रहा है. यह टीका जानवरों में होनेवाले भयानक बीमारी खुरहा से उनका संरक्षण करता है. साथ ही जानवरों में एक और खतरनाक बीमारी ब्रुसेल्लोसिस से बचाता है. ब्रुसेल्लोसिस गर्भ से संबंधित बीमारी है, एफएमडी टीका पशुओं को इस खतरनाक बीमारी से बचाने में भी कारगर है.
'अभी तक पूरे बिहार में 1 करोड़ 65 लाख जानवरों की ईयर टैगिंग हमलोगों ने कर लिया है. जैसे ही वैक्सीन उपलब्ध होगी बिहार में जानवरों को एफएमडी टीका लगना शुरू हो जाएगा. फिलहाल 2 करोड़ से ज्यादा जानवरों को इस योजना के तहत टीकाकरण करने का विभाग का लक्ष्य है. इसको लेकर पंचायत स्तर तक वैक्सीनेटर की व्यवस्था विभाग ने की है.'- उमेश सिंह, निदेशक, पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, पटना
पशुओं की ईयर टैगिंग
टीकाकरण के लिए पूरे बिहार में पंचायत स्तर तक अभियान शुरू कर दिया है. इस बार सबसे पहले जानवरों का ईयर टैगिंग किया जा रहा है. ईयर टैगिंग जानवरों का आधार नंबर की तरह होता है. जिसके तहत जानवरों की गिनती आसानी से होगी और जानवरों का टीकाकरण होगा. टैगिंग के बाद संबंधित जानवर की जानकारी कहीं से हासिल की जा सकेगी.
'एफएमडी का टीका तो जानवरों के लिए अच्छा है. इससे खुरहा बीमारी नहीं होती है. दो साल पहले विभाग के लोग आकर टीका दिए थे लेकिन इस साल अभी तक कोई नहीं आया है. देखते हैं कोई आएगा तो जानवरो को टीका लगवा लेंगे.'- रामधरण राय, पशुपालक
वैक्सीन का नहीं साइड इफेक्ट
विभाग के पास उतने वैक्सीनेटर नहीं है जितने की जरुरत है इसीलिए कई पंचायत में प्राइवेट वैक्सीनेटर को भी टीकाकरण अभियान में रखा गया है. एक पंचायत में एक वैक्सीनेटर सारे पालतू जानवरों को वैक्सीनेट करेंगे. इस वैक्सीन का जानवरों पर कोई साइड इफेक्ट नहीं पड़ता है. फिलहाल जो जानवर दूध देते है उसे अगर वैक्सीन लगता है तो दो तीन दिन जरूर दूध कम होता है. फिर सब कुछ ठीक हो जाता है. साथ ही गर्भावस्था के अंतिम समय में जो पशु रहता है उसे भी ये टीका नहीं दिया जाता.
'टीका लगाना होता है तो हम अपने पैसा लगाकर लोकल डॉक्टर से दिलवाते हैं. यहां कोई विभागीय आदमी नहीं आता है. टीका तो जानवरों के लिए समय समय पर जरूरी है लेकिन हम लोग पशुपालक हैं. विभाग का हमलोगों पर नहीं है.'- कन्हैया यादव, पशुपालक
टीकाकरण में देरी
सरकार का दावा है कि इस योजना के लिए जानवरों की ईयर टैगिंग यानी आधार संख्या देना शुरू कर दिया गया है. 2 करोड़ से ज्यादा जानवरों को ये टीका लगाना है. फिलहाल प्रदेश में अभी तक यह अभियान शुरू नहीं हो पाया है. जिस कारण पशुपालक परेशान हैं. साथ ही इन लोगों की मांग है कि योजना का लाभ सभी पशुपालकों तक पहुंचे ताकि इनका पशुधन सुरक्षित रहे.
बिहार में पशुगणना 2019
बिहार में पशुगणना 2019 के अनुसार गायों की संख्या 1 करोड़ 53 लाख है जबकि भैसों की संख्या 77 लाख ,बकरियों की संख्या 28 लाख ,भेड़ों की संख्या 2 लाख 38 हजार और सुअरों की संख्या 34 हजार है. एफएमडी टीका इन सभी जानवरों को लगना है.