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केके पाठक के खिलाफ एक जुट हुए भाजपा और महागठबंधन के सभी MLC, राजभवन पहुंचकर की हटाने की मांग - अपर सचिव केके पाठक

बिहार शिक्षा विभाग में केके पाठक के फरमानों से परेशान होकर एक ओर जहां शिक्षक संगठनों ने मोर्चा खोला हुआ है वहीं, पक्ष विपक्ष के MLC ने भी राज्यपाल से मिलकर उन्हें हटाने और निर्देशों को रद्द करने की गुहार लगाई है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 19, 2023, 6:17 PM IST

Updated : Dec 19, 2023, 7:46 PM IST

केके पाठक के खिलाफ एमएलसी ने खोला मोर्चा

पटना : बिहार शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक के नए फरमानों से शिक्षक परेशान हैं. यही वजह है कि अब शिक्षक संगठनों के अलावा माननीयों ने भी मोर्चा खोल दिया है. केके पाठक को हटाने, और उनके निर्देशों को निरस्त के लिए बीजेपी, महागठबंधन और निर्दलीय विधान पार्षदों ने राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से राजभवन में जाकर मिले. सभी ने हस्ताक्षर करके अपनी मांग राज्यपाल के सामने रखी. विधान पार्षदों में जेडीयू, सीपीआई, बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस, जनसुराज और निर्दलीय MLC साथ गए हुए थे.

केके पाठक के खिलाफ एमएलसी ने खोला मोर्चा : बिहार के महागठबंधन सरकार के शिक्षक निर्वाचन से जुड़े तमाम एमएलसी अपने ही सरकार के खिलाफ राज भवन पहुंचे हुए हैं. उनके साथ भाजपा के भी विधान पार्षद हैं. 15 सदस्यीय विधान पार्षदों में निर्दलीय समेत तमाम दलों के विधान पार्षद शामिल है. शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ सभी पहुंचे हुए हैं और उनके लिए गए फैसले को निरस्त करने और शिक्षा विभाग से उन्हें अविलंब हटाने की मांग को लेकर ज्ञापन देने राज्यपाल के पास आए हुए हैं.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने कहा कि ''केके पाठक ने हाल में कई फैसले लिए हैं जो संविधान विरोधी है और उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. वह राज्यपाल से यह कहने जा रहे हैं कि शिक्षा विभाग में केके पाठक जैसा अधिकारी घोषित आपातकाल की स्थिति लागू कर दिया है. केके पाठक के तानाशाही फैसले से शिक्षण त्रस्त है और शिक्षा विभाग भी भुगत रहा है.''

जदयू के एमएलसी वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि ''केके पाठक के कई फैसले नीतिगत नहीं है और उनके फैसलों ने शिक्षा विभाग में उथल-पुथल मचाया हुआ है. उनके फैसले को रद्द करने और विभाग से उन्हें हटाने की मांग को लेकर राज्यपाल के पास पहुंचे हुए हैं.''

जदयू एमएलसी संजीव कुमार ने कहा कि ''राज्यपाल विश्वविद्यालय के कस्टोडियन होते हैं. हमारे विधान पार्षद साथी संजय कुमार सिंह का पेंशन केके पाठक के आदेश से रोका गया है. शिक्षा विभाग का यह अधिकार क्षेत्र में नहीं आता की किसी प्रोफेसर का वेतन या पेंशन रोकें और यह सरासर राज भवन के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप है. विधानमंडल का सत्र चल रहा होता तो वह सत्र में इस बात को जरूर रखते लेकिन अभी सत्र बंद हैस इस कारण राज्यपाल के पास ज्ञापन लेकर पहुंचे हुए हैं. केके पाठक अपने अधिकार क्षेत्र से इतर कई फैसले लिए हैं जो संवैधानिक मूल्य का हनन कर रहे हैं. इन आदेशों को रद्द करने और शिक्षा विभाग से उन्हें अभिलंब हटाने की मांग को लेकर वह राज्यपाल से मिलने पहुंचे हुए हैं.''


केके पाठक को हटाने के खिलाफ एमएलसी एकजुट : बता दें कि एक तरफ दिल्ली में इंडिया गठबंंधन की बैठक चल रही है तो वहीं प्रदेश में महागठबंधन के विधान पार्षद नीतीश के चहेते आईएएस अफसर केके पाठक को हटाने के लिए बीजेपी समेत महागठबंधन और निर्दलीय विधान पार्षदों ने राज्यपाल से मुलाकत की. बता दें कि अभी हाल ही में केके पाठक ने शिक्षा अधिकारियों को रविवार को भी काम पर बुलाया है. इसके लिए विभागीय निर्देश भी जारी कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें : KK Pathak के आदेश के बाद सरकारी स्कूलों से कटे लगभग 22 लाख छात्रों के नाम, क्या शिक्षा के अधिकार का हुआ है उल्लंघन?

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केके पाठक के खिलाफ एमएलसी ने खोला मोर्चा

पटना : बिहार शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक के नए फरमानों से शिक्षक परेशान हैं. यही वजह है कि अब शिक्षक संगठनों के अलावा माननीयों ने भी मोर्चा खोल दिया है. केके पाठक को हटाने, और उनके निर्देशों को निरस्त के लिए बीजेपी, महागठबंधन और निर्दलीय विधान पार्षदों ने राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से राजभवन में जाकर मिले. सभी ने हस्ताक्षर करके अपनी मांग राज्यपाल के सामने रखी. विधान पार्षदों में जेडीयू, सीपीआई, बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस, जनसुराज और निर्दलीय MLC साथ गए हुए थे.

केके पाठक के खिलाफ एमएलसी ने खोला मोर्चा : बिहार के महागठबंधन सरकार के शिक्षक निर्वाचन से जुड़े तमाम एमएलसी अपने ही सरकार के खिलाफ राज भवन पहुंचे हुए हैं. उनके साथ भाजपा के भी विधान पार्षद हैं. 15 सदस्यीय विधान पार्षदों में निर्दलीय समेत तमाम दलों के विधान पार्षद शामिल है. शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ सभी पहुंचे हुए हैं और उनके लिए गए फैसले को निरस्त करने और शिक्षा विभाग से उन्हें अविलंब हटाने की मांग को लेकर ज्ञापन देने राज्यपाल के पास आए हुए हैं.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने कहा कि ''केके पाठक ने हाल में कई फैसले लिए हैं जो संविधान विरोधी है और उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. वह राज्यपाल से यह कहने जा रहे हैं कि शिक्षा विभाग में केके पाठक जैसा अधिकारी घोषित आपातकाल की स्थिति लागू कर दिया है. केके पाठक के तानाशाही फैसले से शिक्षण त्रस्त है और शिक्षा विभाग भी भुगत रहा है.''

जदयू के एमएलसी वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि ''केके पाठक के कई फैसले नीतिगत नहीं है और उनके फैसलों ने शिक्षा विभाग में उथल-पुथल मचाया हुआ है. उनके फैसले को रद्द करने और विभाग से उन्हें हटाने की मांग को लेकर राज्यपाल के पास पहुंचे हुए हैं.''

जदयू एमएलसी संजीव कुमार ने कहा कि ''राज्यपाल विश्वविद्यालय के कस्टोडियन होते हैं. हमारे विधान पार्षद साथी संजय कुमार सिंह का पेंशन केके पाठक के आदेश से रोका गया है. शिक्षा विभाग का यह अधिकार क्षेत्र में नहीं आता की किसी प्रोफेसर का वेतन या पेंशन रोकें और यह सरासर राज भवन के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप है. विधानमंडल का सत्र चल रहा होता तो वह सत्र में इस बात को जरूर रखते लेकिन अभी सत्र बंद हैस इस कारण राज्यपाल के पास ज्ञापन लेकर पहुंचे हुए हैं. केके पाठक अपने अधिकार क्षेत्र से इतर कई फैसले लिए हैं जो संवैधानिक मूल्य का हनन कर रहे हैं. इन आदेशों को रद्द करने और शिक्षा विभाग से उन्हें अभिलंब हटाने की मांग को लेकर वह राज्यपाल से मिलने पहुंचे हुए हैं.''


केके पाठक को हटाने के खिलाफ एमएलसी एकजुट : बता दें कि एक तरफ दिल्ली में इंडिया गठबंंधन की बैठक चल रही है तो वहीं प्रदेश में महागठबंधन के विधान पार्षद नीतीश के चहेते आईएएस अफसर केके पाठक को हटाने के लिए बीजेपी समेत महागठबंधन और निर्दलीय विधान पार्षदों ने राज्यपाल से मुलाकत की. बता दें कि अभी हाल ही में केके पाठक ने शिक्षा अधिकारियों को रविवार को भी काम पर बुलाया है. इसके लिए विभागीय निर्देश भी जारी कर दिया गया है.

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Last Updated : Dec 19, 2023, 7:46 PM IST
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