पटना: राजस्थान सरकार के फैसले के बाद अब बिहार में भी पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लागू करने की मांग शुरू हो गई है. बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में विधान पार्षद संजय कुमार सिंह (MLC Sanjay Kumar Singh) ने शून्यकाल के दौरान ये मामला उठाया. जिसके बाद शिक्षा मंत्री विजय चौधरी (Education Minister Vijay Choudhary) ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही शिक्षकों के लिए काफी कुछ किया है.
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पुरानी पेंशन योजना लागू हो: विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने विधान परिषद में अपनी बात रखते हुए कहा कि सितंबर 2005 के बाद राज्य में नियुक्त कर्मियों एवं नियोजित शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है. पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए राज्य के शिक्षक और कर्मी लगातार संघर्षरत हैं. जबकि देश के कई राज्यों ने पूर्ण रूप से 2005 के बाद से नियक्त कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने की बात स्वीकार की है.
"पूरे देश में सितंबर 2005 से पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर दिया गया है. जिसके कारण सितंबर 2005 के बाद राज्य में नियुक्त कर्मियों एवं नियोजित शिक्षकों को पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है. पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए राज्य के शिक्षक और कर्मी लगातार संघर्षरत हैं. जबकि राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड आदि राज्यों ने पूर्ण रूप से 2005 के बाद से नियक्त कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने की बात स्वीकार की है"- संजय कुमार सिंह, विधान पार्षद
मदरसा-संस्कृत शिक्षकों को लाभ मिलना चाहिए: संजय कुमार सिंह ने आगे कहा कि बिहार के राज्य कर्मचारियों सहित बिहार में लगभग 4 लाख प्रारंभिक से उच्चतर माध्यमिक नियोजिक शिक्षकों और मदरसा और संस्कृत विद्यालयों में बहाल शिक्षकों को भी पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस ओर गंभीरता से विचार करना चाहिए.
पुरानी पेंशन पर सरकार कर रही विचार: वहीं, इसके जवाब में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षकों के लिए पहले से ही काफी कुछ किया है और आगे जो भी उनके लिए बेहतर होगा हम करते रहेंगे. हमारी सरकार राज्य कर्मचारियों और नियोजित शिक्षकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है.
नई और पुरानी पेंशन योजना में अंतर: आपको बताएं कि नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह 10 प्रतिशत कटौती कर सेवानिवृत्ति पर यह रकम एकमुश्त देने का प्रावधान है. सेवानिवृत्ति के बाद चिकित्सा भत्ता और पारिवारिक पेंशन को बंद कर दिया गया था. जबकि पुरानी पेंशन योजना में सेवानिवृत्ति पर अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि कर्मचारियों को मिलती थी. पेंशन की राशि सरकार वहन करती थी. पेंशन के लिए वेतन से कटौती नहीं होती थी. साथ ही सेवाकाल में कर्मचारी की मृत्यु होने पर आश्रितों को पारिवारिक पेंशन और नौकरी का प्रावधान था.
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