पटना: बिहार में 243 विधायक और 75 विधान पार्षद हैं. जिनका वार्षिक फंड बढ़ कर 3 करोड़ हो चुका है. वहीं, बिहार सरकार ने कोरोना कोष का भी गठन किया है. उसमें सभी विधायक और विधान पार्षद के फंड से 50-50 लाख रुपये की राशि डाली गई है. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित कई विधायक और विधान पार्षद ने अपने फंड की राशि कोरोना कोष में देने की अनुशंसा कर दी है.
चुनावी साल में विधायकों ने सिर्फ 2020-21 ही नहीं बल्कि पहले से बचे हुए अपने फंड की अधिकाश राशि भी कोरोना फंड में देने की अनुशंसा कर दी है. बता दें कि कई तरह की शिकायतों के बाद 2010 में विधायक फंड को सीएम नीतीश कुमार ने बंद कर दिया था. उस समय मात्र 1 करोड़ की राशि हर साल दिया जाता था, लेकिन कुछ सालों बाद विधायक फंड फिर से शुरू हुआ और उसकी राशि 2 करोड़ कर दी गई. जिसे 2018 में नीतीश सरकार ने फिर से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया.
क्षेत्रीय विकास निधि से विधायकों ने की राशि की अनुशंसा
इस साल बिहार सरकार ने विधायकों और विधान पार्षदों के फंड से 50 लाख की राशि कोरोना कोष में देने का फैसला लिया है. इस कारण वित्तीय वर्ष में केवल ढाई करोड़ की राशि ही विधायक और विधान पार्षद अनुशंसा कर सकते हैं. चुनावी साल में मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास निधि से विधायकों ने अधिकांश राशि अनुशंसा कर दी है.
'क्षेत्र के विकास में होती है राशि खर्च'
योजना विकास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि 90 प्रतिशत से अधिक की राशि विधायकों ने अनुशंसा कर दी है. विधायक फंड लेप्स नहीं करता है. क्षेत्र का विकास होता है तो, उसमें राशि खर्च की जाती है. साथ ही महेश्वर हजारी ने कहा कि उन्होंने अपने फंड से 95 फीसदी राशि खर्च कर दी है.
कई मंत्रियों ने विधायक फंड की अधिकांश राशि कर दी अनुशंसा
मंत्री जय कुमार सिंह का कहना है कि सात निश्चय योजना के तहत 80 प्रतिशत काम क्षेत्रों में हो गए हैं, लेकिन जो 20 प्रतिशत काम पर बचा है. उसे विधायक फंड से पूरा किया जा रहा है. इसी तरह कई ऐसे काम होते हैं जिसे तत्काल करने की जरूरत होती है तो उसे ऐच्छिक निधि से पूरा किया जाता है. इसीलिए ऐच्छिक निधि बहुत ही महत्वपूर्ण निधि है.
80 फीसदी कार्य पूरा
बीजेपी विधायक अरुण सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से चलने वाली योजनाओं में से 80 प्रतिशत कार्य हो चुका है. वहीं, बांकी के बचे कार्य को भी विधानसभा चुनाव से पहले पूरा कर लिया जाएगा.