पटना: बिहार में नई शिक्षक नियमावली को लेकर नियोजित शिक्षकों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. इसी आक्रोश के कारण शनिवार से शुरू हुए जातिगत गणना का शिक्षक संघ विरोध कर रहा है. संघ का कहना है कि जब तक उन्हें सरकार राज्य कर्मी नहीं बनाती है, वह गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करेंगे. इसी को लेकर दर्जनभर से अधिक शिक्षक संघों के प्रतिनिधि भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ के आवास पर एकत्रित हुए और नई नियमावली में राज्य कर्मी बनाने के लिए अलग से परीक्षा का प्रावधान किए जाने का विरोध किया. इस दौरान संदीप सौरभ ने कहा कि नई शिक्षा नियमावली को लेकर सरकार ने पार्टी राय नहीं ली है.
'नई शिक्षक नियमावली पर नहीं ली गई CPIML की सहमति': भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि नई शिक्षा नियमावली को लाने के वक्त सरकार ने भाकपा माले का राय नहीं ली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि नई शिक्षा नियमावली पर महागठबंधन के सभी दलों से सहमति ली गई है लेकिन यह सच नहीं है. भाकपा माले महागठबंधन की प्रमुख घटक दल हैं और 12 विधायक विधानसभा में हैं. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नियमावली को लेकर के मसौदा आया था और उन लोगों की भी डिमांड थी कि नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए.
"नई नियमावली में क्लॉज है की बीपीएससी परीक्षा ली जाएगी. जो परीक्षा में सफल होंगे उन्हें ही राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा. यह सरासर अनुचित है और इस संबंध में हमें कोई जानकारी पूर्व से नहीं थी."- संदीप सौरभ,विधायक,भाकपा माले
संदीप सौरभ ने कहा कि आज के इस बैठक में 1 दर्जन से अधिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मौजूद हैं और सभी का जातिगत जनगणना से कोई विरोध नहीं है. लेकिन शिक्षकों का कहना है कि पहले राज्य कर्मी का उन्हें दर्जा दिया जाए, तब ही उनसे गैर शैक्षणिक कार्य कराया जाए. संदीप सौरभ ने कहा कि सभी की आपत्ति इसी बात पर है कि नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए अलग से परीक्षा का प्रावधान है. यह आपत्ति इसलिए है क्योंकि जो लोग बिहार में सरकारी नियमों का पालन करते हुए सरकार द्वारा गठित नियोजन इकाइयों द्वारा बहाल हुए हैं. यह सभी बीते 10 से 20 वर्षों से सरकार को अपनी सेवा दे रहे हैं, उन्हें इस निर्णय द्वारा एक झटके में सवालिया दायरे में ला दिया गया है.
"इस निर्णय से नियोजित शिक्षकों को लोग आशंका की नजर से देखने लगे हैं और कहीं ना कहीं इससे सरकार के ऊपर ही सवाल उठने लगे हैं. सरकार की नियोजन इकाई पहले क्या कर रही थी जब नियोजन हुआ, बी टेट, सीटेट जैसी परीक्षा लिए गए उन परीक्षाओं का क्या हुआ? शिक्षकों से राज्य कर्मी बनाने के लिए परीक्षा देने का निर्णय शिक्षकों के खिलाफ है."-संदीप सौरभ,विधायक,भाकपा माले
CPIML ने कहा कि सेंट्रलाइज तरीके से शिक्षकों की बहाली का मसला हो या शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग का मामला हो, यह प्रावधान अच्छे हैं. लेकिन अलग से परीक्षा का निर्णय सरासर अनुचित है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से विद्यालयों का लोकतंत्र खत्म होगा और विद्यालय में कई लेवल के शिक्षक हो जाएंगे जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाएगी.