पटना: गंगा के पानी को लेकर हाल में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद राजधानी समेत उन तमाम शहरों में खलबली मची है, जहां से गंगा नदी गुजरती है. राजधानी में भी इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि अगर गंगा का पानी प्रदूषित है तो यहां के लोग पीने और नहाने के लिए पानी कहां से लाएंगे. इस मुद्दे पर मंत्री और विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय दी है.
बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष ने कहा कि कन्फ्यूजन की स्थिति नहीं होनी चाहिए. हम जो पानी पी रहे हैं, वो दरअसल ग्राउंड वाटर है. अगर ये 200 फीट से ज्यादा गहराई से लिया गया है तो बिल्कुल शुद्ध है. उन्होंने कहा कि लैब टेस्ट के आधार पर ये जानकारी दी जा रही है कि पटना में जो पीने का पानी है, वो बिल्कुल शुद्ध है. अगर परेशानी है तो गंगा के पानी में है. लेकिन गंगा का पानी पीने के लिए कहीं सप्लाई नहीं होता है.
'सिंचाई में इस्तेमाल हो गंगा का पानी'
डॉ. अशोक घोष ने कहा कि गंगा में यदि बाहर की गंदगी और ड्रेनेज सीवरेज का पानी डालना बंद हो जाए तो पानी शुद्ध हो जाएगा. वहीं, विशेषज्ञ और जाने-माने शिक्षाविद डॉ. डीएम दिवाकर ने कहा कि आस्था के कारण लोग गंगा नदी में पूजा सामग्री और अन्य चीजें डालते हैं, जो पानी ट्रीट होकर जा रहा है, वो बिल्कुल शुद्ध नहीं है. इसलिए ट्रीटमेंट के बाद पानी को गंगा में डालने की बजाय उसका उपयोग सिंचाई में होना चाहिए, क्योंकि ट्रीटमेंट किया हुआ पानी भी गंदा को शुद्ध नहीं कर पाता है.
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गंगा की सफाई को लेकर प्रयास जारी
इस बारे में नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि लोगों को भ्रम हुआ है. राजधानी में जो पीने का पानी है वो बिल्कुल शुद्ध है. उन्होंने कहा कि गंगा की सफाई को लेकर लगातार प्रयास जारी है. अभी ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा नहीं हुआ है, इसलिए ऐसी रिपोर्ट आई है. जैसे ही ट्रीटमेंट का काम हो जाएगा, गंगा का पानी बिल्कुल शुद्ध हो जाएगा.