पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. बिहार के शराबबंदी मॉडल (Minister Sunil Kumar statement on Prohibition Model of Bihar) की चर्चा दूसरे राज्यों में भी हो रही है. राजस्थान से प्रतिनिधिमंडल बिहार पहुंचा है और प्रदेश के अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहा है. शराबबंदी के बिहार मॉडल को दूसरे राज्य भी अपनाना चाह रहे हैं. बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधिमंडल बिहार का दौरा कर चुके हैं. बिहार सरकार के मद्य निषेध एवं उत्पाद मंत्री ने कहा है कि बिहार के मॉडल को दूसरे राज्यों में पसंद किया जा रहा है.
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बिहार मॉडल को अपनाना चाह रहे हैं कई राज्यः मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने कहा है कि बिहार के मॉडल को कई राज्य अपनाना चाह रहे हैं. राज्यों के प्रतिनिधिमंडल बिहार का दौरा भी कर चुके हैं. फिलहाल राजस्थान की टीम बिहार में है और वह अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन कर चुकी है. उत्पाद विभाग के साथ भी बैठक कर उन्होंने विस्तार से जानकारी ली है. मंत्री ने जहरीली शराब से मौत के मामले को टाल दिया और कहा कि जांच के बाद में पता चल पाएगा की मौत किस वजह से हुई है.
बिहार में है राजस्थान की टीमः शराबबंदी आंदोलन की अध्यक्ष पूजा भारती छाबड़ा (President of Prohibition Movement Pooja Bharti Chhabra) की अगुवाई में राजस्थान से आई टीम ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की (Team from Rajasthan met CM Nitish Kumar) है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने 5 सदस्यीय टीम के सदस्यों को बताया कि किस तरह से बिहार सरकार नशामुक्ति उन्मूलन की दिशा में लगातार काम कर रही है. कहा जा रहा है कि बिहार के शराबबंदी मॉड्यूल को राजस्थान सरकार भी अपनाना चाह रही है. जिस वजह से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan CM Ashok Gehlot) के निर्देश पर शराबबंदी के अध्ययन के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दल बिहार भ्रमण पर आया है.
अप्रैल 2016 से शराबबंदी: दरअसल, 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया था. 1 अप्रैल 2016 से लागू हुए कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी नशीले पदार्थ या शराब का निर्माण वितरण परिवहन संग्रह भंडार खरीद बिक्री या उपभोग नहीं कर सकता है. हालांकि बिहार में जहरीली शराब से मौत के बाद शराबबंदी कानून को लेकर सवाल भी उठे हैं. जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई थी, उस समय सरकार को शराबबंदी की वजह से 4000 करोड़ की क्षति हुई थी. उसके बाद यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता गया. उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सामाजिक नुकसान इससे भी कहीं बढ़कर है. हम अन्य माध्यमों से घाटे की भरपाई करेंगे.
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