पटना: कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बाद दूसरे राज्यों से अपने घर लौटने वाले बिहारवासियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लौटने वालों में अधिकांश मजदूर और कामगार वर्ग के लोग हैं, जो प्रतिदिन मजदूरी कर अपना पेट और परिवार पालते हैं. हजारों की संख्या में प्रतिदिन लौट रहे मजदूरों को अपने राज्य लौटने के बाद रोजगार की समस्या दिखाई देने लगी है.
ये भी पढ़ें- बिहार में नीतीश सरकार के नेतृत्व में लिखी जा रही है विकास की गाथा: श्रवण कुमार
पिछले साल भी लॉकडाउन के दौरान 22 लाख लोगों में करीब 15 लाख से भी अधिक मजदूर वर्ग के ही लोग लौटे थे. इस बार बिहार सरकार अभी से ही लौटने वाले मजदूरों के लिए रोजगार और अन्य सुविधाओं की तैयारी में जुट गई है.
जॉब कार्ड बनाने की पूरी तैयारी
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इन मजदूरों को लेकर विभाग की तैयारी के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जो भी बिहारवासी अपने घर लौट रहे हैं, उन्हें रोजगार देने के लिए तमाम तैयारियां की जा रही है. पुरुषों को मनरेगा और महिलाओं को जीविका समूहों से जोड़ने के लिए सभी जिलों को निर्देश दिया गया है. पिछली बार करीब 2.5 लाख नए जॉब कार्ड बनाए गए थे. इस बार भी जॉब कार्ड बनाने के लिए पूरी तैयारी की गई है.
'सरकार सभी को काम देने में सक्षम'
इसके अलावा श्रवण कुमार ने बताया कि जीविका समूहों से महिलाओं को जोड़ने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं. ताकि ग्रामीण इलाके के किसी भी गरीब व्यक्ति को रोजगार से जुड़ी समस्यों का सामना ना करना पड़े. राज्य का कोई भी गरीब व्यक्ति अगर मजदूरी करना चाहता है तो उसे सौ दिन रोजगार गारंटी योजना के तहत काम जरूर मिलेगा. सरकार राज्य हर मजदूर और कामगार को काम देने के लिए सक्षम है.
ग्रामीण इलाकों में चलाई जा रही कई योजनाएं
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इसके साथ ही कहा कि इस बार पिछले साल की तुलना में लौटने वाले लोगों की संख्या काफी कम है. फिर भी हम हर परिस्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सभी योजनाएं ग्रामीण इलाकों में चालई जा रही हैं.