पटनाः कश्मीर में आतंकियों (Terrorists) के द्वारा प्रवासी मजदूरों की टारगेट किलिंग और सिलसिलेवार 5 बिहार के मजदूरों की हत्या (Killing of Bihari Laborers) के बाद वहां से पलायन शुरू हो गया है. रोजी-रोजगार के लिए कश्मीर गए बिहारी मजदूरों के सामने अब जान का संकट है. मंगलवार को जम्मू तवी-राजेन्द्र नगर अर्चना एक्सप्रेस से बड़ी संख्या में बिहार लौटे मजदूरों ने कहा कि वहां अब डर लगता है.
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दरअसल, इस महीने 5 तारीख के बाद से 5 बिहारी मजदूरों की आंतकियों ने मौत के घाट उतार दिया. मरने वालों में भागलपुर, बांका और अररिया के निवासी थे. इस घटना के बाद कश्मीर में रह रहे बिहारी नागरिकों को भय सताने लगा है. नतीजा ये हुआ कि लोगों का पलायन शुरू हो गया.
मंगलवार को पटना जम्मू तवी-राजेन्द्र नगर अर्चना एक्सप्रेस जब पटना पहुंची तो उससे उतरे यात्रियों के चेहरे पर डर साफ झलक रहा था. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब उनसे पूछा कि वे वापस क्यों लौट आए तो वे कहने लगे, जान है तो जहान है सर.. बचेंगे तो किसी तरह जिंदगी चलेगी ही. वहां आतंकवादियों की गोली का शिकार कौन बनता है?
कश्मीर से लौटे सुपौल के रहने वाले मोहम्मद शाकिर ने बताया कि घाटी में हालात बहुत खराब है. किसी तरह जान बचाकर वहां से भागे हैं. किसके साथ कब क्या हो जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है. उन्होंने कहा एक तो वे मजदूरी करके वहां रहते हैं. किसी तरह परिवार के कमाई करते हैं, दूसरी तरफ अब हर वक्त मौत का भय सताता रहता है.
सुपौल निवासी कश्मीर से लौटे नारायण ने कहा कि वहां के हालात ऐसे हैं कि वहां के लोग भी कहते हैं किसी तरह सुरक्षित यहां से लौट जाओ. हमने भी अपने मालिक से छुट्टी मांगी तो उन्होंने तुरंत दे दिया. इसके बाद नारायण का दर्द छलक पड़ा. उसने कहा कि अगर बिहार में भी रोजगार की पर्याप्त अवसर होते तो शायद आज ये दिन देखने को नहीं मिलता.
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शाकिर, नारायण, धर्मेंद्र, शंभू जैसे हजारों मजदूर हैं जो कश्मीर में रहकर जिंदगी का गुजर-बसर करते हैं. कुछ लौट रहे हैं तो कुछ अब भी परिवार पालने की मजबूरी में वहीं डटे हुए हैं. दुआ कीजिए आगे किसी के साथ कोई घटना ना घटे.