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पटना: 7 जुलाई को प्रखंड मुख्यालय पर प्रवासी मजदूर सौंपेंगे मांग पत्र

अखिल भारतीय खेत और ग्रामीण मजदूर सभा के महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ नहीं कर रही है. सरकार के सभी वादे झूठे साबित हो रहे हैं. यही कारण है कि अब मजदूर वापस जाने लगे हैं.

पटना
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Published : Jun 30, 2020, 8:27 PM IST

पटना: देश में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानियां हुई है. वहीं, बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों के सामने भी काफी समस्याएं हैं. अखिल भारतीय खेत और ग्रामीण मजदूर सभा के महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि फिर भी सरकार कुछ नहीं कर रही है. सरकार के सभी वादे झूठे साबित हो रहे हैं. यही कारण है कि अब मजदूर वापस भी लौटने लगे हैं. लेकिन उनका भविष्य पूरी तरह अंधकारमय है. लोगों की समस्याओं का समाधान करने की बजाय सरकार कहीं और व्यस्त है.

'मजदूरों का शोषण नहीं चलेगा'
धीरेंद्र झा ने कहा कि सरकार का सारा ध्यान चुनाव, वर्चुअल रैली और सम्मेलन पर है. सरकार लोगों की सहायता करने के बजाए चुनाव की तैयारी कर रही है. सरकार लोगों से आखिर ऐसे कैसे वोट मांगेगी. मजदूरों के लिए लॉकडाउन में भत्ता, राशन और रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया. प्रवासी मजदूर सरकार के खिलाफ काफी गुस्से में हैं. उन्होंने कहा कि मजदूरों का शोषण नहीं चलेगा.

देखें पूरी रिपोर्ट

'न्यूनतम मजदूरी फिक्स करे सरकार'
धीरेंद्र झा ने कहा कि हमारी मांग है कि प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार उचित रोजगार की व्यवस्था करे. आयकर दायरे से बाहर सभी परिवारों को 75 सौ रुपए 6 महीने तक दे. उन्होंने कहा कि सरकार मनरेगा में 200 दिन काम और 500 रूपये न्यूनतम मजदूरी फिक्स करे. अपनी मांगों को लेकर आगामी 7 जुलाई को प्रखंड मुख्यालयों पर मांग पत्र सौंपा जाएगा. अगर सरकार तभी हमारी मांगों को नहीं मानेगी, तो हम सरकार को घेरने का काम करेंगे.

पटना: देश में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानियां हुई है. वहीं, बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों के सामने भी काफी समस्याएं हैं. अखिल भारतीय खेत और ग्रामीण मजदूर सभा के महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि फिर भी सरकार कुछ नहीं कर रही है. सरकार के सभी वादे झूठे साबित हो रहे हैं. यही कारण है कि अब मजदूर वापस भी लौटने लगे हैं. लेकिन उनका भविष्य पूरी तरह अंधकारमय है. लोगों की समस्याओं का समाधान करने की बजाय सरकार कहीं और व्यस्त है.

'मजदूरों का शोषण नहीं चलेगा'
धीरेंद्र झा ने कहा कि सरकार का सारा ध्यान चुनाव, वर्चुअल रैली और सम्मेलन पर है. सरकार लोगों की सहायता करने के बजाए चुनाव की तैयारी कर रही है. सरकार लोगों से आखिर ऐसे कैसे वोट मांगेगी. मजदूरों के लिए लॉकडाउन में भत्ता, राशन और रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया. प्रवासी मजदूर सरकार के खिलाफ काफी गुस्से में हैं. उन्होंने कहा कि मजदूरों का शोषण नहीं चलेगा.

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'न्यूनतम मजदूरी फिक्स करे सरकार'
धीरेंद्र झा ने कहा कि हमारी मांग है कि प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार उचित रोजगार की व्यवस्था करे. आयकर दायरे से बाहर सभी परिवारों को 75 सौ रुपए 6 महीने तक दे. उन्होंने कहा कि सरकार मनरेगा में 200 दिन काम और 500 रूपये न्यूनतम मजदूरी फिक्स करे. अपनी मांगों को लेकर आगामी 7 जुलाई को प्रखंड मुख्यालयों पर मांग पत्र सौंपा जाएगा. अगर सरकार तभी हमारी मांगों को नहीं मानेगी, तो हम सरकार को घेरने का काम करेंगे.

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