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अब सैकड़ों नहीं हजारों की संख्या में घर लौट रहे प्रवासी, सरकार से रोजगार देने की मांग

देश के कई राज्यों से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर घर लौट रहे हैं. घर लौट रहे मजदूरों की मांग है कि सरकार उन्हें यहां रोजगार उपलब्ध कराए.

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Published : Apr 27, 2021, 4:58 PM IST

Migrant returning home
Migrant returning home

पटना: देश में कोरोना महामारी विकराल रूप लेने लगा है. जिसके बाद से कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू के साथ-साथ पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है. लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव घर लौट रहे हैं. मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है. कल-कारखाने बंद हो गए हैं. जिसके बाद से देश के कई हिस्सों से अब फिर से मजदूर अपने घर लौट रहे हैं.

यह भी पढ़ें- कोरोना को लेकर थोड़ी देर में CM नीतीश की अहम बैठक, ले सकते हैं कड़े फैसले

बिहार में मिले रोजगार
लोग इस उम्मीद में घर लौट रहे हैं कि अपने घर कुछ भी करके परिवार वालों के साथ जीवन यापन करेंगे. जो रोजी-रोजगार के साधन बिहार में उपलब्ध हो पाएगा, उससे अपने परिवार वालों का भरण-पोषण करेंगे. लेकिन पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद जो परेशानी आने में हुई थी, लोग उस परेशानी को दोबारा झेलना नहीं चाहते हैं. बिहार सरकार भी लगातार यह प्रयास कर रही है कि जो श्रमिक अपने घर लौट रहे हैं, उनको बिहार में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए.

Migrant returning home
जानकारी देते मजदूर

रोजगार मुहैया कराने के लिए सर्वे
बता दें कि श्रम संसाधन विभाग पंचायत स्तर पर लोगों के घर में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सर्वे पंजीकरण करा रही है. ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुरूप काम दिया जा सके. कई विभागों की ओर से लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार तत्पर है. लोगों को मनरेगा के तहत भी रोजगार उपलब्ध कराए जाने की बात कही जा रही है.


"चेन्नई से अपने घर लौट रहे हैं. चेन्नई में मैकेनिक का काम करते हैं. हम लोगों को अभी कोई परेशानी नहीं हो रही है. एंबुलेंस का काम हमेशा चलते रहता है, इमरजेंसी सेवा है, जिस कारण से हम लोगों पर उतना असर नहीं पड़ा है. लेकिन घर में शादी है इस कारण से अपने घर लौट रहे हैं"- संदीप शर्मा, मजदूर

Migrant returning home
घर लौट रहे प्रवासी मजदूर

यह भी पढ़ें- 'ESIC अस्पताल बना भूत खाना, कर क्या रहे हैं नीतीश कुमार और मंगल पांडेय
"बेंगलुरु में काम करते थे. परिवार में 8 लोग हैं, दो लोग कमाते हैं तो, पूरे परिवार का खर्चा चलता है. आने में अभी कोई परेशानी नहीं हुई है. लेकिन अगर लॉकडाउन लग जाएगा, तो घर-परिवार चलाने में काफी मुश्किल होगी. प्रतिदिन 500 रुपये कमा लेते थे. अब घर पर रहेंगे तो, जो काम यहां मिलेगा वो करेंगे"- अरुण, मजदूर


"चेन्नई में स्टील फैक्ट्री में काम करते हैं और महीने का 10 हजार कमाते हैं. उससे अपने घर-परिवार का भरण-पोषण करते हैं. कल-कारखाने बंद होने के बाद अपने घर लौट रहे हैं. बिहार में रोजगार का कोई साधन नहीं है. अगर कोई रोजगार मिलता भी है तो महीने में दो-चार दिन मिल पाता है. ऐसे में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. लेकिन महामारी के कारण अपने घर पर लौट आए हैं"- नवल, मजदूर

Migrant returning home
रेलवे स्टेशनों पर नहीं है व्यवस्था

"बेंगलुरु में लॉकडाउन लगा दिया गया है. अभी आने में कोई परेशानी नहीं हुई है. लेकिन जो लोग अब आएंगे, उनको परेशानी का सामना करना पड़ेगा. बिहार में भी हालात बहुत ही खराब है. व्यवस्था जो होनी चाहिए थी, वह व्यवस्था रेलवे स्टेशनों पर नहीं देखने को मिल रही है. लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं"- गौरव, छात्र
इसे भी पढ़ेंः सांसद चिराग पासवान ने CM को लिखा पत्र- 'जमुई में है चार वेंटिलेटर, टेक्नीशियन एक भी नहीं

अस्पतालों में बेड की कमी
बता दें बिहार में प्रतिदिन 10 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. अस्पतालों में बेड तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. लोग ऑक्सीजन के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मरीज और परिजन हॉस्पिटल का चक्कर लगाकर दम तोड़ दे रहे हैं. ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर काफी घातक बन गयी है. जो मजदूर अपने घर लौट रहे हैं, उनका यही कहना है कि परिवार के साथ रहेंगे, जैसे जिंदगी चलेगी, वैसे चलाई जाएगी.

पटना: देश में कोरोना महामारी विकराल रूप लेने लगा है. जिसके बाद से कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू के साथ-साथ पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है. लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव घर लौट रहे हैं. मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है. कल-कारखाने बंद हो गए हैं. जिसके बाद से देश के कई हिस्सों से अब फिर से मजदूर अपने घर लौट रहे हैं.

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बिहार में मिले रोजगार
लोग इस उम्मीद में घर लौट रहे हैं कि अपने घर कुछ भी करके परिवार वालों के साथ जीवन यापन करेंगे. जो रोजी-रोजगार के साधन बिहार में उपलब्ध हो पाएगा, उससे अपने परिवार वालों का भरण-पोषण करेंगे. लेकिन पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद जो परेशानी आने में हुई थी, लोग उस परेशानी को दोबारा झेलना नहीं चाहते हैं. बिहार सरकार भी लगातार यह प्रयास कर रही है कि जो श्रमिक अपने घर लौट रहे हैं, उनको बिहार में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए.

Migrant returning home
जानकारी देते मजदूर

रोजगार मुहैया कराने के लिए सर्वे
बता दें कि श्रम संसाधन विभाग पंचायत स्तर पर लोगों के घर में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सर्वे पंजीकरण करा रही है. ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुरूप काम दिया जा सके. कई विभागों की ओर से लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार तत्पर है. लोगों को मनरेगा के तहत भी रोजगार उपलब्ध कराए जाने की बात कही जा रही है.


"चेन्नई से अपने घर लौट रहे हैं. चेन्नई में मैकेनिक का काम करते हैं. हम लोगों को अभी कोई परेशानी नहीं हो रही है. एंबुलेंस का काम हमेशा चलते रहता है, इमरजेंसी सेवा है, जिस कारण से हम लोगों पर उतना असर नहीं पड़ा है. लेकिन घर में शादी है इस कारण से अपने घर लौट रहे हैं"- संदीप शर्मा, मजदूर

Migrant returning home
घर लौट रहे प्रवासी मजदूर

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"बेंगलुरु में काम करते थे. परिवार में 8 लोग हैं, दो लोग कमाते हैं तो, पूरे परिवार का खर्चा चलता है. आने में अभी कोई परेशानी नहीं हुई है. लेकिन अगर लॉकडाउन लग जाएगा, तो घर-परिवार चलाने में काफी मुश्किल होगी. प्रतिदिन 500 रुपये कमा लेते थे. अब घर पर रहेंगे तो, जो काम यहां मिलेगा वो करेंगे"- अरुण, मजदूर


"चेन्नई में स्टील फैक्ट्री में काम करते हैं और महीने का 10 हजार कमाते हैं. उससे अपने घर-परिवार का भरण-पोषण करते हैं. कल-कारखाने बंद होने के बाद अपने घर लौट रहे हैं. बिहार में रोजगार का कोई साधन नहीं है. अगर कोई रोजगार मिलता भी है तो महीने में दो-चार दिन मिल पाता है. ऐसे में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. लेकिन महामारी के कारण अपने घर पर लौट आए हैं"- नवल, मजदूर

Migrant returning home
रेलवे स्टेशनों पर नहीं है व्यवस्था

"बेंगलुरु में लॉकडाउन लगा दिया गया है. अभी आने में कोई परेशानी नहीं हुई है. लेकिन जो लोग अब आएंगे, उनको परेशानी का सामना करना पड़ेगा. बिहार में भी हालात बहुत ही खराब है. व्यवस्था जो होनी चाहिए थी, वह व्यवस्था रेलवे स्टेशनों पर नहीं देखने को मिल रही है. लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं"- गौरव, छात्र
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अस्पतालों में बेड की कमी
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