पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे ही महागठबंधन के सहयोगी दलों के अन्दर बेचैनी बढ़ती जा रही है. महागठबंधन में उपेक्षित महसूस कर रहे मांझी, कुशवाहा और सहनी ने बैठक की है. इससे पहले राजद ने क्लीयर कर दिया है कि गठबंधन में जिनको रहना है रहें, जिन्हें नहीं रहना है. वे रास्ता देख लें. राजद के इस रुख के बाद महागठबंधन के तीन सहयोगी दल हम, आरएलएसएपी और वीआईपी के नेता लगातार एक-दूसरे से संपर्क साध रहे हैं.
सोमवार को एक बार फिर से मांझी की अध्यक्षता में उनके आवास पर बैठक हुई, जिसमे गठबंधन के भविष्य पर चर्चा कि गई. बैठक के बाद जीतन राम मांझी ने कहा कि अब आगे क्या होगा, इस पर चर्चा के लिए हम लोग इकट्ठे हुए. हम लोगों ने आपस में बातचीत की है कि जिस तरह से हमारी मांग को खारिज किया जा रहा है. उसने हम लोगों को सोंचने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
नहीं बनाई गई कोआर्डिनेशन कमेटी
मांझी ने कहा कि कांग्रेस समेत हम सभी नेताओं ने महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की. लेकिन राजद की तरफ से हमारी मांग को खारिज किया जा रहा है. इतना हीं नहीं राजद की तरफ से कहा जा रहा है कि जिनको जहां जाना है जाएं लेकिन कमेटी नहीं बनेगी. इस विषय में लालू यादव से बात करने की कोशिश की जा रही है.
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- बहरहाल, मांझी, सहनी और कुशवाहा की इस बैठक से साफ हो गया है कि महागठबंध में आने वाले समय में घमासाम होना तय है. राजनीतिक पंडितों की मानें तो बिहार में तीसरे मोर्चे की तैयारी चल रही है.