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Patna News: IGIMS में अब मरीज के परिजनों को दवा के लिए नहीं करनी पड़ेगी मशक्कत, बेड पर ही कराई जाएगी उपलब्ध

राजधानी पटना के आईजीआईएमएस (IGIMS In Patna) में मरीजों की परेशानी कम होने वाली है. मरीजो के लिए अस्पताल कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके तहत अब मरीज के परिजनों को दवा के लिए कई जगह चक्कर नहीं काटना पड़ेगा. उन्हें सभी सुविधाएं उनके बेड पर ही मुहैया कराई जाएगी. आगे पढ़ें पूरी खबर...

आईजीआईएमएस में विभिन्न ब्रांड्स की दवाइयां
आईजीआईएमएस में विभिन्न ब्रांड्स की दवाइयां
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Published : Mar 9, 2023, 4:06 PM IST

आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल

पटना: राजधानी पटना के आईजीआईएमएस में आने वाले दिनों में पेशेंट केयर के दृष्टिकोण से कई सुविधाएं विकसित होने जा रही हैं और इसके तहत अब मरीज के परिजनों को दवाइयां खरीदने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल (IGIMS Superintendent Manish Mandal) का कहना है कि आईजीआईएमएस प्रबंधन ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है कि विभिन्न ब्रांड्स की दवाइयां मरीज को बेड पर प्रिसक्रिप्शन के साथ सीधे उपलब्ध हो जाएगी. इसके साथ ही जांच की पूरी प्रक्रिया को भी आईजीआईएमएस प्रबंधन डिजिटल बनाने पर काम कर रहा है जिससे कि जांच रिपोर्ट लेकर मरीज और मरीज के परिजनों को अस्पताल में इधर-उधर भटकना नहीं पड़े.

पढ़ें-Patna News: 4 मार्च से दो दिवसीय पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस का आयोजन, देश-विदेश से जुटेंगे नामी डॉक्टर्स

व्यवस्था को कंप्यूटराइज करने की पहल: आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि अगर कोई गंभीर स्थिति में मरीज आता है तो एक अटेंडेंट मरीज के दवा के लिए भटकता है. एक व्यक्ति मरीज की जांच के लिए भटकता है एक परिजन मरीज के साथ रहता है और एक व्यक्ति अन्य चीजों के लिए भटकता है. ऐसे में एक मरीज के साथ चार अटेंडेंट की आवश्यकता हो जाती है. इस मामले को उन लोगों ने गंभीरता से स्टडी किया है और फिर इसका निदान क्या हो सकता है. इसके लिए हम लोगों ने देखा कि सबसे पहले अगर कोई भर्ती होता है तो व्यवस्था को कंप्यूटराइज कर दिया जाए तो काफी हद तक समस्या का निदान हो सकता है.


टाइम बेस्ड हो पाएगा ट्रीटमेंट: डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति ब्लड टेस्ट के लिए देता है तो व्यवस्था कंप्यूटराइज है तो यह पता चल पाएगा कि व्यक्ति ने ब्लड टेस्ट का सैंपल कब दिया है, पैसा कब दिया है और कब रिपोर्ट मिलना है और अगर रिपोर्ट नहीं मिला तो क्या कारण हुई. व्यवस्था कंप्यूटराइज हो गई तो कहीं भी गड़बड़ी होती है तो मैनेजमेंट को तुरंत पता चल जाएगा. जिसके बाद मरीज के बेहतर निदान के लिए प्रबंधन अगली कार्रवाई करेगा. ब्लड टेस्ट का समय पर रिपोर्ट नहीं आ पाया तो उस पर एक्शन लिया जा सकेगा. इस प्रक्रिया से टाइम बेस्ड ट्रीटमेंट शुरू हो जाएगा कि कैसे कम से कम समय में मरीज को बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा सके.

"कोई व्यक्ति ब्लड टेस्ट के लिए देता है तो व्यवस्था कंप्यूटराइज है तो यह पता चल पाएगा कि व्यक्ति ने ब्लड टेस्ट का सैंपल कब दिया है, पैसा कब दिया है और कब रिपोर्ट मिलना है और अगर रिपोर्ट नहीं मिला तो क्या कारण हुई. व्यवस्था कंप्यूटराइज हो गई तो कहीं भी गड़बड़ी होती है तो मैनेजमेंट को तुरंत पता चल जाएगा. जिसके बाद मरीज के बेहतर निदान के लिए प्रबंधन अगली कार्रवाई करेगा. ब्लड टेस्ट का समय पर रिपोर्ट नहीं आ पाया तो उस पर एक्शन लिया जा सकेगा. इस प्रक्रिया से टाइम बेस्ड ट्रीटमेंट शुरू हो जाएगा कि कैसे कम से कम समय में मरीज को बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा सके."-डॉक्टर मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस

मरीज को आसानी से मिलेगी दवाई: अब तक मरीज को प्रिसक्राइब किए गए दवाइयों को ढूंढने के लिए परिजन परेशान रहते थे लेकिन अब मरीज के वार्ड में जो सिस्टर इंचार्ज रहेंगी वह कंप्यूटर पर प्रिसक्रिप्शन से दवाइयों का लिस्ट देख लेंगी और मरीज के बेड पर दवा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगी. डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि अब तक कई लोगों को सरकारी दवाइयों की गुणवत्ता पर संदेह होता था ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने हर दवा के कंपोजीशन के लिए तीन से चार ब्रांड्स से करार किया है. जिसके तहत सीन है मैन्युफैक्चरिंग सेंटर और अस्पताल के बीच डीलिंग है. मरीज के लिए परिजन जिस कंपनी की दवा की बात कहेंगे उस कंपनी की दवा मरीज के बेड पर उपलब्ध होगी और वह भी बाजार भाव से 40 से 60% कम दाम में, ऐसा इसलिए क्योंकि बीच में कोई बिचौलिया नहीं है.

आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल

पटना: राजधानी पटना के आईजीआईएमएस में आने वाले दिनों में पेशेंट केयर के दृष्टिकोण से कई सुविधाएं विकसित होने जा रही हैं और इसके तहत अब मरीज के परिजनों को दवाइयां खरीदने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल (IGIMS Superintendent Manish Mandal) का कहना है कि आईजीआईएमएस प्रबंधन ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है कि विभिन्न ब्रांड्स की दवाइयां मरीज को बेड पर प्रिसक्रिप्शन के साथ सीधे उपलब्ध हो जाएगी. इसके साथ ही जांच की पूरी प्रक्रिया को भी आईजीआईएमएस प्रबंधन डिजिटल बनाने पर काम कर रहा है जिससे कि जांच रिपोर्ट लेकर मरीज और मरीज के परिजनों को अस्पताल में इधर-उधर भटकना नहीं पड़े.

पढ़ें-Patna News: 4 मार्च से दो दिवसीय पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस का आयोजन, देश-विदेश से जुटेंगे नामी डॉक्टर्स

व्यवस्था को कंप्यूटराइज करने की पहल: आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि अगर कोई गंभीर स्थिति में मरीज आता है तो एक अटेंडेंट मरीज के दवा के लिए भटकता है. एक व्यक्ति मरीज की जांच के लिए भटकता है एक परिजन मरीज के साथ रहता है और एक व्यक्ति अन्य चीजों के लिए भटकता है. ऐसे में एक मरीज के साथ चार अटेंडेंट की आवश्यकता हो जाती है. इस मामले को उन लोगों ने गंभीरता से स्टडी किया है और फिर इसका निदान क्या हो सकता है. इसके लिए हम लोगों ने देखा कि सबसे पहले अगर कोई भर्ती होता है तो व्यवस्था को कंप्यूटराइज कर दिया जाए तो काफी हद तक समस्या का निदान हो सकता है.


टाइम बेस्ड हो पाएगा ट्रीटमेंट: डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति ब्लड टेस्ट के लिए देता है तो व्यवस्था कंप्यूटराइज है तो यह पता चल पाएगा कि व्यक्ति ने ब्लड टेस्ट का सैंपल कब दिया है, पैसा कब दिया है और कब रिपोर्ट मिलना है और अगर रिपोर्ट नहीं मिला तो क्या कारण हुई. व्यवस्था कंप्यूटराइज हो गई तो कहीं भी गड़बड़ी होती है तो मैनेजमेंट को तुरंत पता चल जाएगा. जिसके बाद मरीज के बेहतर निदान के लिए प्रबंधन अगली कार्रवाई करेगा. ब्लड टेस्ट का समय पर रिपोर्ट नहीं आ पाया तो उस पर एक्शन लिया जा सकेगा. इस प्रक्रिया से टाइम बेस्ड ट्रीटमेंट शुरू हो जाएगा कि कैसे कम से कम समय में मरीज को बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा सके.

"कोई व्यक्ति ब्लड टेस्ट के लिए देता है तो व्यवस्था कंप्यूटराइज है तो यह पता चल पाएगा कि व्यक्ति ने ब्लड टेस्ट का सैंपल कब दिया है, पैसा कब दिया है और कब रिपोर्ट मिलना है और अगर रिपोर्ट नहीं मिला तो क्या कारण हुई. व्यवस्था कंप्यूटराइज हो गई तो कहीं भी गड़बड़ी होती है तो मैनेजमेंट को तुरंत पता चल जाएगा. जिसके बाद मरीज के बेहतर निदान के लिए प्रबंधन अगली कार्रवाई करेगा. ब्लड टेस्ट का समय पर रिपोर्ट नहीं आ पाया तो उस पर एक्शन लिया जा सकेगा. इस प्रक्रिया से टाइम बेस्ड ट्रीटमेंट शुरू हो जाएगा कि कैसे कम से कम समय में मरीज को बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा सके."-डॉक्टर मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस

मरीज को आसानी से मिलेगी दवाई: अब तक मरीज को प्रिसक्राइब किए गए दवाइयों को ढूंढने के लिए परिजन परेशान रहते थे लेकिन अब मरीज के वार्ड में जो सिस्टर इंचार्ज रहेंगी वह कंप्यूटर पर प्रिसक्रिप्शन से दवाइयों का लिस्ट देख लेंगी और मरीज के बेड पर दवा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगी. डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि अब तक कई लोगों को सरकारी दवाइयों की गुणवत्ता पर संदेह होता था ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने हर दवा के कंपोजीशन के लिए तीन से चार ब्रांड्स से करार किया है. जिसके तहत सीन है मैन्युफैक्चरिंग सेंटर और अस्पताल के बीच डीलिंग है. मरीज के लिए परिजन जिस कंपनी की दवा की बात कहेंगे उस कंपनी की दवा मरीज के बेड पर उपलब्ध होगी और वह भी बाजार भाव से 40 से 60% कम दाम में, ऐसा इसलिए क्योंकि बीच में कोई बिचौलिया नहीं है.

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