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पटना में खुलने लगी मीट और मछली की दुकान, रंग ला रहा पशुपालन विभाग का प्रयास

मछली विक्रेताओं का मानना है कि अब मछली की बिक्री हो रही है. दुकानदारों ने बताया कि इससे हमारे दो समय के भोजन का इंतजाम हो जाएगा. प्रशासन किसी भी तरह से मछली बेचने में नहीं रोक रही है.

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Published : Apr 11, 2020, 3:26 PM IST

मीट और मछली के दुकान
मीट और मछली के दुकान

पटना: बर्ड फ्लू और कोरोना संकट के समय बिहार में मछली बाजार और मीट की दुकान को लेकर बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो गया था. बर्ड फ्लू मिलने के बाद लोगों ने मीट खाना पूरी तरह से बंद कर दिया था. मछली बाजार में भी ये समस्याएं उत्पन्न हो गई थी. बर्ड फ्लू और कोरोना संकट को देखते हुए सरकार ने मछली बाजार समेत मीट के दुकानों को बंद करवा दिया था. लेकिन, कोरोना वायरस से मछली और मीट खाने को लेकर कोई संबंध नहीं पाए जाने के बाद सरकार ने व्यापक प्रचार-प्रसार किया. जिसके बाद मछली और मीट के दुकान एक बार फिर से खुलने लगे हैं.

'धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा बाजार'
ग्राहक अब धीरे-धीरे लॉक डॉन के दौरान भी मछली और मीट बाजार में पहुंचने लगे हैं. मछली विक्रेताओं का मानना है कि अब मछली की बिक्री हो रही है. दुकानदारों ने बताया कि इससे हमारे दो वक्त के भोजन का इंतजाम हो जाएगा. प्रशासन किसी भी तरह से मछली बेचने में नहीं रोक रही है. वहीं, मछली बेचने वाली एक महिला ने बताया कि मंडी में सिर्फ और सिर्फ लोकल मछली ही उपलब्ध है. इस वजह से अभी रेट मंहगा है. बाहर से मछली नही आ रहा है. इसीलिए कम मुनाफा पर ही बेचना पर रह है. लेकिन ग्राहक आ रहे हैं और धीरे- धीरे बिक्री भी रफ्तार पकड़ रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मछली-मीट खाने से कोरोना का संबंध नहीं
गौरतलब है कि कोरोना के भय से लोगों ने मछली-मीट खाना बंद कर दिया था. इस वजह से देश का पॉल्ट्री उद्योग लगभग घाराशाई हो गया था. सरकारी आंकड़े के अनुसार देश में पॉल्ट्री उद्योग प्रभावित होने से रोजाना 15 सौ से 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था. इस वजह से 10 लाख किसानों और 5 करोड़ से भी अधिक लोगों के रोजी-रोजगार पर संकट मंडराने लगा था. पशुपालन विभाग के अनुसार चिकन, अंडा, मांस और मछली का कोरोना वायरस फैलने से लेकर कोई संबंध नहीं है. महज अफवाहों के कारण पॉल्ट्री उद्योग से जुडे़ देश के लगभग 10 करोड़ किसानों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहे थे. बता दें कि अफवह के बाद पशुपालन विभाग ने इसको लेकर व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया. जिसके बाद धीरे-धीरे ही सही लेकिन राजधानी पटना में मछली और मीट के बाजार खुलने लगे हैं.

पटना: बर्ड फ्लू और कोरोना संकट के समय बिहार में मछली बाजार और मीट की दुकान को लेकर बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो गया था. बर्ड फ्लू मिलने के बाद लोगों ने मीट खाना पूरी तरह से बंद कर दिया था. मछली बाजार में भी ये समस्याएं उत्पन्न हो गई थी. बर्ड फ्लू और कोरोना संकट को देखते हुए सरकार ने मछली बाजार समेत मीट के दुकानों को बंद करवा दिया था. लेकिन, कोरोना वायरस से मछली और मीट खाने को लेकर कोई संबंध नहीं पाए जाने के बाद सरकार ने व्यापक प्रचार-प्रसार किया. जिसके बाद मछली और मीट के दुकान एक बार फिर से खुलने लगे हैं.

'धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा बाजार'
ग्राहक अब धीरे-धीरे लॉक डॉन के दौरान भी मछली और मीट बाजार में पहुंचने लगे हैं. मछली विक्रेताओं का मानना है कि अब मछली की बिक्री हो रही है. दुकानदारों ने बताया कि इससे हमारे दो वक्त के भोजन का इंतजाम हो जाएगा. प्रशासन किसी भी तरह से मछली बेचने में नहीं रोक रही है. वहीं, मछली बेचने वाली एक महिला ने बताया कि मंडी में सिर्फ और सिर्फ लोकल मछली ही उपलब्ध है. इस वजह से अभी रेट मंहगा है. बाहर से मछली नही आ रहा है. इसीलिए कम मुनाफा पर ही बेचना पर रह है. लेकिन ग्राहक आ रहे हैं और धीरे- धीरे बिक्री भी रफ्तार पकड़ रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मछली-मीट खाने से कोरोना का संबंध नहीं
गौरतलब है कि कोरोना के भय से लोगों ने मछली-मीट खाना बंद कर दिया था. इस वजह से देश का पॉल्ट्री उद्योग लगभग घाराशाई हो गया था. सरकारी आंकड़े के अनुसार देश में पॉल्ट्री उद्योग प्रभावित होने से रोजाना 15 सौ से 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था. इस वजह से 10 लाख किसानों और 5 करोड़ से भी अधिक लोगों के रोजी-रोजगार पर संकट मंडराने लगा था. पशुपालन विभाग के अनुसार चिकन, अंडा, मांस और मछली का कोरोना वायरस फैलने से लेकर कोई संबंध नहीं है. महज अफवाहों के कारण पॉल्ट्री उद्योग से जुडे़ देश के लगभग 10 करोड़ किसानों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहे थे. बता दें कि अफवह के बाद पशुपालन विभाग ने इसको लेकर व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया. जिसके बाद धीरे-धीरे ही सही लेकिन राजधानी पटना में मछली और मीट के बाजार खुलने लगे हैं.

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