पटना: 28 फरवरी को बिहार बजट 2022 (Bihar Budget 2022) पेश होगा. इस बजट में कुछ ऐसे विभागों पर विशेष नजर है, जो सीधे-सीधे युवाओं और बच्चों से जुड़े हैं. शिक्षा एक ऐसा ही विभाग है, जिस पर हर वर्ष बिहार सरकार अपने बजट का सबसे ज्यादा खर्च करती है. एक बार फिर शिक्षा को लेकर बजट से बड़ी उम्मीदें हैं. विशेष रुप से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New National Education Policy) के प्रावधानों को लागू करने को लेकर बजट में विशेष प्रावधान की संभावना जताई जा रही है.
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वर्ष 2021-22 के बिहार बजट पर गौर करें तो कुल 2 लाख अट्ठारह हजार करोड़ के बजट में शिक्षा के लिए सरकार ने सबसे ज्यादा लगभग 17% यानी 38035.93 करोड रुपए का प्रावधान किया था. पिछले बाहर के शिक्षा के बजट पर ध्यान दें तो कुल 38035.93 करोड रुपए के बजट में राज्य समुद्र में 36971.29 करोड़ और पूंजीगत में मध्य में 1064.64 करोड रुपए का प्रस्ताव किया गया था. 2021-22 के प्रस्तावित बजट में चरणबद्ध तरीके से स्कूल और यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की बहाली की बात कही गई थी.
बात आने वाले बजट की करें तो सरकार ने वर्ष 2030 तक हंड्रेड परसेंट लिटरेसी का लक्ष्य रखा है. इसे लेकर शिक्षा की तमाम सुविधाएं मुहैया कराने का दावा सरकार करती रही है लेकिन अब भी बिहार के सरकारी स्कूलों में 2 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. वहीं कॉलेजों में भी बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं. सिर्फ टीचिंग स्टाफ ही नहीं बल्कि नॉन टीचिंग स्टाफ की स्कूल और कॉलेज के साथ यूनिवर्सिटीज में भी भारी कमी है, जिस वजह से प्रशासनिक और गैर शैक्षणिक कार्यों में देर होती है.
वर्ष 2022-23 में सरकार के सामने नए बनाए गए हाई स्कूलों में सभी सुविधाएं मुहैया कराना एक बड़ा टास्क है. स्कूलों में बेंच डेस्क से लेकर डिजिटल एजुकेशन के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराना सरकार के लिए इस बार अहम है. इसके अलावा शिक्षकों की कमी दूर करना और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों को नजदीकी प्राथमिक स्कूलों से टैग करते हुए इसमें 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को तमाम सुविधाएं मुहैया कराना भी महत्वपूर्ण लक्ष्य है. हायर एजुकेशन की बात करें तो अब तक बिहार के कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो पाई है. सरकार के सामने वर्ष 2035 तक हायर एजुकेशन में जीईआर यानी सकल नामांकन अनुपात 50 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य है. इसे लेकर इस बार के बजट में महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने को लेकर बिहार में एक तरफ जहां शिक्षकों की कमी दूर करना है, वहीं प्राथमिक स्कूलों में स्थानीय भाषा में पढ़ाई और मध्य विद्यालयों में वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई के मद्देनजर भी घोषणाएं हो सकती हैं. जानकारी के मुताबिक अब तक कक्षा 1 से 8 तक के स्कूल से बाहर के बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने का लक्ष्य सरकार ने निर्धारित किया है. अब इसमें कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा. शिक्षा के बजट में एक तरफ शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन और पेंशन दूसरी तरफ साइकिल, पोशाक और छात्रवृत्ति पर सरकार का बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. इसके अलावा मैट्रिक और इंटर पास करने वाली बालिकाओं को भी सरकार प्रोत्साहन राशि देती है.
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