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हरतालिका तीज पर पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत, जानें कब तक है शुभ मुहूर्त

पूरे बिहार में हरतालिका तीज धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज सुहागन महिलाएं सोलह शृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करेंगी. साथ ही अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना करेंगी. कुंवारी लड़कियां भी योग्य पति की चाह में यह व्रत रखती हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Sep 9, 2021, 6:33 AM IST

पटना: प्रदेश सहित पूरे देश भर में आज हरतालिका तीज (Hartalika Teej) मनाया जा रहा है. हरतालिका तीज पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है. इस व्रत को हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल का तीज व्रत अत्यंत खास है. आज के दिन बनने वाला शुभ योग कई सालों के बाद बन रहा है.

यह भी पढ़ें - 'हाय रे सजनवा मिलनवा के आस बा.., ले ले अइह बालम बजरिया से चुनरी..' सुनिए महिलाओं की सुरीली फरमाइश

हरतालिका तीज को लेकर ऐसा कहा जा रहा है कि यह योग तकरीबन 14 साल बाद बन रहा है. इस योग को बेहद शुभ माना जाता है और मान्यता है कि इस योग में जो महिलाएं पूजन करेंगी, उनके पति के लंबी उम्र के साथ-साथ सभी तरह के मनोकामना पूर्ण होंगी.

देखें वीडियो

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि यह पूजा मुक्त माता पार्वती का पूजन है. जिसे लोग हरतालिका तीज व्रत कहते हैं. उन्होंने कहा कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को यह व्रत किया जाता है. इस दिन हस्तयुक्त नक्षत्र जब आता है तो काफी शुभ होता है. इस नक्षत्र में महिलाएं पूजा करें, जाप करें और उसके बाद आरती करें, तो अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

वहीं, हरतालिका नाम क्यों पड़ा उसको लेकर आचार्य ने बताया कि माता पार्वती के पिता राजा हिमवान ने माता पार्वती से कहा कि तुम्हारा विवाह विष्णु भगवान से तय कर दिया हूं, इतनी बात सुनकर के माता पार्वती रुष्ट हो गई और व्याकुल होकर अपने साथी के घर चली गई. वहीं माता के सखियों ने कारण पूछा क्यों चिंतित है. उसके बाद सखियों ने माता पार्वती को लेकर एक घने जंगल में जाकर नदी के किनारे पर एक बने कुंद्रा में रहकर भगवान शिव का आराधना करने लगी और भगवान शिव का प्रतिमा बालू की रेत से बनाकर के पूजा अर्चना की.

उन्होंने आगे बताया कि वह अपने भगवान शिव को ही पति मान चुकी थी. जिस दिन वह पूजा की उस दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि थी. माता पार्वती को सखियों के द्वारा हर ले गया था. जिस कारण से इस वक्त का नाम हरतालिका पड़ा.

आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि सुहागिन महिलाएं हो या अविवाहित कन्या हो दोनों इस व्रत को करती हैं. हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त 10:48 बजे सुबह से लेकर शाम में 6:52 तक शुभ मुहूर्त है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और बहुत सारी महिलाएं रात में पूजा अर्चना के बाद सो जाती है. साथ ही बहुत सारी महिलाएं गीत मंगल करके रात भर जगी रहती हैं.

महिलाएं हरतालिका तीज व्रत के दिन निर्जला और निराहार व्रत करती हैं. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए महिलाएं इस व्रत को पूजा विधि के साथ करती हैं. वहीं, आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि हरतालिका तीज व्रत के दिन पूजा अर्चना के साथ-साथ सागर महिलाएं माता पार्वती का जाप भी करें और भगवान शिव का जाप भी करें तो मनोकामना पूर्ण होता है.

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पटना: प्रदेश सहित पूरे देश भर में आज हरतालिका तीज (Hartalika Teej) मनाया जा रहा है. हरतालिका तीज पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है. इस व्रत को हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल का तीज व्रत अत्यंत खास है. आज के दिन बनने वाला शुभ योग कई सालों के बाद बन रहा है.

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हरतालिका तीज को लेकर ऐसा कहा जा रहा है कि यह योग तकरीबन 14 साल बाद बन रहा है. इस योग को बेहद शुभ माना जाता है और मान्यता है कि इस योग में जो महिलाएं पूजन करेंगी, उनके पति के लंबी उम्र के साथ-साथ सभी तरह के मनोकामना पूर्ण होंगी.

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ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि यह पूजा मुक्त माता पार्वती का पूजन है. जिसे लोग हरतालिका तीज व्रत कहते हैं. उन्होंने कहा कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को यह व्रत किया जाता है. इस दिन हस्तयुक्त नक्षत्र जब आता है तो काफी शुभ होता है. इस नक्षत्र में महिलाएं पूजा करें, जाप करें और उसके बाद आरती करें, तो अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

वहीं, हरतालिका नाम क्यों पड़ा उसको लेकर आचार्य ने बताया कि माता पार्वती के पिता राजा हिमवान ने माता पार्वती से कहा कि तुम्हारा विवाह विष्णु भगवान से तय कर दिया हूं, इतनी बात सुनकर के माता पार्वती रुष्ट हो गई और व्याकुल होकर अपने साथी के घर चली गई. वहीं माता के सखियों ने कारण पूछा क्यों चिंतित है. उसके बाद सखियों ने माता पार्वती को लेकर एक घने जंगल में जाकर नदी के किनारे पर एक बने कुंद्रा में रहकर भगवान शिव का आराधना करने लगी और भगवान शिव का प्रतिमा बालू की रेत से बनाकर के पूजा अर्चना की.

उन्होंने आगे बताया कि वह अपने भगवान शिव को ही पति मान चुकी थी. जिस दिन वह पूजा की उस दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि थी. माता पार्वती को सखियों के द्वारा हर ले गया था. जिस कारण से इस वक्त का नाम हरतालिका पड़ा.

आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि सुहागिन महिलाएं हो या अविवाहित कन्या हो दोनों इस व्रत को करती हैं. हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त 10:48 बजे सुबह से लेकर शाम में 6:52 तक शुभ मुहूर्त है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और बहुत सारी महिलाएं रात में पूजा अर्चना के बाद सो जाती है. साथ ही बहुत सारी महिलाएं गीत मंगल करके रात भर जगी रहती हैं.

महिलाएं हरतालिका तीज व्रत के दिन निर्जला और निराहार व्रत करती हैं. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए महिलाएं इस व्रत को पूजा विधि के साथ करती हैं. वहीं, आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि हरतालिका तीज व्रत के दिन पूजा अर्चना के साथ-साथ सागर महिलाएं माता पार्वती का जाप भी करें और भगवान शिव का जाप भी करें तो मनोकामना पूर्ण होता है.

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