पटना: पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है. प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक 'पीएनडीटी' एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है. इन कानूनों का पटना में कितना पालन हो रहा है यह जानने की कोशिश की ईटीवी भारत की टीम ने.
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भ्रूण परीक्षण अपराध
पटना में लगभग 2000 के करीब रेडियोलॉजी सेंटर हैं. शहर के छोटे-बड़े अस्पतालों के अलावे भी विभिन्न इलाकों में छोटे बड़े रेडियोलोजी जांच सेंटर हैं जहां अल्ट्रासाउंड जांच होती है. शहर में चलने वाली सभी रेडियोलॉजी सेंटरों की अधिकृत जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास भी पूरी नहीं है और कई सेंटर बिना लाइसेंस वाले भी चल रहे हैं. भ्रूण के लिंग की जांच करने के मामले भी ऐसे ही सेंटरों से आते हैं. पटना के मखनिया कुआं इलाके में ही 20 से अधिक रेडियोलॉजी सेंटर हैं.
'हम किसी को भी भ्रूण के लिंग की जानकारी नहीं देते हैं, यह कानूनन जुर्म है और इस सेंटर पर इस बात की जानकारी नहीं दी जाती है. बकायदा इसका निर्देश भी क्लीनिक के अंदर और अल्ट्रासाउंड रूम के अंदर चिपकाया हुआ है.'- डॉ ज्योति चंद्र राय, कंसल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट
गरीब और अशिक्षित लोग भ्रूण परीक्षण के लिए आते हैं. लिंग जानने की उत्सुकता जब वे दिखाते हैं तो समझ में आता है कि शिक्षित नहीं हैं और इन्हें सही गलत की सही जानकारी नहीं है. मगर कई लोग ऐसे भी आते हैं जो काफी पढ़े लिखे रहते हैं और इशारों इशारों में तरह-तरह की बातें बनाकर कोख में पल रहे भ्रूण का लिंग जानने की कोशिश करते हैं.- डॉ ज्योति चंद्र राय, कंसल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट
क्या कहता है कानून
1994 के तहत गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण हत्या के लिए लिंग परीक्षण करना गुनाह है. भ्रूण परीक्षण के लिए सहयोग देना और विज्ञापन करना कानूनी अपराध है. इसके तहत 3 से 5 साल तक की जेल साथ ही 10 हजार से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.