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कैसे मिलेगा पितरों को मोक्ष? फल्गु नदी में बह रहा मनसरवा नाले का गंदा पानी, CM का आदेश भी बेअसर

बिहार के गया में दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. मोक्षदायिनी फल्गु नदी में पिंडदान और तर्पण किया जाता है. लेकिन फल्गु नदी में नाले का पानी मिल रहा है. सीएम ने कई बार इसे लेकर स्थानीय प्रशासन को आदेश दिए, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Oct 14, 2021, 1:32 PM IST

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया में लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण करने आते हैं. पितरों को मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षदायिनी फल्गु नदी (Falgu River Gaya) के पानी में तर्पण किया जाता है. मोक्ष दिलाने वाली फल्गु के पानी में गया शहर का गंदा पानी नाले के माध्यम से गिराया जा रहा है. मनसरवा नाले (Mansarwa Nala) का गंदा पानी फल्गु नदी में मिलने से लोग काफी परेशान हैं.

यह भी पढ़ें- नाले की गंदगी के कारण फल्गु का पानी बना 'जहर', आखिर सालों से उत्पन्न पेयजल संकट कब होगा दूर?

बता दें कि 2016 में गया शहर के माड़नपुर क्षेत्र में मनसरवा नाले से बाढ़ आयी थी. नीतीश कुमार नाले के पानी से आयी बाढ़ को देखने आए थे. उन्होंने मनसरवा नाला को अतिक्रमणमुक्त करने और फल्गु नदी में गिरने से रोकने के आदेश दिये थे. 2016 के आदेश पर संज्ञान नहीं लेने पर सीएम ने 2019 में भी आदेश दिए, लेकिन 2021 तक मनसरवा नाला जस का तस था. मुख्यमंत्री ने मनसरवा नाला का पानी फल्गु में गिरता देख काफी निराशा व्यक्त की थी और कहा था कि इसका जल्द समाधान निकाला जाए.

देखें वीडियो

यह भी पढ़ें- फल्गु नदी में तर्पण करने के लिए पूरे साल मिलेगा पानी, मुख्यमंत्री ने रबर डैम का किया शिलान्यास

दरअसल मनसरवा नाला सालों पहले मधुसरवा नदी हुआ करती थी. इस नदी का विलय फल्गु नदी में होता था. मधुसरवा नदी ब्रह्मयोनि पहाड़ से निकलती थी, जहां से मधुसरवा निकलती थी, वहां मधुमक्खियों के हजारों छत्ते थे, जिससे मधु टपकता रहता था. इसके पानी में मधु की सुगंध आती थी, इसलिए इस नदी को लोग मधुसरवा नदी कहने लगे.

गया शहर का धीरे-धीरे विकास हुआ और मधुसरवा नदी का अतिक्रमण होने लगा. उसी में घर का गंदा पानी प्रवाहित होने लगा. मधुसरवा के तट पर शहरीकरण होने से नदी का नाम और अस्तित्व बदल गया. मधुसरवा नदी मनसरवा नाला के रूप में जाना जाने लगा. आज मनसरवा नाला मोक्षदायिनी फल्गु को प्रदूषित करने पर आतुर है.

यह भी पढ़ें- पितृपक्ष : रूस से बिहार आई 6 महिलाएं, गया में किया पिंडदान

मनसरवा नाला का पानी फल्गु नदी के जिस क्षेत्र में तर्पण और कर्मकांड होता है उस क्षेत्र में नहीं गिरे,उसके लिए पहल किया गया था. पांच साल पहले श्मशान घाट के पीछे जहां मनसरवा नाला गिरता था, उससे करीब 300 मीटर की दूरी पर पक्के नाले का निर्माण कराया गया. लेकिन यहां पर ठेकेदार और इंजीनियर ने पैसे का बंदरबांट करते हुए नाले का मुहाना नदी से 5 फुट ऊपर बना दिया. यह नाला देव घाट तक बनाया गया था, लेकिन नाला कुछ महीने बाद ही कई जगह पर टूट गया हालांकि इस मामले को लेकर शुरू में हंगामा भी हुआ, लेकिन करवाई कुछ भी नहीं हुई.

गया शहर में माड़नपुर बाईपास के पास स्थित मधुसूदन कॉलोनी और अशोक विहार कॉलोनी के बीच से गुजरने वाला मनसरवा नाला लोगों के डर का कारण बन गया है. वर्ष 2016 में मनसरवा नाला में अतिक्रमणती होने से बाढ़ आ गया था. जिससे हजारों घर डूब गए थे. गया जैसे सूखे जगह में सरकारी लापरवाही से आये बाढ़ को देखने सूबे के मुख्यमंत्री भी पहुंचे थे.

यह भी पढ़ें- VIDEO : फल्गु नदी से पितरों को मोक्ष देने वाले 'बालू' की दिनदहाड़े चोरी

मुख्यमंत्री ने 2016 में भी आदेश दिए थे कि नाला का पानी फल्गु में नहीं गिरना चाहिए. उसके बाद नीतीश कुमार 2019 में पितृपक्ष मेला के पहले मेला क्षेत्र का निरीक्षण करने आये थे. उन्होंने उस वक्त मनसरवा नाला का पानी फल्गु में गिरते देख नाराजगी व्यक्त की थी. उस वक्त जिलाधिकारी से लेकर अन्य अधिकारियों ने इसका समाधान निकालने की बात कही थी. लेकिन मुख्यमंत्री 12 अक्टूबर को जब सीताकुंड में लक्ष्मण झूला का निरीक्षण करने आये तो उन्होंने मनसरवा नाला का पानी फल्गु में गिरते देख निराशा जताया. इस बार डीएम से लेकर अन्य अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया है कि इसका समाधान निकल जायेगा.

जदयू नगर निकाय के प्रदेश प्रवक्ता चंदन यादव ने बताया कि मनसरवा नाला को लेकर मुख्यमंत्री ने इस बार भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि नाला का गंदा पानी किसी भी हाल में फल्गु नदी में नहीं गिरना चाहिए.

"मुख्यमंत्री ने स्थानीय प्रशासन को तीन बार एक नाला को लेकर आदेश दिया है. लेकिन आज तक इसका समाधान नहीं निकला है. मुख्यमंत्री को सचिव से लेकर डीएम ने जानकारी दी है कि रबर डैम योजना के तहत ही मनसरवा नाला सहित कई नाला के पानी को पाइपलाइन या नाला बनाकर कंडी नवादा तक पहुंचाया जाएगा. वहां से पानी को सीवरेज सिस्टम से गुजारा जाएगा. फिर उस पानी को फल्गु में प्रवाहित किया जाएगा."- चंदन यादव, प्रवक्ता, जदयू

स्थानीय वार्ड पार्षद प्रतिनिधि शशि किशोर ने बताया कि मैं इस क्षेत्र में दस साल पार्षद रहा. फिर पांच साल से मेरी पत्नी पार्षद हैं. इन 15 सालों में कितने बार सीएम ने आदेश दिए, लेकिन आज तक एक नाला का समाधान स्थानीय प्रशासन निकाल नहीं सका.

"नाले के गंदा पानी में लोग तर्पण करते हैं, छठ पूजा करते हैं. यहां आस्था पर ठेस पहुंचाया जा रहा है. इसमें गलती सरकार और प्रशासन की नहीं बल्कि इंजीनियर की है. लाखों रुपया का नाला बना लेकिन वो किसी काम का नहीं है. इंजीनियर ने ऐसा नाला बनाया की उससे घर का पानी नहीं निकल सकेगा." - शशि किशोर,वार्ड पार्षद प्रतिनिधि

बता दें कि मुख्यमंत्री ने अपने दौरे के दौरान मनसरवा नाला के पानी को फल्गु नदी में गिरने से रोकने के लिए एसटीपी के माध्यम से ट्रीटेड करने की व्यवस्था करने का आदेश दिया है. अब देखने वाली बात होगी कि इस बार सीएम के आदेशों का पालन किया जाता है या नहीं.

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया में लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण करने आते हैं. पितरों को मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षदायिनी फल्गु नदी (Falgu River Gaya) के पानी में तर्पण किया जाता है. मोक्ष दिलाने वाली फल्गु के पानी में गया शहर का गंदा पानी नाले के माध्यम से गिराया जा रहा है. मनसरवा नाले (Mansarwa Nala) का गंदा पानी फल्गु नदी में मिलने से लोग काफी परेशान हैं.

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बता दें कि 2016 में गया शहर के माड़नपुर क्षेत्र में मनसरवा नाले से बाढ़ आयी थी. नीतीश कुमार नाले के पानी से आयी बाढ़ को देखने आए थे. उन्होंने मनसरवा नाला को अतिक्रमणमुक्त करने और फल्गु नदी में गिरने से रोकने के आदेश दिये थे. 2016 के आदेश पर संज्ञान नहीं लेने पर सीएम ने 2019 में भी आदेश दिए, लेकिन 2021 तक मनसरवा नाला जस का तस था. मुख्यमंत्री ने मनसरवा नाला का पानी फल्गु में गिरता देख काफी निराशा व्यक्त की थी और कहा था कि इसका जल्द समाधान निकाला जाए.

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यह भी पढ़ें- फल्गु नदी में तर्पण करने के लिए पूरे साल मिलेगा पानी, मुख्यमंत्री ने रबर डैम का किया शिलान्यास

दरअसल मनसरवा नाला सालों पहले मधुसरवा नदी हुआ करती थी. इस नदी का विलय फल्गु नदी में होता था. मधुसरवा नदी ब्रह्मयोनि पहाड़ से निकलती थी, जहां से मधुसरवा निकलती थी, वहां मधुमक्खियों के हजारों छत्ते थे, जिससे मधु टपकता रहता था. इसके पानी में मधु की सुगंध आती थी, इसलिए इस नदी को लोग मधुसरवा नदी कहने लगे.

गया शहर का धीरे-धीरे विकास हुआ और मधुसरवा नदी का अतिक्रमण होने लगा. उसी में घर का गंदा पानी प्रवाहित होने लगा. मधुसरवा के तट पर शहरीकरण होने से नदी का नाम और अस्तित्व बदल गया. मधुसरवा नदी मनसरवा नाला के रूप में जाना जाने लगा. आज मनसरवा नाला मोक्षदायिनी फल्गु को प्रदूषित करने पर आतुर है.

यह भी पढ़ें- पितृपक्ष : रूस से बिहार आई 6 महिलाएं, गया में किया पिंडदान

मनसरवा नाला का पानी फल्गु नदी के जिस क्षेत्र में तर्पण और कर्मकांड होता है उस क्षेत्र में नहीं गिरे,उसके लिए पहल किया गया था. पांच साल पहले श्मशान घाट के पीछे जहां मनसरवा नाला गिरता था, उससे करीब 300 मीटर की दूरी पर पक्के नाले का निर्माण कराया गया. लेकिन यहां पर ठेकेदार और इंजीनियर ने पैसे का बंदरबांट करते हुए नाले का मुहाना नदी से 5 फुट ऊपर बना दिया. यह नाला देव घाट तक बनाया गया था, लेकिन नाला कुछ महीने बाद ही कई जगह पर टूट गया हालांकि इस मामले को लेकर शुरू में हंगामा भी हुआ, लेकिन करवाई कुछ भी नहीं हुई.

गया शहर में माड़नपुर बाईपास के पास स्थित मधुसूदन कॉलोनी और अशोक विहार कॉलोनी के बीच से गुजरने वाला मनसरवा नाला लोगों के डर का कारण बन गया है. वर्ष 2016 में मनसरवा नाला में अतिक्रमणती होने से बाढ़ आ गया था. जिससे हजारों घर डूब गए थे. गया जैसे सूखे जगह में सरकारी लापरवाही से आये बाढ़ को देखने सूबे के मुख्यमंत्री भी पहुंचे थे.

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मुख्यमंत्री ने 2016 में भी आदेश दिए थे कि नाला का पानी फल्गु में नहीं गिरना चाहिए. उसके बाद नीतीश कुमार 2019 में पितृपक्ष मेला के पहले मेला क्षेत्र का निरीक्षण करने आये थे. उन्होंने उस वक्त मनसरवा नाला का पानी फल्गु में गिरते देख नाराजगी व्यक्त की थी. उस वक्त जिलाधिकारी से लेकर अन्य अधिकारियों ने इसका समाधान निकालने की बात कही थी. लेकिन मुख्यमंत्री 12 अक्टूबर को जब सीताकुंड में लक्ष्मण झूला का निरीक्षण करने आये तो उन्होंने मनसरवा नाला का पानी फल्गु में गिरते देख निराशा जताया. इस बार डीएम से लेकर अन्य अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया है कि इसका समाधान निकल जायेगा.

जदयू नगर निकाय के प्रदेश प्रवक्ता चंदन यादव ने बताया कि मनसरवा नाला को लेकर मुख्यमंत्री ने इस बार भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि नाला का गंदा पानी किसी भी हाल में फल्गु नदी में नहीं गिरना चाहिए.

"मुख्यमंत्री ने स्थानीय प्रशासन को तीन बार एक नाला को लेकर आदेश दिया है. लेकिन आज तक इसका समाधान नहीं निकला है. मुख्यमंत्री को सचिव से लेकर डीएम ने जानकारी दी है कि रबर डैम योजना के तहत ही मनसरवा नाला सहित कई नाला के पानी को पाइपलाइन या नाला बनाकर कंडी नवादा तक पहुंचाया जाएगा. वहां से पानी को सीवरेज सिस्टम से गुजारा जाएगा. फिर उस पानी को फल्गु में प्रवाहित किया जाएगा."- चंदन यादव, प्रवक्ता, जदयू

स्थानीय वार्ड पार्षद प्रतिनिधि शशि किशोर ने बताया कि मैं इस क्षेत्र में दस साल पार्षद रहा. फिर पांच साल से मेरी पत्नी पार्षद हैं. इन 15 सालों में कितने बार सीएम ने आदेश दिए, लेकिन आज तक एक नाला का समाधान स्थानीय प्रशासन निकाल नहीं सका.

"नाले के गंदा पानी में लोग तर्पण करते हैं, छठ पूजा करते हैं. यहां आस्था पर ठेस पहुंचाया जा रहा है. इसमें गलती सरकार और प्रशासन की नहीं बल्कि इंजीनियर की है. लाखों रुपया का नाला बना लेकिन वो किसी काम का नहीं है. इंजीनियर ने ऐसा नाला बनाया की उससे घर का पानी नहीं निकल सकेगा." - शशि किशोर,वार्ड पार्षद प्रतिनिधि

बता दें कि मुख्यमंत्री ने अपने दौरे के दौरान मनसरवा नाला के पानी को फल्गु नदी में गिरने से रोकने के लिए एसटीपी के माध्यम से ट्रीटेड करने की व्यवस्था करने का आदेश दिया है. अब देखने वाली बात होगी कि इस बार सीएम के आदेशों का पालन किया जाता है या नहीं.

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