पटना (बिहटा) : पटना के बिहटा स्थित मां वनदेवी महाधाम जहां हर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. राजधानी पटना से 30 किमी दूर बिहटा प्रखंड के राघोपुर के कंचनपुर मिश्रीचक स्थित ऐतिहासिक वनदेवी मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है.
भक्तों की मान्यता है की इस मंदिर में आकर सच्चे मन से मां से मांगने वाले हर भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है. इस मंदिर में हर रोज भक्तों की भीड़ लगती है, खास कर नवरात्र में भक्तों का तांता लगा रहता है .नवरात्र के शुभ अवसर पर मां का विशेष शृंगार होता है, कोरोना को लेकर बनाए गए नियमों का विशेष पालन हो रहा है.
कोरोना काल को देखते हुए हर साल नवरात्र में यहां आने वाले भक्तों की संख्या में कमी दिखी है. वहीं अष्टमी एवं नवमी के दिन लोगों की भीड़ देखी गई सुबह से ही लंबी लाइन लगी हुई है लेकिन मंदिर प्रशासन के तरफ से कोविड-19 के नियम का पालन दिख रहा है. यहां तक सभी भक्तों को मास्क और दूरी बना कर ही पूजा करने की अनुमति मिल रही है . यहां तक कि मंदिर प्रशासन की तरफ से भी भक्तों के बीच मास्क बांटा गया.
'मां वनदेवी मंदिर का अनोखा इतिहास'
- मंदिर के इतिहास के बारे मंदिर के प्रधान पुजारी शीतलेश्वर मिश्रा ने बताया कि लगभग 300 वर्ष पहले मां विंध्यावासिनी के पिंड का अंश लाकर उनके भक्त व सिद्ध पुरुष विद्यानंद जी मिश्र ने इनकी स्थापना करायी थी. तब मिश्रीचक में काफी जंगल था इसलिये इनका नाम वनदेवी रखा गया.
- ऐसे तो इस मंदिर को लेकर कई धारणा है लेकिन जो सबसे प्रचलित है, उसमें मां वनदेवी की स्थापना और अपने भक्त की लाज बचाने के लिए वनदेवी का कनखा माई बनना ज्यादा मशहूर है. ऐसा कहा जाता है की विद्यानंद जी मिश्र कालांतर में मां के बड़े भक्त थे. उन्हें लोग अद्भुत सिद्धि के कारण भी जानते हैं. विद्यानंद उन दिनों भी मां विंध्यावासिनी, वैष्णोदेवी और मैहर में जाकर पूजा अर्चना किया करते थे.
- वृद्धावस्था में जब उन्हें चलने में परेशानी होने लगी तो एक रात मां विंध्यावासिनी ने उनके सपने में आकर कहा कि हमारे पिंड का कुछ अंश लेकर चलो मैं तुम्हारे साथ चलूंगी. विद्यानंद इस सपने के बाद विंध्याचल गए और पिंड का अंश लेकर बिहटा के मिश्रीचक स्थित जंगल में पहुंचे. जहां एक जगह पर उनकी स्थापना कर प्रतिदिन पूजन करने लगे.
- उन दिनों बनारस के एक सन्यासी विद्यानंद की परीक्षा लेने के लिए भेड़ों का झुंड लेकर पहुंचा था. उस वक्त विद्यानंद वनदेवी मंदिर में ध्यान में लिन थे. सन्यासी ने अपने भेड़ों से कई सवाल कराकर उनके ध्यान तोड़ने की कोशिश करने लगा. इसपर विद्यानंद ने अपने आगे रखे कलश पर त्रिपुंड से स्पर्श किया तो भेड़ों के सवाल के जवाब उस कलश से निकलने लगे
- सन्यासी को इस पर क्रोध आ गया और उसने कलश पर प्रहार कर दिया. जिससे उसका एक कनखा टूटकर अशोक के वृक्ष पर टंग गया. कहा जाता है की मां वनदेवी अपने भक्त विद्यानंद के साथ सन्यासी द्वारा की जा रही धृष्टता पर क्रोधित हो गयी और उस टूटे कनखे ने उस सन्यासी को दंड देना शुरू कर दिया. मां के क्रोध को शांत करने के लिए विद्यानंद ने अपना ध्यान तोड़कर क्षमा की अपील की, तब जाकर उस सन्यासी की जान बची.
'नवरात्र के मौके पर वन देवी का विशेष शृंगार, पूजा अर्चना से भक्तों की होती है मनोकामना पूर्ण'
- नवरात्र के मौके पर वन देवी का विशेष शृंगार किया जाता है, जिसे देखने और पूजा करने के लिए लोग दूर-दराज से आते हैं. नवरात्र में 9 दिन मां की विशेष आरती भी होती है. जो देखने लायक होती है, लोग बताते है कि नवरात्र के मौके पर जो श्रद्धालु सच्चे मन से मां के दरबार मे हाजरी लगाते है और जो मांगते है उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.
- मां वनदेवी की पूजा अर्चना करने मात्र से सारी मनोकामना पूरी होती है. इसलिए हर दिन श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर मां के दरबार में पहुंचते हैं. नवरात्र में भी मंदिर की रौनक देखने लायक होती है. वहीं खासकर नवरात्र में इस मंदिर में दर्शन करने कई बड़े आला अधिकारी एवं राजनीतिक नेता पहुंचते है.
- पटना के सीनियर एसपी मनु महाराज जो वर्तमान में मुंगेर के डीआईजी है वह भी कई बार इस मंदिर में पूजा करने पहुंचे थे, उनका खास मंदिर से लगाओ भी रहा है. वहीं राज्यसभा सांसद बनने के बाद विवेक ठाकुर वन देवी मंदिर में पूजा करने पहुंचे थे और मां को चुनरी भी चढ़ाई थी.
- वहीं मंदिर के पुजारी पवन मिश्रा ने बताया कि हर साल नवरात्रा में काफी भीड़ होती है, इस बार भी अष्टमी और नवमी को भीड़ हुई है वही भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन के तरफ से कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए तमाम दिशा-निर्देश का पालन किया जा रहा है.
- बाबा बिटेश्वरनाथ मंदिर के तरफ से मां वन मंदिर में भक्तों की बीच मास्क का भी वितरण किया गया और लोगों से भी अनुरोध किया गया कि मंदिर में पूजा करने पहुंचे तो मास्क लगाकर पहुंचे. इसके अलावा कोविड-19 को देखते हुए हफ्ते में एक बार मंदिर में सैनिटाइजेशन किया जाता है ताकि संक्रमण से भक्तों को बचाया जा सके.
- वहीं नवरात्र के दिनों में शाम को विशेष शृंगार के साथ आरती भी की जाती है जिसका लाइव टेलीकास्ट भी डिजिटल प्लेटफार्म और अन्य माध्यमों से की जाती है ताकि मंदिर में भीड़ ना लगे और लोग घर से ही आरती देख सकें.