ETV Bharat / state

आरजेडी को कमजोर करने की पटकथा पहले ही दल के अंदर तैयार की गई थी- मनीष यादव

प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद महागठबंधन अपनी हार से मर्माहत है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर कार्यकर्ता तक खुद को आहत महसूस कर रहे है.

राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मनीष यादव
राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मनीष यादव
author img

By

Published : Nov 13, 2020, 4:28 PM IST

पटना: बिहार चुनाव परिणाम के बाद हार पर मंथन का दौर जारी है. राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व राज्य प्रवक्ता मनीष यादव ने विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के निराशाजनक परिणाम पर प्रतिक्रिया व्यक्त किया है. उनका मानना है कि आरेजेडी को हराने के लिए दल के अंदर ही चक्रव्यूह रचा गया था.

'राष्ट्रीय जनता दल को कमजोर करने की पटकथा दल के अंदर ही तैयार की गई थी. हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी को हल्का बताकर जबरदस्ती बयानबाजी कर दल से बाहर का रास्ता दिखाया गया. जिससे दलित, पार्टी के प्रतिकूल गया. महागठबंधन जिसको चंदन टीका लगाकर जबरदस्ती भगा रहा था, उसे एनडीए सीधे गोद में बिठा रही थी.'- मनीष यादव, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, आरजेडी

मनीष यादव ने आरजेडी के हार की बड़ी वजह को बताया

"चेत चले तो काल न खाए"
'पंद्रह साल से संघर्ष रहे कार्यकर्ताओं की बात ना तो सुनी गई और ना ही उन्हें समझाने का प्रयास किया गया जिसके कारण सक्रिय कार्यकर्ता अपमानित महसूस करने लगे. सर्वे के नाम पर कार्यकर्ताओं को गुमराह किया जाता रहा और उसी आड़ में इर्द गिर्द के लोग नेता को गुमराह कर घातक खेल खेलने में लगे रहे, जिसका परिणाम सबके सामने है. अति उत्साह में "चेत चले तो काल न खाए" वाली कहावत को शीर्ष नेतृत्व द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया.'- मनीष यादव, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, आरजेडी

पटना: बिहार चुनाव परिणाम के बाद हार पर मंथन का दौर जारी है. राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व राज्य प्रवक्ता मनीष यादव ने विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के निराशाजनक परिणाम पर प्रतिक्रिया व्यक्त किया है. उनका मानना है कि आरेजेडी को हराने के लिए दल के अंदर ही चक्रव्यूह रचा गया था.

'राष्ट्रीय जनता दल को कमजोर करने की पटकथा दल के अंदर ही तैयार की गई थी. हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी को हल्का बताकर जबरदस्ती बयानबाजी कर दल से बाहर का रास्ता दिखाया गया. जिससे दलित, पार्टी के प्रतिकूल गया. महागठबंधन जिसको चंदन टीका लगाकर जबरदस्ती भगा रहा था, उसे एनडीए सीधे गोद में बिठा रही थी.'- मनीष यादव, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, आरजेडी

मनीष यादव ने आरजेडी के हार की बड़ी वजह को बताया

"चेत चले तो काल न खाए"
'पंद्रह साल से संघर्ष रहे कार्यकर्ताओं की बात ना तो सुनी गई और ना ही उन्हें समझाने का प्रयास किया गया जिसके कारण सक्रिय कार्यकर्ता अपमानित महसूस करने लगे. सर्वे के नाम पर कार्यकर्ताओं को गुमराह किया जाता रहा और उसी आड़ में इर्द गिर्द के लोग नेता को गुमराह कर घातक खेल खेलने में लगे रहे, जिसका परिणाम सबके सामने है. अति उत्साह में "चेत चले तो काल न खाए" वाली कहावत को शीर्ष नेतृत्व द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया.'- मनीष यादव, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, आरजेडी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.