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बिहार से महात्मा गांधी का था खास लगाव, आज भी पटनावासियों के दिलों में बसते हैं बापू

महात्मा गांधी 10 अप्रैल 1917 को पहली बार बिहार आए थे. बिहार से बापू का ऐसा लगाव हुआ कि उनका बिहार के कई हिस्सों में आना-जाना लगा रहा. पढ़ें पूरी खबर...

mahatma gandhi
महात्मा गांधी
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Published : Oct 2, 2021, 1:46 PM IST

पटना: आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती (Gandhi Jayanti) मना रहा है. सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के विचार आज भी प्रासंगिक हैं. पूरा देश 2 अक्टूबर को गांधी जयंती हर्ष उल्लास के साथ मनाता है. बापू 10 अप्रैल 1917 को पहली बार बिहार आए थे.

यह भी पढ़ें- राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता को किया नमन, कहा- बापू के विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है

बिहार से बापू का ऐसा लगाव हुआ कि उनका राज्य के कई हिस्सों में आना-जाना लगा रहा. गांधी जयंती के अवसर पर ईटीवी भारत की टीम ने पटना के गांधी मैदान में आए लोगों से बातचीत की. शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'गांधी जी के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है. देश की आजादी में उनका बहुत बड़ा योगदान था, जिसके चलते उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है.

देखें वीडियो

मुर्तजा ने कहा, 'गांधी जी ने हम लोगों को आजादी दिलाई. उनके कारण ही आज देश आजाद है. उन्होंने आजाद भारत का सपना देखा था. वह सपना तो जरूर पूरा हुआ, लेकिन लोगों को राहत नहीं मिल रही है. गांधी जी ने बिना हथियार के देश को आजादी दिलायी. उनके जैसा ना कोई नेता होगा और ना कोई जन्म लेगा. गांधीजी को तो सब जानते हैं, लेकिन उनके परिवार के लोग आज किस हालत में हैं इसको लेकर किसी को कोई चिंता नहीं है. यह काफी दुख की बात है.'

न्याज अहमद ने कहा, हर साल 2 अक्टूबर को गांधीजी के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन उनके विचारों का अनुकरण कोई नेता नहीं करता. गांधी जी का यह सपना था कि लोग शांति से जीवन गुजारें, ईमानदारी से रहें और लोगों को न्याय मिले, लेकिन आज के जमाने में ईमानदारी पूरी तरह से खत्म हो गई है. गांधीजी का सपना पूरी तरह चकनाचूर हो गया है.

यह भी पढ़ें- मोहनदास करमचंद गांधी.. हम सबके 'बापू'.. आपको पता है बापू 'महात्मा' कैसे बने.. आइये इतिहास के पन्नों को पलटते हैं

पटना: आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती (Gandhi Jayanti) मना रहा है. सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के विचार आज भी प्रासंगिक हैं. पूरा देश 2 अक्टूबर को गांधी जयंती हर्ष उल्लास के साथ मनाता है. बापू 10 अप्रैल 1917 को पहली बार बिहार आए थे.

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बिहार से बापू का ऐसा लगाव हुआ कि उनका राज्य के कई हिस्सों में आना-जाना लगा रहा. गांधी जयंती के अवसर पर ईटीवी भारत की टीम ने पटना के गांधी मैदान में आए लोगों से बातचीत की. शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'गांधी जी के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है. देश की आजादी में उनका बहुत बड़ा योगदान था, जिसके चलते उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है.

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मुर्तजा ने कहा, 'गांधी जी ने हम लोगों को आजादी दिलाई. उनके कारण ही आज देश आजाद है. उन्होंने आजाद भारत का सपना देखा था. वह सपना तो जरूर पूरा हुआ, लेकिन लोगों को राहत नहीं मिल रही है. गांधी जी ने बिना हथियार के देश को आजादी दिलायी. उनके जैसा ना कोई नेता होगा और ना कोई जन्म लेगा. गांधीजी को तो सब जानते हैं, लेकिन उनके परिवार के लोग आज किस हालत में हैं इसको लेकर किसी को कोई चिंता नहीं है. यह काफी दुख की बात है.'

न्याज अहमद ने कहा, हर साल 2 अक्टूबर को गांधीजी के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन उनके विचारों का अनुकरण कोई नेता नहीं करता. गांधी जी का यह सपना था कि लोग शांति से जीवन गुजारें, ईमानदारी से रहें और लोगों को न्याय मिले, लेकिन आज के जमाने में ईमानदारी पूरी तरह से खत्म हो गई है. गांधीजी का सपना पूरी तरह चकनाचूर हो गया है.

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