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बिहार में सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ कल से शुरू - चैती छठ कल से शुरू

लोक आस्था के महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान चैत्र शुक्ल चतुर्थी यानी 16 अप्रैल से शुरू हो रहा है. छठ पूजा मुख्य रूप से भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है.

महापर्व चैती छठ
महापर्व चैती छठ
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Published : Apr 15, 2021, 2:12 PM IST

पटना: बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ कल से शुरू होगा. सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंतःकरण की शुद्धि के लिए कल नहाय खाय के संकल्प केसाथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करेंगे. वैसे श्रद्धालुओं ने आज से ही पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.

ये भी पढ़ें- नालंदा: छठ मेला के आयोजन पर लगी रोक, SDO ने कहा- इस बार घर पर ही मनाएं पर्व

महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु पूरे दिन बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं. इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है.

श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत
लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं. व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और पकवान (ठेकुआ) से अर्घ्य अर्पित करते हैं. महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं. भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं.

पर्व में साफ-सफाई का रखें विशेष ध्यान
परिवार की सुख-समृद्धि और कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही मंत्रोचारण की कोई जरूरत है. छठ पर्व में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है.

घर पर ही छठ व्रत मनाने की अपील
बिहार में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष भी सरकार और प्रशासन ने पटना के घाटों तलाबों में छठ अर्घ्य नहीं देने की हिदायत छठव्रतियों को दी है. उन्होंने लोगों से घर पर ही छठ व्रत मनाने की अपील की है.

पटना: बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ कल से शुरू होगा. सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंतःकरण की शुद्धि के लिए कल नहाय खाय के संकल्प केसाथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करेंगे. वैसे श्रद्धालुओं ने आज से ही पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.

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महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु पूरे दिन बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं. इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है.

श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत
लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं. व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और पकवान (ठेकुआ) से अर्घ्य अर्पित करते हैं. महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं. भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं.

पर्व में साफ-सफाई का रखें विशेष ध्यान
परिवार की सुख-समृद्धि और कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही मंत्रोचारण की कोई जरूरत है. छठ पर्व में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है.

घर पर ही छठ व्रत मनाने की अपील
बिहार में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष भी सरकार और प्रशासन ने पटना के घाटों तलाबों में छठ अर्घ्य नहीं देने की हिदायत छठव्रतियों को दी है. उन्होंने लोगों से घर पर ही छठ व्रत मनाने की अपील की है.

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