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पटना: लॉकडाउन का असर, PMCH में आने वाले कोरोना मरीजों की संख्या में भारी कमी - कोरोना मरीज

पीएमसीएच में कोरोना संक्रमित (CORONA INFECTED) मरीजों की संख्या में कमी आई है. कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. अब इसका सकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है.

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Published : May 28, 2021, 8:37 AM IST

Updated : May 28, 2021, 10:15 AM IST

पटना: प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने भयावह रूप धारण लिया था. कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सूबे में लॉकडाउन (LOCKDOWN) लागू किया गया है. कोरोना संकमण के मामले में इस लॉकडाउन का सकारात्मक असर दिखने लगा है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में जहां मई के शुरुआती सप्ताह में कोरोना वार्ड में नये मरीजों को जगह नहीं मिल पा रही थी, काफी संख्या में मरीज बिना इलाज के अस्पताल से लौट जा रहे थे. वहीं, अब अस्पताल के कोरोना वार्ड में काफी संख्या में बेड खाली हैं. कोरोना वार्ड के बाहर परिजनों के लिए बनाए गए शेड में भी काफी कम भीड़ नजर आ रही है.

ये भी पढ़ें- खगड़िया में ब्लैक फंगस से पहली मौत, पटना एम्स और पीएमसीएच में हुआ था इलाज

कोरोना मरीजों की संख्या में कमी
'लॉकडाउन लगाने से निश्चित रूप से फायदा हुआ है. इसी का नतीजा है कि संक्रमण के मामले कम हुए हैं. अस्पताल में मरीजों की संख्या भी काफी घटी है.' : डॉ अजय अरुण, प्रभारी चिकित्सक, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच

पीएमसीएच में आने वाले कोरोना मरीज की संख्या में कमी
पीएमसीएच में आने वाले कोरोना मरीजों की संख्या में कमी

उन्होंने बताया कि अगर बेड की ऑक्युपेंसी की बात करें तो जिस मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं है, उसे ऑक्सीजन सपोर्ट से हटा दिया गया है. उसे एक दिन वे वार्ड में वेट एंड वॉच की स्थिति में रखते हैं. वहां उसके ऑक्सीजन सैचुरेशन की निगरानी होती है. ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 से ऊपर रह रहा है तो उसे डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है. अभी अस्पताल में कोई भी ऐसा मरीज नहीं है, जो बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के वार्ड में है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- PMCH के शिशु रोग विभाग में 'ग्रीन फंगस' के संक्रमण का खतरा, तीसरी लहर से ऐसे बचेंगे बच्चे

34 कोरोना मरीज हैं एडमिट
डॉ. अजय अरुण ने बताया कि ऑक्सीजन के बगैर अस्पताल में मरीज को रखने से बेहतर है कि उसे होम आइसोलेशन में भेज दिया जाए. मरीज घर पर ज्यादा हेल्दी रह सकते हैं. ब्लैक फंगस इंफेक्शन से बचाव के लिए यह निर्णय लिया गया है.

जब मरीज को एस्ट्रॉयड के इंजेक्शन और ऑक्सीजन सपोर्ट की भी जरूरत नहीं है. ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन के बजाय टेबलेट पर शिफ्ट कर डिस्चार्ज कर देना ही बेहतर है.

अस्पताल में अभी के समय डेथ रेट भी काफी कम हुआ है. अभी ऐसे मरीज की ही मौत हो रही है, जो सेम डे आ रहे हैं और किसी प्राइवेट अस्पताल से गंभीर स्थिति में यहां पहुंच रहे हैं. कोरोना के मामले में वेंटिलेटर पर अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों की जान बचाना बेहद मुश्किल होता है.

डॉ. अजय अरुण ने बताया कि 106 बेड के कोरोना वार्ड में अभी के समय 34 मरीज एडमिट हैं. सभी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. उन्होंने बताया कि आईसीयू के 25 बेड में 16 पर मरीज एडमिट है, 10 से 15 ऑक्सीजन सपोर्ट पर है. कोई भी मरीज वेंटिलेटर पर नहीं है. उन्होंने बताया कि आईसीयू में 9 बेड जबकि 63 ऑक्सीजनयुक्त जनरल बेड खाली हैं.

पटना: प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने भयावह रूप धारण लिया था. कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सूबे में लॉकडाउन (LOCKDOWN) लागू किया गया है. कोरोना संकमण के मामले में इस लॉकडाउन का सकारात्मक असर दिखने लगा है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में जहां मई के शुरुआती सप्ताह में कोरोना वार्ड में नये मरीजों को जगह नहीं मिल पा रही थी, काफी संख्या में मरीज बिना इलाज के अस्पताल से लौट जा रहे थे. वहीं, अब अस्पताल के कोरोना वार्ड में काफी संख्या में बेड खाली हैं. कोरोना वार्ड के बाहर परिजनों के लिए बनाए गए शेड में भी काफी कम भीड़ नजर आ रही है.

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कोरोना मरीजों की संख्या में कमी
'लॉकडाउन लगाने से निश्चित रूप से फायदा हुआ है. इसी का नतीजा है कि संक्रमण के मामले कम हुए हैं. अस्पताल में मरीजों की संख्या भी काफी घटी है.' : डॉ अजय अरुण, प्रभारी चिकित्सक, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच

पीएमसीएच में आने वाले कोरोना मरीज की संख्या में कमी
पीएमसीएच में आने वाले कोरोना मरीजों की संख्या में कमी

उन्होंने बताया कि अगर बेड की ऑक्युपेंसी की बात करें तो जिस मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं है, उसे ऑक्सीजन सपोर्ट से हटा दिया गया है. उसे एक दिन वे वार्ड में वेट एंड वॉच की स्थिति में रखते हैं. वहां उसके ऑक्सीजन सैचुरेशन की निगरानी होती है. ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 से ऊपर रह रहा है तो उसे डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है. अभी अस्पताल में कोई भी ऐसा मरीज नहीं है, जो बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के वार्ड में है.

देखें वीडियो

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34 कोरोना मरीज हैं एडमिट
डॉ. अजय अरुण ने बताया कि ऑक्सीजन के बगैर अस्पताल में मरीज को रखने से बेहतर है कि उसे होम आइसोलेशन में भेज दिया जाए. मरीज घर पर ज्यादा हेल्दी रह सकते हैं. ब्लैक फंगस इंफेक्शन से बचाव के लिए यह निर्णय लिया गया है.

जब मरीज को एस्ट्रॉयड के इंजेक्शन और ऑक्सीजन सपोर्ट की भी जरूरत नहीं है. ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन के बजाय टेबलेट पर शिफ्ट कर डिस्चार्ज कर देना ही बेहतर है.

अस्पताल में अभी के समय डेथ रेट भी काफी कम हुआ है. अभी ऐसे मरीज की ही मौत हो रही है, जो सेम डे आ रहे हैं और किसी प्राइवेट अस्पताल से गंभीर स्थिति में यहां पहुंच रहे हैं. कोरोना के मामले में वेंटिलेटर पर अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों की जान बचाना बेहद मुश्किल होता है.

डॉ. अजय अरुण ने बताया कि 106 बेड के कोरोना वार्ड में अभी के समय 34 मरीज एडमिट हैं. सभी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. उन्होंने बताया कि आईसीयू के 25 बेड में 16 पर मरीज एडमिट है, 10 से 15 ऑक्सीजन सपोर्ट पर है. कोई भी मरीज वेंटिलेटर पर नहीं है. उन्होंने बताया कि आईसीयू में 9 बेड जबकि 63 ऑक्सीजनयुक्त जनरल बेड खाली हैं.

Last Updated : May 28, 2021, 10:15 AM IST
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