पटना: बिहार में लॉकडाउन के दौरान राजस्व को खासा नुकसान पहुंचा है. इसके बाद अनलॉक-1 और 2 लागू तो हुआ है लेकिन राजस्व की भरपाई करना मुश्किल हो रहा है. अब एक बार फिर कई जिलों में लॉकडाउन लागू किया गया है. वैसे बिहार में शराबबंदी है, अन्य राज्य बिक्री कर राजस्व की भरपाई कर रहे हैं. ऐसे में बिहार सरकार के सामने आर्थिक चुनौती खड़ी हो गई है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिहार का बजट 211761 करोड़ है. बजट की राशि खर्च के लिए सरकार के पास कई स्त्रोत से राजस्व आता है. इसमें सरकार का कर राजस्व से 16.39 %, केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा 43.02%, ऋणों की वसूली से 0.20 %, राज्य सरकार के कर राजस्व से 2.47%, केंद्र सरकार से सहायता अनुदान 24.89% और लोक ऋण से 13.03 प्रतिशत सरकार ने अनुमान लगाया है. लेकिन लॉकडाउन में राजस्व वसूली पर जबरदस्त असर पड़ा है.
राहत कार्यक्रम में खर्च हुई बड़ी राशि
सरकार की ओर से राहत कार्यक्रम पर बड़ी राशि खर्च हो हुई है. विकास कार्य को पूरा करने की चुनावी वर्ष में एक बड़ी चुनौती है क्योंकि अब शराब बंदी के कारण उसका भी राजस्व सरकार को नहीं मिल पा रहा है.
लॉक डाउन से राजस्व वसूली पर जबरदस्त असर
एनडीए सरकार 2005-06 में जब आई थी तो बिहार का बजट 26328 करोड था लेकिन 2019-20 में ही बढ़कर 2 लाख करोड़ से अधिक हो गया. पिछले एक दशक से बिहार का आर्थिक विकास दर डबल डिजिट में है. उसके बावजूद बिहार से सबसे अधिक पलायन हो रहा है. 2015 में नीतीश कुमार ने लोगों से वादा किया कि फिर से सत्ता में आएंगे, तो शराबबंदी करेंगे. और ऐसा ही हुआ, 2016 में पूर्ण शराबबंदी भी लागू की गई.
शराब की बिक्री से मिलने वाला राजस्व भी समाप्त हो गया, जो बिहार के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा था. 2015 में 3000 करोड़ के आसपास शराब से राजस्व बिहार सरकार को मिला था. जो 2016 में बढ़कर 5000 करोड़ के करीब होने की उम्मीद थी. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार कहते रहे कि शराब बंदी से राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ा है. लोगों ने दूध, शहद कपड़ा और अन्य क्षेत्रों में अधिक खरीदारी करनी शुरू कर दी है और उससे सरकार का राजस्व बढ़ा है. इसको लेकर सरकार ने आद्री से एक अध्ययन भी करवाया.
यह सर्वे बताता है कि कैसे बढ़ा राजस्व
आद्री के अध्ययन में यह बात सामने आयी कि न तो पर्यटक घटे और न ही राजस्व में कमी आई. यहां तक की साड़ियों की बिक्री 1 हजार 785 गुना बढ़ गयी. साथ ही पनीर और शहद की बिक्री में 200 से 300 गुना का इजाफा हुआ. 2015 में 2 करोड़ 89 लाख पर्यटक बिहार आए थे. लेकिन 2018 में बढ़कर 3 करोड़ 47 लाख हो गए. 2019 में भी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई. लेकिन अब कोरोना संकट के समय पर्यटन व्यवसाय भी ठप है और विभिन्न स्त्रोतों से जो राजस्व मिलता है उसमें काफी कमी आना तय है.
डिप्टी सीएम के माथे पर चिंता की लकीर
इसके अलावा पेट्रोलियम पदार्थ से राज्य सरकार को सबसे अधिक टैक्स मिलता है लेकिन लॉक डाउन का उस पर भी जबरदस्त असर है. कितना असर होगा या तो जब आंकड़ा आएगा, तभी पता चलेगा लेकिन डिप्टी सीएम सह वित्त मंत्री सुशील मोदी की चिंता से स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी ने पिछले दिनों ट्वीट और प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि नगण्य राजस्व संग्रह के कारण केंद्र और राज्य सरकार भीषण वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही है. मुख्यमंत्री सहित अन्य राज्यों ने केंद्र सरकार से एप्स आरबीएम एक्ट के तहत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3% ऋण लेने की सीमा को बढ़ाकर 4% करने की मांग की है.
'केंद्र सरकार करेगी मदद'
सूचना जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का भी कहना है कि चुनौती बड़ी है और इसलिए बिहार सरकार ने इस तरह की मांग की गयी है. वहीं, योजना विकास मंत्री महेश्वर हजारी का भी कहना है कि शराबबंदी का असर बिहार पर नहीं पड़ा है लेकिन लॉक डाउन के कारण सरकार राहत कार्यक्रम चला रही है और मुख्यमंत्री के विजन के कारण उसमें भी कोई परेशानी नहीं आएगी. केंद्र से भी राशि आने में प्रॉब्लम हो रहा है लेकिन केंद्र मदद करेगा.
वहीं पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव का कहना है कि अभी सबसे जरूरी लोगों का जीवन बचाना है और उससे किसी तरह की समझौता नहीं किया जा सकता है. केंद्र से भी मदद मिल रही है लेकिन सब जगह आर्थिक परेशानी हैं.
केंद्र से हिस्सेदारी घटने से बढ़ी मुश्किल
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने प्रेस रिलीज में यह भी कहा कि आर्थिक सुस्ती के कारण पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में केंद्रीय करों के कम संग्रह होने के कारण बिहार को केंद्रीय करों की हिस्सेदारी में प्रस्तावित राशि से 25000 कम प्राप्त हुआ जो 2018-19 से भी 10000 करोड़ कम रहा. बिहार सरकार केंद्र से इसलिए जीएसडीपी के तहत 3% की जगह 4% तक ऋण लेने की छूट देने का आग्रह कर रही है. इससे 6461 करोड़ का बिहार सरकार अतिरिक्त कर्ज ले सकती है.
जीएसडीपी के 3% के तहत 26419 करोड़ ऋण उगाही की अनुमति है. जिसमें 21188.42 करोड़ रुपए का कर्ज़ बाजार से लिया जा सकता है लेकिन चार प्रतिशत होने पर 6461 करोड़ से अधिक की राशि और बिहार सरकार कर्ज ले सकेगी.
कैसे होगी ऋण भरपाई
इधर सरकार को इस साल विभिन्न किस्तों में कुल ऋण राशि 7035 करोड़ चुकता करना है. 7683 करोड़ सिकिंग फंड में जमा राशि से भुगतान करने का आरबीआई से आग्रह किया था. अभी पहली किस्त के तौर पर आरबीआई ने 1000 करोड़ की अनुमति दी है. बिहार सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली है क्योंकि एक तो शराबबंदी से पहले ही राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है लॉक डाउन में विभिन्न स्त्रोतों से जो राजस्व आता है, वह नगण्य है.
लॉकडाउन से अब तक
हालात पटरी पर लाने की कवायद तो शुरू हो गई है. लेकिन पेट्रोलियम पदार्थ की बिक्री उस तरह नहीं हो रही, जैसे पहले होती थी. इसके महंगे हो जाने से भी लोगों की जेब पर असर पड़ रहा है तो दूसरी तरफ लोग कम ही बाहर निकल रहे हैं. कुल मिलाकर राजस्व बहुत कम आने वाला है. अब ऐसा लग रहा है कि लॉकडाउन का प्रभाव सरकार की नींद उड़ाने वाला है.