पटना: बिहार में जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी होने के साथ ही विरोध भी शुरू हो गया है. एलजेपीआर चीफ चिराग पासवान ने दोबारा से सर्वे कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ की दृष्टि से कराए गए बिहार सरकार की जाति आधारित गणना अस्वीकार्य है. इसमें कई और सुधार करने की जरूरत है. ऐसे में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) बिहार सरकार से मांग करती है की पुनः जातिगत गणना कराई जाए और पूरी पारदर्शिता के साथ इसे पेश किया जाए.
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"जातीय आधारित गणना में जिस तरह से जाति विशेष के आंकड़े को बढ़ाकर दिखाया गया है और ऐसे ही बिहार की कई अन्य छोटी जातियों को कम कर के दिखाकर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया गया है. पासवान जाति की भी आबादी को कमतर दिखाया गया है. हमलोग इस रिपोर्ट को पूरी तरह से नकारते हैं और दोबारा से सर्वे कराने की मांग करते हैं, क्योंकि इसमें पारदर्शिता की कमी है"- चिराग पासवान, अध्यक्ष, एलजेपीआर
चिराग पासवान ने जाति आधारित सर्वे को नकारा: चिराग पासवान ने कहा कि सोमवार को बिहार सरकार की ओर से जारी जातिगत गणना के आकड़ों में पूर्णतः राजनीतिक साजिश दिखाई देती है, जिस तरीके से एक जाति विशेष को राजनीतिक लाभ दिलाने की दृष्टि से कई आकड़ों को जहां बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है तो वहीं कई ऐसी जातियां हैं, जिनकी आबादी को कम करके दिखाने का प्रयास किया गया है. यह दर्शाता है कि बिहार सरकार द्वारा राजनीतिक लाभ की दृष्टि से प्रस्तुत किए गए आकड़े को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नकारती है.
नीतीश सरकार पर भड़के चिराग: एलजेपीआर चीफ चिराग पासवान ने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति में कई ऐसी छोटी जातियां हैं, जिनको उनकी आबादी के अनुसार गणना में नहीं दिखाया गया है. पिछड़े वर्ग में कई ऐसी जातियां हैं, जिनको उनके हिस्सेदारी के अनुसार उनके आकड़े नहीं दर्शाए गए हैं. उन्होंने कहा कि पासवान जाति में भी आंकड़ों को कम करके दिखाया गया है.