पटना: कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव (Kurhani Assembly By Election) के लिए बिहार में एक बार फिर से राजनीति गरमाने लगी है. महागठबंधन की ओर से जहां प्रत्याशी के नाम का ऐलान हो चुका है, वहीं आज-कल में बीजेपी और मुकेश सहनी की ओर से भी घोषणा हो सकती है. उधर चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. हालांकि चर्चा है कि वह मोकामा और गोपालगंज की तरह ही कुढ़नी में भी बीजेपी को समर्थन दे सकती है. प्रदेश मीडिया प्रभारी निशांत मिश्रा ने कहा कि उपचुनाव में हमारी भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है.
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कुढ़नी उपचुनाव में जेडीयू-बीजेपी में जंग: आरजेडी की सीटिंग सीट होने के बावजूद जेडीयू के लड़ाने के फैसले पर लोजपा (रामविलास) ने हैरानी जताई है. साथ ही पार्टी ने कहा कि अब वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता और वोट की ताकत की भी परीक्षा हो जाएगी. मीडिया प्रभारी निशांत मिश्रा ने कहा कि आरजेडी की जीती हुई सीट जेडीयू को देने का मतलब यही है कि महागठबंधन में अंदरूनी कलह और दवाब की राजनीति ने रफ्तार पकड़ ली है. उन्होंने वर्तमान परिस्थिति के मद्देनजर आज फिर यह कहा कि बिहार मध्यावधि चुनाव की ओर जा रहा है.
"बीते दिनों गोपालगंज और खासकर मोकामा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में तो यह स्पष्ट हो गया कि मुख्यमंत्री अपने प्रभाव वाले वोट बैंक का लाभ भी राजद उम्मीदवार को नहीं दिला पाए. उनकी यह विफलता यूं ही नही हुई, बल्कि उनकी प्रशासनिक नाकामी के प्रति जनता की नाराजगी की वजह से हुई. चिराग पासवान के नेतृत्व में कुढ़नी उपचुनाव में उनकी पार्टी एनडीए उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए कारगर और प्रभावी भूमिका निभाएगी"- निशांत मिश्रा, मीडिया प्रभारी, लोजपा (रामविलास)
राजद की सीटिंग सीट थीः बता दें कि यह सीट पिछले चुनाव के आधार पर राजद के पास थी. राजद के अनिल सहनी के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद यहां उपचुनाव करवाया जा रहा है. कुढ़नी विधानसभा सीट पर चुनाव के लिए 17 नवंबर तक नामांकन किया जा सकता है. 18 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 21 नवंबर तक नामांकन वापस लिया जाएगा. उसके बाद 5 दिसंबर मतदान होगा और 8 दिसंबर को मतगणना होगी. महागठबंधन के उम्मीदवार मनोज कुशवाहा 2005 से लेकर 2015 तक कुढ़नी सीट से विधायक रह चुके हैं.
क्यों हो रहा है उपचुनावः कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी विधायक अनिल सहनी पर राज्यसभा सांसद रहने के दौरान एलटीसी घोटाले का आरोप लगा है. इस आरोप पर सीबीआई जांच कर रही थी. अनिल सहनी जब राज्यसभा सांसद बने थे तो बिना यात्रा के लाखों रुपये का घोटाला हुआ था. एलटीसी घोटाला मामले में 31 अक्टूबर 2013 को सीबीआई ने केस दर्ज किया था. सीबीआई ने इस मामले में मनी लाउंड्रिंग एक्ट, धोखाधड़ी, सरकारी पद के दुरुपयोग की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने अवकाश एवं यात्रा भत्ता घोटाला (LTC scam Case) मामले में उनको दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी.
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