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आचार समिति की रिपोर्ट पर बदले महागठबंधन के नेताओं के सुर, बोले गड़े मुर्दे उखाड़कर क्या फायदा

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Published : Aug 26, 2022, 6:37 PM IST

सरकार बनते ही महागठबंधन के नेताओं के सुर बदल गए हैं. 23 मार्च 2021 को सदन में विधायकों की पिटाई के मामले पर हंगामा करने वाले नेताओं का कहना है कि गड़े मुर्दे उखाड़ कर क्या फायदा. आचार समिति की रिपोर्ट जब आएगी तब देखा जाएगा. पढ़ें.

Mahagathbandhan on Ethics Committee report
Mahagathbandhan on Ethics Committee report

पटना: बिहार विधानसभा के विशेष सत्र में बीजेपी विधायकों ने आचार समिति (Ethics Committee report In bihar) और विशेष समिति की रिपोर्ट को लेकर सदन के पटल पर रखने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया. सदन के अंदर और बाहर काफी देर तक हंगामा हुआ. सत्र की कार्यवाही लगभग 1 घंटे चली जिसमें विधानसभा के नए अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कार्यवाही का संचालन किया. समिति की रिपोर्ट को लेकर जहां बीजेपी के नेता कई तरह के आरोप लगा रहे थे तो वहीं महागठबंधन दल (Mahagathbandhan on Ethics Committee report) के नेताओं के रुख बदले दिख रहे थे. महागठबंधन के नेताओं ने कमेटी की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की.

पढ़ें- BJP विधायक संजय सरावगी बोले, दरभंगा में दलित की पिटाई से पता चलता है कि जंगलराज पार्ट 3 आ गया

आचार समिति की रिपोर्ट पर रार: 23 मार्च 2021 को बिहार विधानसभा में पहली बार सदन के अंदर पुलिस ने प्रवेश किया और विधायकों के साथ मारपीट की थी. उस वक्त महागठबंधन विपक्ष की भूमिका में थी और एनडीए सरकार पर हमलावर थी. विपक्षी दल के सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के सामने धरने पर बैठ गए थे. एक तरह से विपक्ष ने अध्यक्ष को उनके कक्ष पर ही बंधक बना लिया था. महागठबंधन के हंगामे के बाद उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष रहे विजय सिन्हा ने मामले को आचार समिति के सुपुर्द कर दिया था. अब महागठबंधन की सरकार है और विपक्ष की भूमिका में बीजेपी है. ऐसे में महागठबंधन कमेटी रिपोर्ट को रद्द करने की मांग कर रहा है.

पढ़ें- विधानसभा में हंगामा कर रहे विधायकों को मार्शल ने ऐसे बाहर फेंका, देखें वीडियो

नेताओं के बदले सुर: अचार समिति के सभापति रामनारायण मंडल के नेतृत्व में कमेटी ने वीडियो और अन्य साक्ष्य के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जिसमें 18 विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. आरजेडी और अन्य दलों के विधायकों के खिलाफ यह रिपोर्ट है. अब महागठबंधन दल के नेता इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

महागठबंधन का यू-टर्न: सरकार बनाने से पहले तक महागठबंधन पूरे मामले में जांच की मांग कर रहा था और अधिकारियों पर कार्रवाई की भी मांग की थी. कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हो चुकी है. लेकिन अब महागठबंधन दल के नेताओं के रुख में बदलाव देखने को मिल रहा है. आचार समिति में रामनारायण मंडल सभापति के अलावे अरुण सिन्हा, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, अचमित ऋषि देव और राम विशुन सिंह सदस्य के रूप में शामिल थे.

बीजेपी ने कार्रवाई की मांग: महागठबंधन की सरकार बनने से ठीक पहले आचार समिति ने रिपोर्ट तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को दी थी लेकिन सदन के पटल पर रिपोर्ट रखी नहीं जा सकी. अब जब सदन की कार्यवाही महागठबंधन सरकार में शुरू हुई तब महागठबंधन के नेताओं के सुर बदल गए हैं. अब बीजेपी की तरफ से इसे सदन में रखने की मांग होने लगी और इस पर सियासत शुरू हो गयी है. बिहार विधानसभा की कार्यवाही के दौरान भी बीजेपी सदस्यों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था.

आरजेडी के 18 विधायकों की सदस्यता पर खतरा: समिति के सभापति रामनारायण मंडल की अध्यक्षता में पिछले साल 23 मार्च को हुई मारपीट की घटना मामले में कई विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. इसमें सबसे अधिक आरजेडी के विधायक शामिल हैं. संख्या को लेकर जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन यह एक दर्जन से अधिक हो सकता है, क्योंकि 18 विधायकों पर तलवार लटकी हुई है.

क्या है मामला? याद दिलाएं कि 23 मार्च 2021 को पुलिस बिल के विरोध में विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया था और उसके बाद पुलिस को बुलाना पड़ा. इस मामले में कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई है लेकिन आचार समिति की जांच विधायकों के व्यवहार को लेकर चल रही थी. समिति की कई बैठकें पहले हो चुकी हैं. वीडियो फुटेज के आधार पर समिति ने अनुशंसा की है. हालांकि बदली राजनीतिक परिस्थिति में आचार समिति की अचानक अनुशंसा पर सवाल भी उठने लगे हैं लेकिन देखना होगा कि इस मामले में बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा क्या कुछ फैसला लेते हैं.


"इन्हें पिछली गलतियों को महसूस करना चाहिए. अब चीजें बदल गई है. तत्कालीन अध्यक्ष ने विधायकों को पिटवाया था. रिपोर्ट को रद्द कर देना चाहिए. गड़े मुर्दे उखाड़ने का कोई मतलब नहीं है."- सुदामा प्रसाद, माले विधायक

"आज इसे उठाना ही गलत था. आज अध्यक्ष जी का मनोनयन था लेकिन इस तरह की परिपाटी गलत है."- भूदेव चौधरी आरजेडी विधायक

"अपने समय में बीजेपी ने क्यों नहीं मारपीट की रिपोर्ट को पटल पर रखा. विजय सिन्हा को लाना चाहिए था. हमने तो बार-बार मांग की थी."-संजय तिवारी, कांग्रेस विधायक

"हम आचार समिति की रिपोर्ट पटल पर रखने की मांग रख रहे थे. इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया."- प्रमोद कुमार, पूर्व मंत्री, बिहार


विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने बीजेपी की मांग को नजरअंदाज किया और कहा सदन की कार्य सूची में केवल विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचन और धन्यवाद ज्ञापन था. इस पर बीजेपी का कहना है कि समिति की रिपोर्ट तो पेश नहीं ही हुई, पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के निधन का शोक प्रस्ताव भी नहीं आया. सदन की विशेष सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है.


पटना: बिहार विधानसभा के विशेष सत्र में बीजेपी विधायकों ने आचार समिति (Ethics Committee report In bihar) और विशेष समिति की रिपोर्ट को लेकर सदन के पटल पर रखने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया. सदन के अंदर और बाहर काफी देर तक हंगामा हुआ. सत्र की कार्यवाही लगभग 1 घंटे चली जिसमें विधानसभा के नए अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कार्यवाही का संचालन किया. समिति की रिपोर्ट को लेकर जहां बीजेपी के नेता कई तरह के आरोप लगा रहे थे तो वहीं महागठबंधन दल (Mahagathbandhan on Ethics Committee report) के नेताओं के रुख बदले दिख रहे थे. महागठबंधन के नेताओं ने कमेटी की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की.

पढ़ें- BJP विधायक संजय सरावगी बोले, दरभंगा में दलित की पिटाई से पता चलता है कि जंगलराज पार्ट 3 आ गया

आचार समिति की रिपोर्ट पर रार: 23 मार्च 2021 को बिहार विधानसभा में पहली बार सदन के अंदर पुलिस ने प्रवेश किया और विधायकों के साथ मारपीट की थी. उस वक्त महागठबंधन विपक्ष की भूमिका में थी और एनडीए सरकार पर हमलावर थी. विपक्षी दल के सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के सामने धरने पर बैठ गए थे. एक तरह से विपक्ष ने अध्यक्ष को उनके कक्ष पर ही बंधक बना लिया था. महागठबंधन के हंगामे के बाद उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष रहे विजय सिन्हा ने मामले को आचार समिति के सुपुर्द कर दिया था. अब महागठबंधन की सरकार है और विपक्ष की भूमिका में बीजेपी है. ऐसे में महागठबंधन कमेटी रिपोर्ट को रद्द करने की मांग कर रहा है.

पढ़ें- विधानसभा में हंगामा कर रहे विधायकों को मार्शल ने ऐसे बाहर फेंका, देखें वीडियो

नेताओं के बदले सुर: अचार समिति के सभापति रामनारायण मंडल के नेतृत्व में कमेटी ने वीडियो और अन्य साक्ष्य के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जिसमें 18 विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. आरजेडी और अन्य दलों के विधायकों के खिलाफ यह रिपोर्ट है. अब महागठबंधन दल के नेता इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

महागठबंधन का यू-टर्न: सरकार बनाने से पहले तक महागठबंधन पूरे मामले में जांच की मांग कर रहा था और अधिकारियों पर कार्रवाई की भी मांग की थी. कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हो चुकी है. लेकिन अब महागठबंधन दल के नेताओं के रुख में बदलाव देखने को मिल रहा है. आचार समिति में रामनारायण मंडल सभापति के अलावे अरुण सिन्हा, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, अचमित ऋषि देव और राम विशुन सिंह सदस्य के रूप में शामिल थे.

बीजेपी ने कार्रवाई की मांग: महागठबंधन की सरकार बनने से ठीक पहले आचार समिति ने रिपोर्ट तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को दी थी लेकिन सदन के पटल पर रिपोर्ट रखी नहीं जा सकी. अब जब सदन की कार्यवाही महागठबंधन सरकार में शुरू हुई तब महागठबंधन के नेताओं के सुर बदल गए हैं. अब बीजेपी की तरफ से इसे सदन में रखने की मांग होने लगी और इस पर सियासत शुरू हो गयी है. बिहार विधानसभा की कार्यवाही के दौरान भी बीजेपी सदस्यों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था.

आरजेडी के 18 विधायकों की सदस्यता पर खतरा: समिति के सभापति रामनारायण मंडल की अध्यक्षता में पिछले साल 23 मार्च को हुई मारपीट की घटना मामले में कई विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. इसमें सबसे अधिक आरजेडी के विधायक शामिल हैं. संख्या को लेकर जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन यह एक दर्जन से अधिक हो सकता है, क्योंकि 18 विधायकों पर तलवार लटकी हुई है.

क्या है मामला? याद दिलाएं कि 23 मार्च 2021 को पुलिस बिल के विरोध में विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया था और उसके बाद पुलिस को बुलाना पड़ा. इस मामले में कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई है लेकिन आचार समिति की जांच विधायकों के व्यवहार को लेकर चल रही थी. समिति की कई बैठकें पहले हो चुकी हैं. वीडियो फुटेज के आधार पर समिति ने अनुशंसा की है. हालांकि बदली राजनीतिक परिस्थिति में आचार समिति की अचानक अनुशंसा पर सवाल भी उठने लगे हैं लेकिन देखना होगा कि इस मामले में बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा क्या कुछ फैसला लेते हैं.


"इन्हें पिछली गलतियों को महसूस करना चाहिए. अब चीजें बदल गई है. तत्कालीन अध्यक्ष ने विधायकों को पिटवाया था. रिपोर्ट को रद्द कर देना चाहिए. गड़े मुर्दे उखाड़ने का कोई मतलब नहीं है."- सुदामा प्रसाद, माले विधायक

"आज इसे उठाना ही गलत था. आज अध्यक्ष जी का मनोनयन था लेकिन इस तरह की परिपाटी गलत है."- भूदेव चौधरी आरजेडी विधायक

"अपने समय में बीजेपी ने क्यों नहीं मारपीट की रिपोर्ट को पटल पर रखा. विजय सिन्हा को लाना चाहिए था. हमने तो बार-बार मांग की थी."-संजय तिवारी, कांग्रेस विधायक

"हम आचार समिति की रिपोर्ट पटल पर रखने की मांग रख रहे थे. इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया."- प्रमोद कुमार, पूर्व मंत्री, बिहार


विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने बीजेपी की मांग को नजरअंदाज किया और कहा सदन की कार्य सूची में केवल विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचन और धन्यवाद ज्ञापन था. इस पर बीजेपी का कहना है कि समिति की रिपोर्ट तो पेश नहीं ही हुई, पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के निधन का शोक प्रस्ताव भी नहीं आया. सदन की विशेष सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है.


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