पटना: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के चौथे दिन छठ व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया. उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही रविवार की सुबह चार दिवसीय छठ पर्व का समापन हो गया.
लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
राजधानी पटना के गंगा घाटों पर उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. एनआईटी गांधी घाट, कालीघाट, दीघा, पाटीपुल, कलेक्ट्री घाट, कुर्जी, बांसघाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही. पारंपरिक छठ गीतों...मारबउ रे सुगवा धनुष से...कांच की बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए से शहर और पूरा बिहार भक्तिमय हो गया. बता दें कि धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर छठी माता की कृपा बरसती है.
36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त
पारिवारिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व के चौथे दिन रविवार को व्रतधारी नदियों और तालाबों में खड़े होकर उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित किया. दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं को 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त हो गया.
4 दिनों तक होता है यह महापर्व
बता दें कि चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता है और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण करते है. इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर खरना का पूजा करते हैं. उसके बाद दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं. इसके बाद से उनका 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू होता है. इसके साथ ही उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो जाता है.