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पीयू सेंट्रल लाइब्रेरी- दुर्लभ किताबों और पांडुलिपियों का अद्भुत संग्रह

पीयू के सेंट्रल लाइब्रेरी में लैला-मजनूं से भी पुरानी पुस्तकों का संग्रह है. यहां 2 लाख 75 हजार से अधिक पुस्तकों के साथ 4000 पांडुलिपियां मौजूद हैं. जल्द हीं लाइब्रेरी को डिजिटल किया जाएगा.

लाइब्रेरी
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Published : Jul 16, 2019, 12:01 PM IST

पटना: पटना विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा का केंद्र ही नहीं बल्कि यहां पर ऐतिहासिक पुस्तकों और पांडुलिपियों का विशाल संग्रह भी है. पीयू के सेंट्रल लाइब्रेरी में 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी की दुर्लभ पांडुलिपियों का विशाल संग्रह है. ऐसे विशाल संग्रह के के कारण पीयू विद्यार्थियों के साथ-साथ शोधार्थियों को भी आकर्षित करता है.

2000 साल पुरानी इतिहास की पुस्तक मौजूद

2000 साल पुरानी इतिहास की पुस्तक मौजूद
आपको बता दें कि यहां देश की 2000 साल पुरानी इतिहास तक की दुलर्भ पुस्तकों का संग्रह है. यहां एक से डेढ़ हजार साल पुराने सिक्के, मूर्तियां, अंग्रेजी काल के गैजेट और एवन पेंटिंग मौजूद है. वहीं दूसरी ओर 400 साल पुरानी लैला-मजनूं की दुर्लभ पांडुलिपि, रामचरितमानस, महाभारत, दरभंगा महाराज की वंशावली के कई भाषाओं में दुर्लभ अभिलेख मौजूद हैं.

पटना
लैला मजनूं

4000 पांडुलिपियां मौजूद
यहां पर तकरीबन 2 लाख 75 हजार से अधिक पुस्तकों के साथ 4000 पांडुलिपियां मौजूद हैं. यहां लैला मजनूं से भी अधिक पुरानी किताबों का संग्रह है. यहां मुगल काल में लिखी गई अरबी और फारसी भाषा के पुस्तकों का भी संग्रह है. यहां मोहम्मद फाजिल द्वारा लिखी गई मुजरा पुल हर्षनाथ, 1606 में मोहम्मद खान द्वारा लिखी गई पुस्तक जहांगीरनामा मौजूद है. यहां 14वीं सदी की सरोज कलिका और मालती माधवन, 15वीं सदी की तोरीनामा और शिलाला सियाफत गरीरिया जैसी दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद हैं.

पटना
सरोज कालिका

विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें मौजूद
इस लाइब्रेरी में विभिन्न भाषाओं जैसे मैथिली, बांगला, तिब्बति, ब्रज भाषा, तमिल, उड़िया, संस्कृत, हिन्दी, नेपाली, अरबी, फारसी एवं उर्दू में लिखी पुस्तकें एवं पांडुलिपियां मौजूद हैं. सेंट्रल लाइब्रेरी शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है. जल्द हीं लाइब्रेरी को डिजिटल किया जाएगा. अब एक क्लिक पर हजारों किताबों का अवलोकन कर सकेंगे.

पटना
रामचरितमानस

पटना: पटना विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा का केंद्र ही नहीं बल्कि यहां पर ऐतिहासिक पुस्तकों और पांडुलिपियों का विशाल संग्रह भी है. पीयू के सेंट्रल लाइब्रेरी में 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी की दुर्लभ पांडुलिपियों का विशाल संग्रह है. ऐसे विशाल संग्रह के के कारण पीयू विद्यार्थियों के साथ-साथ शोधार्थियों को भी आकर्षित करता है.

2000 साल पुरानी इतिहास की पुस्तक मौजूद

2000 साल पुरानी इतिहास की पुस्तक मौजूद
आपको बता दें कि यहां देश की 2000 साल पुरानी इतिहास तक की दुलर्भ पुस्तकों का संग्रह है. यहां एक से डेढ़ हजार साल पुराने सिक्के, मूर्तियां, अंग्रेजी काल के गैजेट और एवन पेंटिंग मौजूद है. वहीं दूसरी ओर 400 साल पुरानी लैला-मजनूं की दुर्लभ पांडुलिपि, रामचरितमानस, महाभारत, दरभंगा महाराज की वंशावली के कई भाषाओं में दुर्लभ अभिलेख मौजूद हैं.

पटना
लैला मजनूं

4000 पांडुलिपियां मौजूद
यहां पर तकरीबन 2 लाख 75 हजार से अधिक पुस्तकों के साथ 4000 पांडुलिपियां मौजूद हैं. यहां लैला मजनूं से भी अधिक पुरानी किताबों का संग्रह है. यहां मुगल काल में लिखी गई अरबी और फारसी भाषा के पुस्तकों का भी संग्रह है. यहां मोहम्मद फाजिल द्वारा लिखी गई मुजरा पुल हर्षनाथ, 1606 में मोहम्मद खान द्वारा लिखी गई पुस्तक जहांगीरनामा मौजूद है. यहां 14वीं सदी की सरोज कलिका और मालती माधवन, 15वीं सदी की तोरीनामा और शिलाला सियाफत गरीरिया जैसी दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद हैं.

पटना
सरोज कालिका

विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें मौजूद
इस लाइब्रेरी में विभिन्न भाषाओं जैसे मैथिली, बांगला, तिब्बति, ब्रज भाषा, तमिल, उड़िया, संस्कृत, हिन्दी, नेपाली, अरबी, फारसी एवं उर्दू में लिखी पुस्तकें एवं पांडुलिपियां मौजूद हैं. सेंट्रल लाइब्रेरी शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है. जल्द हीं लाइब्रेरी को डिजिटल किया जाएगा. अब एक क्लिक पर हजारों किताबों का अवलोकन कर सकेंगे.

पटना
रामचरितमानस
Intro: पटना विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा का केंद्र हि नहीं बल्कि समृद्व और ऐतिहासिक पुस्तकों के साथ पांडुलिपियों का विशाल संग्रह अपने अंदर समेटे हैं यहां 14 वीं सदी से लेकर 17 वीं सदी की दुर्लभ पांडुलिपियों का विशाल संग्रह है ईटीवी पर देखिए खास रिपोर्ट:--


Body:राजधानी पटना स्थित पटना विश्वविद्यालय जहां शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र न केवल पढ़ाई लिखाई के लिए प्रसिद्ध है रहा है, बल्कि कई प्राचीन पांडुलिपियों के साथ दस्तावेजों का संग्रह कर शोधार्थियों को अपनी और आकर्षित करता है देश के 2000 साल पुरानी इतिहास को देखना और जानना है तो आइए पटना विश्वविद्यालय में स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में जहां दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह आपकी सारी जिज्ञासा को शांत कर देगा, लाइब्रेरी में एक से डेढ़ हजार साल पुराने सिक्के, मूर्तियां,और अंग्रेजी काल के गजट, एवन पेंटिंग है वहीं दूसरी ओर 400 साल पुरानी लैला मजनू की दुर्लभ पांडुलिपि, रामचरितमानस, महाभारत, दरभंगा महाराज की वंशावली कई भाषाओं के दुर्लभ अभिलेख मौजूद हैं। पटना विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में मुगल काल में लिखी गई अरबी और फारसी भाषा की दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह है लाइब्रेरी में पुस्तक मुजरा पुल हर्षनाथ है उसके लेखक मोहम्मद फाजिल मोहम्मद थे, वर्ष 1848 में फारसी भाषा में लिखी पुस्तक में मस्जिद पेड़ पौधे के साथ रंगीन कलाकृति बनी है, लाइब्रेरी में फारसी भाषा में लिखी पुस्तकें आज भी सुरक्षित है साल 1606 की पुस्तक जहांगीरनामा भी आज सुरक्षित है, इसके लेखक मोहम्मद खान थे।


Conclusion:पटना विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी में 14 में से 17 मी सदी की पांडुलिपियों आज भी सुरक्षित एवं संरक्षित हैं तकरीबन 2 लाख75 हजार से अधिक पुस्तकों के साथ 4000 पांडुलिपिया मौजूद हैं सेंट्रल लाइब्रेरी को अब डिजिटल किया जा रहा है,अब एक क्लिक पर हजारो किताबे का अवलोकन कर सकते है बाईट:--प्रोफेसर रविंद्र कुमार लाइब्रेरी इंचार्ज, सेंट्रल लाईब्रेरी, पीयू
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