पटना: पटना विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा का केंद्र ही नहीं बल्कि यहां पर ऐतिहासिक पुस्तकों और पांडुलिपियों का विशाल संग्रह भी है. पीयू के सेंट्रल लाइब्रेरी में 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी की दुर्लभ पांडुलिपियों का विशाल संग्रह है. ऐसे विशाल संग्रह के के कारण पीयू विद्यार्थियों के साथ-साथ शोधार्थियों को भी आकर्षित करता है.
2000 साल पुरानी इतिहास की पुस्तक मौजूद
आपको बता दें कि यहां देश की 2000 साल पुरानी इतिहास तक की दुलर्भ पुस्तकों का संग्रह है. यहां एक से डेढ़ हजार साल पुराने सिक्के, मूर्तियां, अंग्रेजी काल के गैजेट और एवन पेंटिंग मौजूद है. वहीं दूसरी ओर 400 साल पुरानी लैला-मजनूं की दुर्लभ पांडुलिपि, रामचरितमानस, महाभारत, दरभंगा महाराज की वंशावली के कई भाषाओं में दुर्लभ अभिलेख मौजूद हैं.
4000 पांडुलिपियां मौजूद
यहां पर तकरीबन 2 लाख 75 हजार से अधिक पुस्तकों के साथ 4000 पांडुलिपियां मौजूद हैं. यहां लैला मजनूं से भी अधिक पुरानी किताबों का संग्रह है. यहां मुगल काल में लिखी गई अरबी और फारसी भाषा के पुस्तकों का भी संग्रह है. यहां मोहम्मद फाजिल द्वारा लिखी गई मुजरा पुल हर्षनाथ, 1606 में मोहम्मद खान द्वारा लिखी गई पुस्तक जहांगीरनामा मौजूद है. यहां 14वीं सदी की सरोज कलिका और मालती माधवन, 15वीं सदी की तोरीनामा और शिलाला सियाफत गरीरिया जैसी दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद हैं.
विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें मौजूद
इस लाइब्रेरी में विभिन्न भाषाओं जैसे मैथिली, बांगला, तिब्बति, ब्रज भाषा, तमिल, उड़िया, संस्कृत, हिन्दी, नेपाली, अरबी, फारसी एवं उर्दू में लिखी पुस्तकें एवं पांडुलिपियां मौजूद हैं. सेंट्रल लाइब्रेरी शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है. जल्द हीं लाइब्रेरी को डिजिटल किया जाएगा. अब एक क्लिक पर हजारों किताबों का अवलोकन कर सकेंगे.