पटना (मसौढ़ी): बिहार में हर साल शिक्षा को लेकर करोड़ों का बजट जारी किया जाता है. स्कूलों में सभी सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के तमाम दावे सरकार के द्वारा किए जाते हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत आज भी राजधानी पटना के प्राथमिक विद्यालय मोहिउद्दीनपुर में देखी जा सकती है. जहां बच्चों को जमीन पर बैठना पड़ता है. इसके साथ ही विद्यालय में न तो पेयजल है (Drinking Water not Available in Masaurhi) और न ही शौचालय की व्यवस्था. जिससे बच्चों को पीने के पानी और शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता (Children go out for Toilet in Masaurhi) है.
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बच्चे बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर: इतना ही नहीं, पढ़ाई के लिए सबसे आवश्यक किताबें होती हैं, लेकिन प्राथमिक विद्यालय मोहिउद्दीनपुर में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें नहीं मिली है. जिससे बच्चे बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर हैं. वहीं, कोरोना की शुरुआत में ही यहां मिड डे मील बंद कर दिया गया था. जिसे अभी तक नहीं चालू किया गया. ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि प्रशासन की तरफ से प्रत्येक साल जारी होने वाला करोड़ों का बजट कहां जा रहा है. आखिरकार सरकारी विद्यालयों की यही स्थिति रही तो नौनिहालों के भविष्य का क्या होगा.
नहीं दिया जा रहा मध्याह्न भोजन: वहीं इस पूरे मामले में प्रभारी प्रधानाध्यापक अब्दुल रहमान का तर्क हैरान कर देने वाला है. उन्होंने कहा कि पासबुक नहीं मिला है, न तो खाता नंबर मालूम है. खाते में कितना पैसा है ये नहीं मालूम है. और न तो चावल है, ऐसे में वे मिड डे मील कैसे चालू करें. इसके साथ ही बच्चों के जमीन पर बैठने पर उन्होंने कहा कि ठंड के दिनों में दरी बिछाकर बच्चों को पढ़ाया जाता है. गर्मी के दिनों में ऐसे ही पढ़ाते हैं.
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विद्यालयों में पेयजल का अभाव: प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रासबिहारी दुबे ने माना कि कुछ विद्यालयों में पेयजल का अभाव है. दो-तीन विद्यालय प्रकाश में आये हैं. इसके साथ ही जिन विद्यालयों में शौचालय ठीक नहीं हैं. वहां शौचालय का मरम्मत कराया जाएगा. स्कूलों को सख्त निर्देश दिया गया है कि पानी की सुविधा और शौचालय की सुविधा सुदृढ़ करें.इसे गंभीरता से लिया जा रहा है.
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