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पटना से सटे मसौढ़ी के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, ऐसी व्यवस्था में कैसे पढ़ेंगे नौनिहाल?

बिहार में शासन और प्रशासन तमाम दावे करता है कि सरकारी विद्यालयों में सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध है. वहीं, इसके इतर मसौढ़ी में स्थित प्राथमिक विद्यालय मोहिउद्दीनपुर में (primary school Mohiuddinpur Masaurhi) पेयजल, शौचालय, बच्चों के बैठने की व्यवस्था और मध्याह्न भोजन की भी व्यवस्था नहीं है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चे कैसे पढ़ाई करेंगे.

Lack of necessary facilities in primary school
मसौढ़ी के इस विद्यालय में आवश्यक सुविधाओं का अभाव
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Published : Apr 2, 2022, 4:08 PM IST

पटना (मसौढ़ी): बिहार में हर साल शिक्षा को लेकर करोड़ों का बजट जारी किया जाता है. स्कूलों में सभी सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के तमाम दावे सरकार के द्वारा किए जाते हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत आज भी राजधानी पटना के प्राथमिक विद्यालय मोहिउद्दीनपुर में देखी जा सकती है. जहां बच्चों को जमीन पर बैठना पड़ता है. इसके साथ ही विद्यालय में न तो पेयजल है (Drinking Water not Available in Masaurhi) और न ही शौचालय की व्यवस्था. जिससे बच्चों को पीने के पानी और शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता (Children go out for Toilet in Masaurhi) है.

ये भी पढ़ें- देखिए नीतीश जी! पटना में सरकारी स्कूल का हाल, ना अपनी जमीन.. ना भवन, 'जुगाड़' से चल रहा विद्यालय

बच्चे बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर: इतना ही नहीं, पढ़ाई के लिए सबसे आवश्यक किताबें होती हैं, लेकिन प्राथमिक विद्यालय मोहिउद्दीनपुर में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें नहीं मिली है. जिससे बच्चे बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर हैं. वहीं, कोरोना की शुरुआत में ही यहां मिड डे मील बंद कर दिया गया था. जिसे अभी तक नहीं चालू किया गया. ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि प्रशासन की तरफ से प्रत्येक साल जारी होने वाला करोड़ों का बजट कहां जा रहा है. आखिरकार सरकारी विद्यालयों की यही स्थिति रही तो नौनिहालों के भविष्य का क्या होगा.

नहीं दिया जा रहा मध्याह्न भोजन: वहीं इस पूरे मामले में प्रभारी प्रधानाध्यापक अब्दुल रहमान का तर्क हैरान कर देने वाला है. उन्होंने कहा कि पासबुक नहीं मिला है, न तो खाता नंबर मालूम है. खाते में कितना पैसा है ये नहीं मालूम है. और न तो चावल है, ऐसे में वे मिड डे मील कैसे चालू करें. इसके साथ ही बच्चों के जमीन पर बैठने पर उन्होंने कहा कि ठंड के दिनों में दरी बिछाकर बच्चों को पढ़ाया जाता है. गर्मी के दिनों में ऐसे ही पढ़ाते हैं.

ये भी पढ़ें- दरभंगा: शिक्षकों की कमी के कारण इस स्कूल में पढ़ाते हैं बच्चे, दो टीचर के भरोसे 239 छात्रों का भविष्य

विद्यालयों में पेयजल का अभाव: प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रासबिहारी दुबे ने माना कि कुछ विद्यालयों में पेयजल का अभाव है. दो-तीन विद्यालय प्रकाश में आये हैं. इसके साथ ही जिन विद्यालयों में शौचालय ठीक नहीं हैं. वहां शौचालय का मरम्मत कराया जाएगा. स्कूलों को सख्त निर्देश दिया गया है कि पानी की सुविधा और शौचालय की सुविधा सुदृढ़ करें.इसे गंभीरता से लिया जा रहा है.

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पटना (मसौढ़ी): बिहार में हर साल शिक्षा को लेकर करोड़ों का बजट जारी किया जाता है. स्कूलों में सभी सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के तमाम दावे सरकार के द्वारा किए जाते हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत आज भी राजधानी पटना के प्राथमिक विद्यालय मोहिउद्दीनपुर में देखी जा सकती है. जहां बच्चों को जमीन पर बैठना पड़ता है. इसके साथ ही विद्यालय में न तो पेयजल है (Drinking Water not Available in Masaurhi) और न ही शौचालय की व्यवस्था. जिससे बच्चों को पीने के पानी और शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता (Children go out for Toilet in Masaurhi) है.

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बच्चे बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर: इतना ही नहीं, पढ़ाई के लिए सबसे आवश्यक किताबें होती हैं, लेकिन प्राथमिक विद्यालय मोहिउद्दीनपुर में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें नहीं मिली है. जिससे बच्चे बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर हैं. वहीं, कोरोना की शुरुआत में ही यहां मिड डे मील बंद कर दिया गया था. जिसे अभी तक नहीं चालू किया गया. ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि प्रशासन की तरफ से प्रत्येक साल जारी होने वाला करोड़ों का बजट कहां जा रहा है. आखिरकार सरकारी विद्यालयों की यही स्थिति रही तो नौनिहालों के भविष्य का क्या होगा.

नहीं दिया जा रहा मध्याह्न भोजन: वहीं इस पूरे मामले में प्रभारी प्रधानाध्यापक अब्दुल रहमान का तर्क हैरान कर देने वाला है. उन्होंने कहा कि पासबुक नहीं मिला है, न तो खाता नंबर मालूम है. खाते में कितना पैसा है ये नहीं मालूम है. और न तो चावल है, ऐसे में वे मिड डे मील कैसे चालू करें. इसके साथ ही बच्चों के जमीन पर बैठने पर उन्होंने कहा कि ठंड के दिनों में दरी बिछाकर बच्चों को पढ़ाया जाता है. गर्मी के दिनों में ऐसे ही पढ़ाते हैं.

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विद्यालयों में पेयजल का अभाव: प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रासबिहारी दुबे ने माना कि कुछ विद्यालयों में पेयजल का अभाव है. दो-तीन विद्यालय प्रकाश में आये हैं. इसके साथ ही जिन विद्यालयों में शौचालय ठीक नहीं हैं. वहां शौचालय का मरम्मत कराया जाएगा. स्कूलों को सख्त निर्देश दिया गया है कि पानी की सुविधा और शौचालय की सुविधा सुदृढ़ करें.इसे गंभीरता से लिया जा रहा है.

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