पटना: नीति आयोग की बैठक से बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने दूसरे साल भी दूरी बनाई रखी. इसके पीछे का कारण उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि को बताया. सीएम ने कहा कि इसकी जानकारी केंद्र को भेज दी गई थी. इस दौरान सीएम ने मोदी सरकार पर जमकर हमला किया और ये भी कहा कि अगर नीति आयोग की बैठक में जाते तो फिर से विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाते. केंद्र सरकार बिहार की कोई मदद नहीं कर रही है. अगर मदद दी जाती तो बिहार बहुत आगे निकल जाता.
नीति आयोग की बैठक से सीएम नीतीश की दूरी पर सवाल: बिहार पिछड़े राज्यों के सूची में शामिल है. नीति आयोग के ज्यादातर इंडेक्स में बिहार निचले पायदान पर है. बिहार सरकार राज्य के लिए स्पेशल स्टेटस और स्पेशल पैकेज की मांग करती रही है. वहीं बिहार को जब हक दिलाने की बारी आई तो नीतीश ने बैठक से दूरी बना ली. नीतीश कुमार ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में आना था, इसलिए नहीं जा सके. जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि बिहार के हितों की बात कैसे होगी, तो सीएम ने कहा कि हमलोग लगातार बिहार का विकास कर रहे हैं. लेकिन केंद्र सहायता नहीं कर रही है.
"आज जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि थी और हमारा कार्यक्रम में हिस्सा लेना तय था. सेकेंड हाफ में अगर नीति आयोग की बैठक होती तो मैं इस कार्यक्रम के बाद वहां चला जाता. मैंने अधिकारियों और प्रतिनिधियों के नाम सुझाए थे लेकिन उसे केंद्र ने नहीं माना."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
विपक्ष ने साधा निशाना: नीति आयोग की बैठक में बिहार से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा होनी थी. उदाहरण के तौर पर मानव विकास सूचकांक, शिक्षा, स्वास्थ्य, और गरीबी जैसे विषयों पर चर्चा होनी थी. राज्य अपने जरूरतों के हिसाब से प्रस्ताव रखते हैं और उस पर केंद्र के स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक्शन पर बिहार भाजपा आग बबूला है.
"नीतीश कुमार ने बिहार के हितों को ताक पर रख दिया. अपने ईगो के चलते नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया. नीतीश कुमार के कदम से बिहार की भारी क्षति हुई है."- सम्राट चौधरी, बिहार बीजेपी अध्यक्ष
अर्थशास्त्री ने कहा- 'नीतीश का बैठक में नहीं जाना दुर्भाग्यपूर्ण': वहीं जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ नवल किशोर चौधरी का कहना है कि नीतीश कुमार अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा की वजह से इस बैठक में शामिल ना होकर बिहार को विकास की गति से वंचित कर रहे हैं. बुनियादी ढांचा और निवेश अनुपालन को कम करना, महिला सशक्तिकरण स्वास्थ्य और पोषण कौशल विकास, क्षेत्र के विकास तथा सामाजिक बुनियादी ढांचे को गति देने के लिए यह बैठक आयोजित की जा रही थी. इस बैठक में बिहार के तरफ से शामिल नहीं होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की विकास की गति को पीछे धकेल रहे हैं.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वैसे तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करते रहते हैं. आज जब उनके पास एक बहुत ही सुनहरा मौका था नीति आयोग की बैठक में अपनी बात रखने का तो उन्होंने दूरी बना ली, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. बिहार सरकार को आज नीति आयोग की बैठक में जाना चाहिए था."- प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी, अर्थशास्त्री
नए संसद भवन के साथ ही नीति आयोग का भी बहिष्कार: सीएम नीतीश कल होने वाले संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह से भी दूरी बना ली है. वहीं नीति आयोग की बैठक में ना जाने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. राज्यों के विकास की रूपरेखा तय करने के लिए केंद्र के स्तर पर नीति आयोग के महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. बैठक में कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री के अलावा नीतीश कुमार ने भी हिस्सा नहीं लिया. बैठक बिहार के प्रतिनिधित्व के बिना संपन्न हुई. वहीं नीतीश की नीति आयोग की बैठक से दूरी ने बिहार की सियासत में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार अपने महत्वकांक्षा पूर्ति के लिए बिहार की अनदेखी कर रहे हैं. विपक्ष इस मुद्दे पर महागठबंधन सरकार पर हमलावर है. कहा जा रहा है कि चुनाव के समय नीतीश विशेष राज्य के दर्जे का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हैं लेकिन जब सही जगह पर जाकर बात रखने का समय आया तो कन्नी काट गए.
कांग्रेस को दिया बड़ा संदेश: वर्तमान परिस्थिति में देश के राजनीतिक हालात ऐसे हैं कि नीतीश कुमार को नीति आयोग की बैठक से दूरी बनानी पड़ेगी. दरअसल अरविंद केजरीवाल अध्यादेश के बहाने तमाम भाजपा विरोधी नेताओं से मिलने वाले हैं. नीतीश कुमार को इस बात का डर है कि कहीं अरविंद केजरीवाल उनके द्वारा चलाए जा रहे मुहिम को हाईजैक ना कर ले. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि समारोह को प्राथमिकता देकर नीतीश कुमार ने एक तीर से दो निशाना साधा. एक ओर उन्हें नीति आयोग की बैठक में ना जाने का बहाना मिल गया तो दूसरी तरफ कांग्रेसी नेताओं को भी यह समझाने में कामयाब रहे कि उनके लिए प्राथमिकता पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि थी.
नीतीश को किस बात का है डर?: नीतीश कुमार पिछले कुछ वर्षों से नरेंद्र मोदी का सामना करने से बच रहे हैं. उसके बाद से नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात नहीं की है और सामना करने से भी बचते रहे हैं. भाजपा के विरोध में विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में नीतीश कुमार अगुआ बने हुए हैं. केसीआर, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी के विरोध के बाद नीतीश कुमार ने भी उसी रास्ते को चुना. नीतीश कुमार ने बैठक में ना जाकर संकेत दे दिया कि विपक्षी एकता की मुहिम को कमजोर होने नहीं दिया जाएगा. नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार ,संसद के उद्घाटन सत्र का बहिष्कार और फिर अरविंद केजरीवाल द्वारा अध्यादेश के खिलाफ चलाए जा रहे मुहिम को लेकर नीतीश कुमार एकजुटता दिखाने की कोशिश की है.
"बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए नीति आयोग की बैठक एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म था. बिहार के हितों के बाद उस फोरम से की जा सकती थी लेकिन राजनीतिक कारणों से शायद ऐसा नहीं किया गया. बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए नीति आयोग की बैठक महत्वपूर्ण फोरम था. इस बैठक में हिस्सा लेकर सरकार बिहार के विकास को दिशा दे सकती थी लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं किया जा सका."- डॉ संजय कुमार,राजनीतिक विश्लेषक