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बिहार के लिए साल 2023 के न्यूज मेकर ऑफ द ईयर रहे केके पाठक, जानिए सुर्खियों में रहनेवाले इस अधिकारी को - कौन हैं केके पाठक

kk Pathak साल 2023 समाप्त हो गया. बिहार के लिए 2023 में शिक्षा विभाग के ऊपर मुख्य सचिव के के पाठक पूरे वर्ष सुर्खियों में बने रहे. बिहार के लिए साल 2023 में केके पाठक न्यूज मेकर ऑफ द ईयर रहे. केके पाठक ने शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव का पदभार संभालने के बाद से प्रतिदिन कुछ ना कुछ ऐसा शिक्षा विभाग में सुधार के लिए निर्देश जारी किया जो सुर्खियों में रहा. आइये, जानते हैं के के पाठक के बारे में.

केके पाठक
केके पाठक
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 1, 2024, 5:05 AM IST

केके पाठक.

पटनाः बिहार के शिक्षा विभाग में जिस एक नाम से हड़कंप मचा हुआ है वह है 'के के पाठक'. पूरा नाम केशव कुमार पाठक. केके पाठक यूपी के रहनेवाले हैं. इनका जन्म 15 जनवरी 1968 को हुआ है. केके पाठक के पिता मेजर जीएस पाठक बिहार सरकार के लघु जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं. केके पाठक बचपन से ही मेधावी छात्र थे. इकोनॉमिक्स से बैचलर करने के साथ इकोनामिक से ही एमफिल किया. 21 की उम्र में यूपीएससी सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता के पहले प्रयास में 40 वां स्थान हासिल कर अपनी मेधा का परिचय दिया.

गिरिडीह में कड़क तेवर का दिया था परिचयः साल 1990 में केके पाठक की पहली पोस्टिंग कटिहार में हुई. इसी वर्ष एसडीओ के रूप में झारखंड के गिरिडीह (तत्कालीन बिहार) में पोस्टिंग हुई. गिरिडीह में उन्होंने अपने कड़क तेवर का परिचय दिया. अपने खिलाफ अखबार में गलत खबर छपने पर पत्रकार को कथित रूप से थप्पड़ जड़ दिया. इसके बाद बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीओ के पद पर रहे. 1996 में केके पाठक पहली बार डीएम बने. लालू यादव के शासन काल के दौरान उनके गृह जिला गोपालगंज के डीएम की जिम्मेदारी केके पाठक को मिली.

निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)
निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)



गोपालगंज से वापस बुलाया गयाः गोपालगंज में भी केके पाठक ने सुर्खियां बटोरी. केके पाठक ने गोपालगंज में एमपी फंड से बने एक अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवाया. यह फंड गोपालगंज के सांसद और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने मुहैया कराया था. केके पाठक के इस रवैए से खूब बवाल मचा. गोपालगंज में पाठक की हनक से राबड़ी सरकार तंग आ गई. केके पाठक को वापस सचिवालय बुला लिया गया. 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो केके पाठक को बड़ा पद मिला. पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) का प्रबंध निदेशक बनाया गया. यहीं से नीतीश कुमार के सबसे विश्वस्त अधिकारियों में केके पाठक शामिल हो गए.

फेम इंडिया मैगजीन ने प्रभावशाली नौकरशाह बतायाः साल 2010 में केके पाठक केंद्रीय प्रति नियुक्ति पर दिल्ली चले गए. बिहार सरकार के रिक्वेस्ट पर साल 2015 में केंद्र ने रिलीज किया. मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट शराबबंदी को साल 2016 में जब लागू किया गया तो उसकी बड़ी जिम्मेदारी पाठक को सौंपी गई. बाद में शराबबंदी पर सवाल उठने लगे तो उसे और कठोर बनाने के लिए 2021 में केके पाठक को मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया. केके पाठक की कार्यशैली और तुरंत एक्शन लेने की क्षमता को देखते हुए साल 2021 में फेम इंडिया मैगजीन ने उन्हें प्रभावशाली नौकरशाह के रूप में स्थान दिया.

निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)
केके पाठक.(फाइल फोटो)



नीतीश कुमार के संकटमोचक हैं केके पाठक: शिक्षा विभाग में वर्षों से नौकरियां नहीं हुई थी और शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर थे, बिहार की शिक्षा व्यवस्था की खामियां बिहार की छवि धूमिल कर रही थी. ऐसे में सरकारी विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात को दुरुस्त करने के साथ-साथ सरकारी विद्यालयों का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जून 2023 में शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया. शिक्षा विभाग में आते ही 6 महीने के भीतर 1.20 लाख शिक्षक नियुक्त किये. ग्रामीण क्षेत्र की विद्यालयों में नियुक्त किया. इसके अलावा लगभग 1 लाख शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अभी प्रक्रियाधीन है. इसके साथ ही वर्षों से नियोजित शिक्षकों के राज्य कर्मी की मांग को पूरा करते हुए राज्य कर्मी बनाने का रास्ता साफ किया.

स्कूलों का लगातार कर रहे हैं निरीक्षणः केके पाठक जब से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बने हैं, लगातार बिहार के सभी जिलों का भ्रमण कर रहे हैं. जिलों के भ्रमण के दौरान पंचायत स्तर के विद्यालयों का निरीक्षण कर रहे हैं. औचक निरीक्षण के क्रम में उनका विशेष ध्यान स्कूल में शिक्षक-छात्र की उपस्थिति, विद्यालय में शौचालय और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा और बच्चों के लिए खेल के सामान पर है. जहां कहीं विद्यालयों में कमियां नजर आ रही हैं तुरंत हेड मास्टर का वेतन रोका जा रहा है. शिक्षकों को निर्देश दिया है सुबह 9:00 बजे से शाम पांच बजे तक विद्यालय में रहना है. यदि कोई गायब पाया जाता है तो उनका वेतन रोकते हुए स्पष्टीकरण की मांग की जा रही है. सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का धरना प्रदर्शन और संगठनबाजी पूरी तरह से बैन कर दिया गया है.

निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)
केके पाठक.(फाइल फोटो)

केके पाठक पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोपः केके पाठक की हनक ऐसी है कि विपक्ष के साथ-सा सरकार में शामिल महागठबंधन के सभी घटक दल और जदयू के भी नेता की केके पाठक पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए लगातार आलोचना कर रहे हैं. शिक्षा मंत्री और केके पाठक के बीच अनबन की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं. शिक्षा विभाग के कई प्रमुख कार्यक्रमों में दोनों ने एक साथ मंच साझा करने से परहेज किया है. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे विश्वास अधिकारी हैं और नीतीश कुमार के कारण ही केके पाठक स्वतंत्र तरीके से शिक्षा विभाग में फैसला ले रहे हैं.

निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)
केके पाठक.(फाइल फोटो)

इसे भी पढ़ेंः 'के के पाठक ने शिक्षा व्यवस्था को किया चौपट'- सुशील मोदी ने की मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग

इसे भी पढ़ेंः बीआरसीसी काउंसलिंग की व्यवस्था देखकर केके पाठक हैरान, उनके जाते ही डीएम ने डीआरसीसी प्रभारी को लगाई फटकार

इसे भी पढ़ेंः केके पाठक का खौफ : रातभर स्कूल में ही 'कांपती' रह गई महिला टीचर, जानिए क्या थी उसकी मजबूरी

केके पाठक.

पटनाः बिहार के शिक्षा विभाग में जिस एक नाम से हड़कंप मचा हुआ है वह है 'के के पाठक'. पूरा नाम केशव कुमार पाठक. केके पाठक यूपी के रहनेवाले हैं. इनका जन्म 15 जनवरी 1968 को हुआ है. केके पाठक के पिता मेजर जीएस पाठक बिहार सरकार के लघु जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं. केके पाठक बचपन से ही मेधावी छात्र थे. इकोनॉमिक्स से बैचलर करने के साथ इकोनामिक से ही एमफिल किया. 21 की उम्र में यूपीएससी सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता के पहले प्रयास में 40 वां स्थान हासिल कर अपनी मेधा का परिचय दिया.

गिरिडीह में कड़क तेवर का दिया था परिचयः साल 1990 में केके पाठक की पहली पोस्टिंग कटिहार में हुई. इसी वर्ष एसडीओ के रूप में झारखंड के गिरिडीह (तत्कालीन बिहार) में पोस्टिंग हुई. गिरिडीह में उन्होंने अपने कड़क तेवर का परिचय दिया. अपने खिलाफ अखबार में गलत खबर छपने पर पत्रकार को कथित रूप से थप्पड़ जड़ दिया. इसके बाद बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीओ के पद पर रहे. 1996 में केके पाठक पहली बार डीएम बने. लालू यादव के शासन काल के दौरान उनके गृह जिला गोपालगंज के डीएम की जिम्मेदारी केके पाठक को मिली.

निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)
निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)



गोपालगंज से वापस बुलाया गयाः गोपालगंज में भी केके पाठक ने सुर्खियां बटोरी. केके पाठक ने गोपालगंज में एमपी फंड से बने एक अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवाया. यह फंड गोपालगंज के सांसद और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने मुहैया कराया था. केके पाठक के इस रवैए से खूब बवाल मचा. गोपालगंज में पाठक की हनक से राबड़ी सरकार तंग आ गई. केके पाठक को वापस सचिवालय बुला लिया गया. 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो केके पाठक को बड़ा पद मिला. पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) का प्रबंध निदेशक बनाया गया. यहीं से नीतीश कुमार के सबसे विश्वस्त अधिकारियों में केके पाठक शामिल हो गए.

फेम इंडिया मैगजीन ने प्रभावशाली नौकरशाह बतायाः साल 2010 में केके पाठक केंद्रीय प्रति नियुक्ति पर दिल्ली चले गए. बिहार सरकार के रिक्वेस्ट पर साल 2015 में केंद्र ने रिलीज किया. मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट शराबबंदी को साल 2016 में जब लागू किया गया तो उसकी बड़ी जिम्मेदारी पाठक को सौंपी गई. बाद में शराबबंदी पर सवाल उठने लगे तो उसे और कठोर बनाने के लिए 2021 में केके पाठक को मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया. केके पाठक की कार्यशैली और तुरंत एक्शन लेने की क्षमता को देखते हुए साल 2021 में फेम इंडिया मैगजीन ने उन्हें प्रभावशाली नौकरशाह के रूप में स्थान दिया.

निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)
केके पाठक.(फाइल फोटो)



नीतीश कुमार के संकटमोचक हैं केके पाठक: शिक्षा विभाग में वर्षों से नौकरियां नहीं हुई थी और शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर थे, बिहार की शिक्षा व्यवस्था की खामियां बिहार की छवि धूमिल कर रही थी. ऐसे में सरकारी विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात को दुरुस्त करने के साथ-साथ सरकारी विद्यालयों का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जून 2023 में शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया. शिक्षा विभाग में आते ही 6 महीने के भीतर 1.20 लाख शिक्षक नियुक्त किये. ग्रामीण क्षेत्र की विद्यालयों में नियुक्त किया. इसके अलावा लगभग 1 लाख शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अभी प्रक्रियाधीन है. इसके साथ ही वर्षों से नियोजित शिक्षकों के राज्य कर्मी की मांग को पूरा करते हुए राज्य कर्मी बनाने का रास्ता साफ किया.

स्कूलों का लगातार कर रहे हैं निरीक्षणः केके पाठक जब से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बने हैं, लगातार बिहार के सभी जिलों का भ्रमण कर रहे हैं. जिलों के भ्रमण के दौरान पंचायत स्तर के विद्यालयों का निरीक्षण कर रहे हैं. औचक निरीक्षण के क्रम में उनका विशेष ध्यान स्कूल में शिक्षक-छात्र की उपस्थिति, विद्यालय में शौचालय और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा और बच्चों के लिए खेल के सामान पर है. जहां कहीं विद्यालयों में कमियां नजर आ रही हैं तुरंत हेड मास्टर का वेतन रोका जा रहा है. शिक्षकों को निर्देश दिया है सुबह 9:00 बजे से शाम पांच बजे तक विद्यालय में रहना है. यदि कोई गायब पाया जाता है तो उनका वेतन रोकते हुए स्पष्टीकरण की मांग की जा रही है. सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का धरना प्रदर्शन और संगठनबाजी पूरी तरह से बैन कर दिया गया है.

निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)
केके पाठक.(फाइल फोटो)

केके पाठक पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोपः केके पाठक की हनक ऐसी है कि विपक्ष के साथ-सा सरकार में शामिल महागठबंधन के सभी घटक दल और जदयू के भी नेता की केके पाठक पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए लगातार आलोचना कर रहे हैं. शिक्षा मंत्री और केके पाठक के बीच अनबन की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं. शिक्षा विभाग के कई प्रमुख कार्यक्रमों में दोनों ने एक साथ मंच साझा करने से परहेज किया है. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे विश्वास अधिकारी हैं और नीतीश कुमार के कारण ही केके पाठक स्वतंत्र तरीके से शिक्षा विभाग में फैसला ले रहे हैं.

निरीक्षण करते केके पाठक.(फाइल फोटो)
केके पाठक.(फाइल फोटो)

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