पटना: प्रदेश में अभी भी ऐसे कितने मंदिर हैं जिसका ना कोई अपना जगह है ना उस मंदिर से कोई आय प्राप्त होता है लेकिन सामाजिक लोग ही उस मंदिर की देखरेख करते हैं और उस मंदिर के निर्माण में सहभागिता देते हैं, ईटीवी भारत ने पटना के कई बड़े मंदिरों का जायजा लिया कि क्या मंदिरों की भूमि बंदोबस्ती से आय प्राप्त हो पा रही है.
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महावीर मंदिर की सबसे ज्यादा कमाई
आपको बता दें कि बिहार के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है पटना जंक्शन का हनुमान मंदिर जो अपनी कमाई से कई सामाजिक काम करता है यानी कि कह सकते हैं की महावीर मंदिर की कमाई से महावीर कैंसर संस्थान के साथ-साथ महावीर वात्सल्य अस्पताल भी चलता है. प्रदेश में आपदा आने के समय में मुख्यमंत्री राहत कोष में भी दान किया जाता है. इसके साथ ही राजधानी पटना में ऐसे कोई मंदिर है जिसकी अपनी ना जमीन है ना भूमि बंदोबस्ती है.
8 हजार से ज्यादा छोटे बड़े मंदिर
राजधानी में असमाजिक तत्वों द्वारा सड़क के किनारे हड़पे गए जमीन पर मंदिर बना दिया गया है. उस मंदिर से उतनी आय तो नहीं प्राप्त होती है लेकिन इस मंदिर पर रहने वाले पुजारी और आसपास के लोग पूजा जरूर करते हैं. वहीं बिहार में लगभग 8000 से छोटे और बड़े ऐसे मंदिर है ,लेकिन बहुत सारे मंदिरों के पास तो अपनी जगह तक नही है. सरकारी जमीन में असमाजिक तत्वों द्वारा मंदिर का निर्माण करा दिया गया है.
मंदिरों की आये चलती हैं कई संस्थाएं
वहीं, राजधानी में कई मंदिर भूमि बंदोबस्ती से काफी आय प्राप्त हो रही है. वे अपनी आय का मंदिर विकास और भक्तों के लिए सुविधाजनक बनाने में खर्च करते हैं तो वहीं के मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने दान पेटी से गरीब लोगों के लिए संस्था भी चलाते हैं. पटना के बांस घाट स्थित काली मंदिर भी अपने आप में एक अद्भुत मंदिर है इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और यह काफी प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर अपनी भूमि बंदोबस्ती से लेकर आय भी प्राप्त होती है. जिससे कि मंदिर के निर्माण और गरीबों के लिए कई संस्थान भी मंदिर के आय से चलाई जाती है.
मंदिरों को कराया गया अतिक्रमण मुक्त
वही, धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व किशोर कुणाल ने बताया कि ऐसे बहुत कम मंदिर है जिनको आय प्राप्ति होती है. वहीं,उन्होंने बताया कि लगभग 10 साल धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष रहने के बाद कई मंदिरों के अतिक्रमण किए असमाजिक तत्वों से मुक्त कराने का काम किया. उन्होंने बताया कि बहुत सारी मंदिरों के बंदोबस्ती की गई सर्किल ऑफिसर द्वारा लेकिन पैसा ट्रेजरी में जमा हो गया, मंदिर के खाते में पैसा नहीं मिला ,साथ ही उन्होंने कहा कि जो अतिक्रमित मंदिर थे उनको छुड़ाने का काम किया.
कई मंदिरों की स्थिति अच्छी
वहीं, उन्होंने कहा कि मधेपुरा का सिंहेश्वर स्थान मंदिर के पास में मेला लगता है और मेले लगने के कारण है उनकी स्थिति अच्छी है और ऐसे बहुत कम मंदिर है जिसको अपनी भूमि बंदोबस्ती है और उनकी की अच्छी आय प्राप्त हो रही है.वहीं अगर बात करें तो कई ऐसे भी मंदिर है जिसको कोई अपना जमीन नहीं है ना कोई आर्थिक रूप से मदद मिल पाती है, लेकिन उसमें रहने वाले पुजारी और आसपास के लोगों की मदद से उस मंदिर का निर्माण के साथ-साथ का खर्च भी चलता है.
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बता दें कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में कई मंदिर हैं जिसको ग्रामीणों के द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया है उनके पास काफी भूमि उपलब्ध है और उस भूमि पर पूजनीय द्वारा फसल भी लगाई जाती है. फसल से मंदिर के निर्माण के साथ-साथ मंदिर के पुजारियों का खर्चा भी चलता है. इसके लिए राज्य सरकार धार्मिक न्यास को कड़ा निर्णय लेने की आवश्यकता है. जिससे कि ऐसे तत्वों द्वारा हड़पे गये मंदिरों को अपना अस्तित्व बचाने उनकी आय में भी बढ़ोतरी हो सके.