पटनाः शरद पूर्णिमा के खत्म होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो गई है. जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक लगातार गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर रहता है. मेला को लेकर सुबह से ही गंगा स्नान के लिए अलखनाथ घाट, उमानाथ घाट और बाढ़ के विभिन्न घाटों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी है.
हिंदू धर्म में है एकादशी का महत्व
कार्तिक मास एकादशी का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इसके करने से ग्रह गोचर, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. आज से कई महिला 5 दिन फल पर रहेंगी और कई महिला निर्जला व्रत भी करेंगी. कई महिलाएं 5 दिन तक फलहार कर 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा में अपना पारन करेगी. पारण करने के साथ ही महिलाएं 12 नवंबर का की पूर्णिमा के दिन कदम के पेड़ की पूजा करती हैं.
परिवार के सुख समृद्धि की कामना
गंगा स्नान को लेकर सुबह से ही विभिन्न घाटों पर महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है. जहां महिलाओं ने स्नान कर पूजा पाठ किया और अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना की. कई महिलाएं लगातार एक महीने तक गंगा स्नान कर पूजा पाठ करती हैं. इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. जो आषाढ़ महीने के अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.
लगातार एक महीने तक होती है पूजा
उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने में इतना महत्व है कि लोग 1 महीने के लिए बनारस सिमरिया, बाढ़ के उमा नाथधाम, अलखनाथ धाम चले जाते हैं. महिलाएं 1 महीने तक लगातार गंगा स्नान और पूजा पाठ करती हैं.
कार्तिक माह सबसे पवित्र महीना
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. क्योंकि इस महीने में सारे देवी देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है. मतलब 1 महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते हैं. इस महीने को त्यौहार का महीना भी कहा जाता है. लक्ष्मी पूजा छठ पूजा, दीपा पूजा, सूर्य पूजा, विष्णु पूजा जैसे उत्सव मनाए जाते हैं.