पटना: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा भारत (India) में अमेजन एवं फ्लिपकार्ट (Amazon and Flipkart) के ई-कॉमर्स (E-Commerce) व्यापार मॉडल के खिलाफ की जा रही जांच पर कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) की डबल बेंच ने ऐमजन एवं फ्लिपकार्ट की याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद अब सीसीआई (CCI) द्वारा अमेजन के खिलाफ जांच किये जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.
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कनफेडेरशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल, कैट बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हुआ कहा है की अब सीसीआई को तुरंत अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करने में देरी नहीं करनी चाहिए.
बात दें की सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा कानून के अंतर्गत अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जनवरी 2020 में जांच का आदेश दिया था जिसके खिलाफ अमेजन एवं फ्लिपकार्ट फरवरी 2020 में कर्नाटक उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश ले लिया था जिसके बाद सीसीआई ने उच्चतम न्यायालय में एक अपील दाखिल की थी
जिस पर न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को इस मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था. उसके बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में लगभग 40 दिन से अधिक समय तक सुनवाई कर जून में अमेजन एवं फ्लिपकार्ट की याचिका को खारिज कर दिया था जिसके खिलाफ इन दोनों कंपनियों ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की डबल बेंच में अपील की थी जिसे कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया.
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कैट बिहार संरक्षक शशी शेखर रस्तोगी व टी आर गांधी दोनों ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में और विशेष रूप से ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी कंपनियां भारत को एक कमजोर देश मानकर अपनी मनमर्जी का व्यवहार कर रही हैं. इन कंपनियों के लिए कानूनों, नीतियों और नियमों के अनिवार्य पालना का कोई महत्व नहीं है और वो अपनी इच्छा अनुसार नियमों एवं नीति का उल्लंघन कर रही हैं. जिससे देश के छोटे व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है. इसलिए अब केंद्र सरकार को एक्शन स्पीक लाऊडर देन वर्ड्स वाली कहावत को व्यावहारिक रूप से देश में लागू कर इन कंपनियों के खिलाफ सभी संभव कदम उठाते हुए कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
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कैट महिला उपाध्यक्ष पुष्पम झा व अमृता सिंह ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से आग्रह किया कि इन विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत के कानून, नियम एवं नीतियों की अनिवार्य पालना के लिए बाध्य करना चाहिए और दो टूक कहना चाहिए की या तो नियमों का पालन करें अथवा भारत छोड़कर उस देश में चले जाएं जहां पर नियमों की पालना आवश्यक नहीं है.