पटना: शरद पूर्णिमा के समाप्त होते ही कल्पवास मेले की शुरुआत हो जाती है. इसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक महीने के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है. महिलाएं दूर-दूर से आकर अलखनाथ घाट में गंगा स्नान कर पूजा करती हैं और अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.
सबसे पवित्र महीना माना जाता कार्तिक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 महीनों में कार्तिक महीने को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने में सारे देवी-देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है, यानी एक महीने तक लगातार सभी देवी-देवता पृथ्वी पर रहते हैं. इसलिए इसे त्यौहारों का महीना भी कहा जाता है.
श्रद्धालुओं की उमड़ पड़ती भीड़
सोमवारी अमावस्या होने को लेकर गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. जैसे-जैसे कार्तिक महीने की शुरुआत होती है श्रद्धालुओं की भीड़ भी बढ़ती जाती है. वहीं, इस अवसर पर स्थानीय लोगों द्वारा पूजा-पाठ, सिंगार सहित कई तरह के दुकान लगाए जाते हैं. साथ ही यहां भजन कीर्तन का भी आयोजन होता है.
इस महीने में उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इतना महत्व है कि लोग एक महीने के लिए बनारस, सिमरिया, बाढ़ के उमा नाथधाम, बाढ़ के अलखनाथ धाम चले आते हैं और पूरे महीने लगातार गंगा स्नान कर पूजा पाठ करते हैं.