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जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का डेलिगेशन पहुंचा सचिवालय, अपनी मांगों को लेकर दिया ज्ञापन

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सचिव डॉ. कुंदन सुमन ने बताया कि वह अपनी कुछ जरूरी मांगों को लेकर प्रधान सचिव से मिलने पहुंचे थे. जहां उन्होंने मिलने से इंकार कर दिया. इसके बाद वहां कार्यालय में अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा.

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Published : Aug 22, 2020, 4:24 AM IST

पटना: राज्य के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का एक डेलिगेशन प्रेसिडेंट डॉ. हरेंद्र कुमार और सचिव डॉ. कुंदन सुमन के नेतृत्व में अपनी मांगों को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मिलने सचिवालय पहुंचे. इस दौरान डॉक्टरों की मुलाकात प्रधान सचिव से नहीं हो पाई. इसके बाद अपनी मांगों का ज्ञापन प्रधान सचिव के कार्यालय में सौंपा और विभाग को मांगों पर विचार करने के लिए 1 सप्ताह का अल्टीमेटम दिया.

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जूनियर डॉक्टरों ने सौंपा ज्ञापन

जूनियर डॉ. एसोसिएशन के सचिव डॉ. कुंदन सुमन ने बताया कि वह अपनी कुछ जरूरी मांगों को लेकर प्रधान सचिव से मिलने पहुंचे थे. जहां उन्होंने मिलने से इंकार कर दिया. इसके बाद वहां कार्यालय में अपनी मांगों का ज्ञापन जमा कर आए. उन्होंने बताया कि उनकी कई मांगे हैं, जिसमें प्रमुख मांगों में से है. जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड में वृद्धि के संबंध में है. उन्होंने कहा कि साल 2017 में उनका स्टाइपेंड बढ़ा था और उस वक्त यह कहा गया था कि हर 3 साल में स्टाइपेंड बढ़ेगा और जनवरी में इस बार यह स्टाइपेंड बढ़ना था. लेकिन अब तक यह नहीं बढ़ा है.

क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉ. कुंदन ने कहा कि उनकी दूसरी मांग ब्रांड से जुड़ा हुआ है. पीजी करने के बाद जूनियर डॉक्टरों के लिए ब्रांड का प्रावधान किया गया है कि उन्हें राज्य सरकार में 3 साल का अनिवार्य सेवा देना होता है. इसमें डॉक्टरों की पोस्टिंग को लेकर समस्या है और यह समस्या यह है कि 3 साल के लिए कुछ डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों में पोस्टिंग दिया जाता है.

'नहीं मिलता मेटरनिटी लीव'
डॉ. कुंदन सुमन ने कहा कि 3 साल के अनिवार्य कार्य सेवा के दौरान मैटरनिटी लीव का भी प्रावधान नहीं है, जबकि पीजी क्वालिफाइ करने में एक महिला का उम्र 29-30 साल गुजर जाता है और फिर 3 साल उन्हें कार्य के दौरान मेटरनिटी लीव नहीं मिलता है. ऐसे में महिला चिकित्सकों को आगे काफी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होगी. उन्होंने कहा कि कोरोना के समय मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टर ही कोरोना मरीजों की अत्यधिक देखभाल कर रहे हैं और उन्हें ही सरकार द्वारा एक करोड़ का दुर्घटना बीमा से अलग रखा गया है. साथ ही उन्हें 1 महीने के इंसेंटिव राशि से भी अलग रखा गया है.

देखें रिपोर्ट

बता दें कि राज्य के मेडिकल कॉलेज से पीजी पास करने वाले जूनियर डॉक्टर सरकार का एक शपथ पत्र भरते हैं कि शिक्षा ग्रहण के बाद वह 3 साल राज्य के अस्पतालों में अपनी सेवा देंगे. इस दौरान कार्य करते हुए 3 साल उन्हें किसी प्रकार का कोई अतिरिक्त छुट्टी का प्रावधान नहीं है, जैसे कि हायर एजुकेशन के लिए लीव या फिर मेटरनिटी लीव.

पटना: राज्य के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का एक डेलिगेशन प्रेसिडेंट डॉ. हरेंद्र कुमार और सचिव डॉ. कुंदन सुमन के नेतृत्व में अपनी मांगों को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मिलने सचिवालय पहुंचे. इस दौरान डॉक्टरों की मुलाकात प्रधान सचिव से नहीं हो पाई. इसके बाद अपनी मांगों का ज्ञापन प्रधान सचिव के कार्यालय में सौंपा और विभाग को मांगों पर विचार करने के लिए 1 सप्ताह का अल्टीमेटम दिया.

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जूनियर डॉक्टरों ने सौंपा ज्ञापन

जूनियर डॉ. एसोसिएशन के सचिव डॉ. कुंदन सुमन ने बताया कि वह अपनी कुछ जरूरी मांगों को लेकर प्रधान सचिव से मिलने पहुंचे थे. जहां उन्होंने मिलने से इंकार कर दिया. इसके बाद वहां कार्यालय में अपनी मांगों का ज्ञापन जमा कर आए. उन्होंने बताया कि उनकी कई मांगे हैं, जिसमें प्रमुख मांगों में से है. जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड में वृद्धि के संबंध में है. उन्होंने कहा कि साल 2017 में उनका स्टाइपेंड बढ़ा था और उस वक्त यह कहा गया था कि हर 3 साल में स्टाइपेंड बढ़ेगा और जनवरी में इस बार यह स्टाइपेंड बढ़ना था. लेकिन अब तक यह नहीं बढ़ा है.

क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉ. कुंदन ने कहा कि उनकी दूसरी मांग ब्रांड से जुड़ा हुआ है. पीजी करने के बाद जूनियर डॉक्टरों के लिए ब्रांड का प्रावधान किया गया है कि उन्हें राज्य सरकार में 3 साल का अनिवार्य सेवा देना होता है. इसमें डॉक्टरों की पोस्टिंग को लेकर समस्या है और यह समस्या यह है कि 3 साल के लिए कुछ डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों में पोस्टिंग दिया जाता है.

'नहीं मिलता मेटरनिटी लीव'
डॉ. कुंदन सुमन ने कहा कि 3 साल के अनिवार्य कार्य सेवा के दौरान मैटरनिटी लीव का भी प्रावधान नहीं है, जबकि पीजी क्वालिफाइ करने में एक महिला का उम्र 29-30 साल गुजर जाता है और फिर 3 साल उन्हें कार्य के दौरान मेटरनिटी लीव नहीं मिलता है. ऐसे में महिला चिकित्सकों को आगे काफी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होगी. उन्होंने कहा कि कोरोना के समय मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टर ही कोरोना मरीजों की अत्यधिक देखभाल कर रहे हैं और उन्हें ही सरकार द्वारा एक करोड़ का दुर्घटना बीमा से अलग रखा गया है. साथ ही उन्हें 1 महीने के इंसेंटिव राशि से भी अलग रखा गया है.

देखें रिपोर्ट

बता दें कि राज्य के मेडिकल कॉलेज से पीजी पास करने वाले जूनियर डॉक्टर सरकार का एक शपथ पत्र भरते हैं कि शिक्षा ग्रहण के बाद वह 3 साल राज्य के अस्पतालों में अपनी सेवा देंगे. इस दौरान कार्य करते हुए 3 साल उन्हें किसी प्रकार का कोई अतिरिक्त छुट्टी का प्रावधान नहीं है, जैसे कि हायर एजुकेशन के लिए लीव या फिर मेटरनिटी लीव.

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