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पटना: चरखा समिति ने मनाई जेपी की पुण्यतिथि, आयोजित की गई प्रार्थना सभा

चरखा समिति की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में जयप्रकाश नारायण और उनकी धर्मपत्नी प्रभावती देवी को याद किया गया. यहां मौजूद चरखा समिति की महामंत्री डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती हैं कि जयप्रकाश नारायण की आज पुण्यतिथि और विजयादशमी भी है, जो सौभाग्य की बात है.

मनाई गई जेपी की पुण्यतिथि
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Published : Oct 8, 2019, 2:50 PM IST

पटना: राजधानी पटना के कदम कुआं स्थित चरखा समिति में मंगलवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि मनाई गई. इस मौके पर प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया. इस दौरान चरखा समिति की महिला सदस्यों और स्वतंत्रता सेनानियों ने जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया.

देश में आजादी की लड़ाई से लेकर वर्ष 1977 तक तमाम आंदोलनों में जेपी का अहम रोल रहा है. जेपी को पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विरोध के लिए भी जाना जाता है. कहा जाता है कि उनके आंदोलन की वजह से इंदिरा गांधी के हाथ से सत्ता छीन गई थी. लोकनायक जयप्रकाश ने भारतीय जनमानस पर अपनी अमिट छाप छोड़ी.

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जेपी की मूर्ति पर किया गया माल्यार्पण

जयप्रकाश और उनकी पत्नी को किया गया याद
जयप्रकाश नारायण के समाजवाद का नारा आज भी गूंज रहा है. चरखा समिति की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में जयप्रकाश नारायण और उनकी धर्मपत्नी प्रभावती देवी को याद किया गया. यहां मौजूद चरखा समिति की महामंत्री डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती हैं कि जयप्रकाश नारायण की आज पुण्यतिथि और विजयादशमी भी है, जो सौभाग्य की बात है.

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कमरे में रखी जेपी की तस्वीर

अबतक पूरा नहीं हो पाया है जेपी का सपना
डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती है कि जयप्रकाश नारायण के सपनों को अभी तक हम लोगों ने पूरा नहीं कर पाए हैं. लेकिन, हमारा कर्तव्य है कि हम उनके सपनों को पूरा करें. उन्होंने बताया कि जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती देवी ने जब ब्रह्मचर्य का शपथ ले ली थी तो जयप्रकाश नारायण ने भी उनके साथ जीवन निर्वहन किया. जीवन भर वह दोनों ब्रह्मचर्य का पालन करते रहें.

देखें वीडियो

जयप्रकाश नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

  • जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताबदियारा में हुआ था
  • जयप्रकाश नारायण राष्ट्रवादी थे और उन्हें जालियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों को छोड़कर बिहार विद्यापीठ में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की
  • जयप्रकाश नारायण समाजशास्त्र से एमए किया
  • बाद में अमेरिका से वापस आने के बाद उनका संपर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहरलाल नेहरू से हुआ
  • इस दौरान वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने
  • 1948 में जेपी ने कांग्रेस के समाजवादी दल के नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिलकर समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की
  • 1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे 1974 में किसानों के बिहार आंदोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफा की मांग की और बिहार विधानसभा भंग करने को कहा
  • जेपी इंदिरा गांधी के प्रशासनिक नीतियों के विरोधी थे
  • 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अंतर्गत जेपी को बंदी बनाया गया
  • 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोधी पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया
  • जयप्रकाश नारायण का निधन उनके पटना स्थित आवास में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ

पटना: राजधानी पटना के कदम कुआं स्थित चरखा समिति में मंगलवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि मनाई गई. इस मौके पर प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया. इस दौरान चरखा समिति की महिला सदस्यों और स्वतंत्रता सेनानियों ने जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया.

देश में आजादी की लड़ाई से लेकर वर्ष 1977 तक तमाम आंदोलनों में जेपी का अहम रोल रहा है. जेपी को पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विरोध के लिए भी जाना जाता है. कहा जाता है कि उनके आंदोलन की वजह से इंदिरा गांधी के हाथ से सत्ता छीन गई थी. लोकनायक जयप्रकाश ने भारतीय जनमानस पर अपनी अमिट छाप छोड़ी.

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जेपी की मूर्ति पर किया गया माल्यार्पण

जयप्रकाश और उनकी पत्नी को किया गया याद
जयप्रकाश नारायण के समाजवाद का नारा आज भी गूंज रहा है. चरखा समिति की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में जयप्रकाश नारायण और उनकी धर्मपत्नी प्रभावती देवी को याद किया गया. यहां मौजूद चरखा समिति की महामंत्री डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती हैं कि जयप्रकाश नारायण की आज पुण्यतिथि और विजयादशमी भी है, जो सौभाग्य की बात है.

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कमरे में रखी जेपी की तस्वीर

अबतक पूरा नहीं हो पाया है जेपी का सपना
डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती है कि जयप्रकाश नारायण के सपनों को अभी तक हम लोगों ने पूरा नहीं कर पाए हैं. लेकिन, हमारा कर्तव्य है कि हम उनके सपनों को पूरा करें. उन्होंने बताया कि जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती देवी ने जब ब्रह्मचर्य का शपथ ले ली थी तो जयप्रकाश नारायण ने भी उनके साथ जीवन निर्वहन किया. जीवन भर वह दोनों ब्रह्मचर्य का पालन करते रहें.

देखें वीडियो

जयप्रकाश नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

  • जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताबदियारा में हुआ था
  • जयप्रकाश नारायण राष्ट्रवादी थे और उन्हें जालियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों को छोड़कर बिहार विद्यापीठ में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की
  • जयप्रकाश नारायण समाजशास्त्र से एमए किया
  • बाद में अमेरिका से वापस आने के बाद उनका संपर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहरलाल नेहरू से हुआ
  • इस दौरान वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने
  • 1948 में जेपी ने कांग्रेस के समाजवादी दल के नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिलकर समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की
  • 1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे 1974 में किसानों के बिहार आंदोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफा की मांग की और बिहार विधानसभा भंग करने को कहा
  • जेपी इंदिरा गांधी के प्रशासनिक नीतियों के विरोधी थे
  • 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अंतर्गत जेपी को बंदी बनाया गया
  • 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोधी पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया
  • जयप्रकाश नारायण का निधन उनके पटना स्थित आवास में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ
Intro: लोकनायक जयप्रकाश के पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए आयोजकों ने चरखा समिति में आयोजित की गई प्रार्थना सभा उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें किया नमन---


Body:पटना--- राजधानी पटना के कदम कुआं स्थित चरखा समिति में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि मनाई गई इस मौके पर प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया है जिसके जरिए चरखा समिति के महिला सदस्यों एवं स्वतंत्रता सेनानियों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।

कहां जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे देश में आजादी के लड़ाई से लेकर वर्ष 1977 तक तमाम आंदोलन में जेपी का अहम रोल रहा है जेपी को पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विरोध के लिए भी जाना जाता है कहा जाता है कि उनकी आंदोलन की वजह से इंदिरा गांधी के हाथ से सत्ता तक छीन गई थी लोकनायक जयप्रकाश ने भारतीय जनमानस पर अपना छाप छोड़ी है जयप्रकाश नारायण समाजवाद का नारा आज भी गूंज रहा है देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए जेपी की तरह तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्हें अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके।

चरखा समिति की तरफ से आज उनके पुण्यतिथि पर जयप्रकाश नारायण और उनकी धर्मपत्नी प्रभावती जी को याद किया गया यहां मौजूद चरखा समिति के महामंत्री डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती हैं कि जयप्रकाश नारायण की आज पुण्यतिथि और विजयादशमी भी है जो सौभाग्य की बात है। आज पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए प्रार्थना सभा का आयोजन करते हैं और उन्हें याद करके नमन भी करते हैं डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती है कि चरखा समिति का गठन उनकी धर्मपत्नी प्रभावती जी ने की थी और इसी बरामदे में बैठकर जयप्रकाश नारायण की बातों को सुनते हैं। आज भारतीय राजनीति में कहीं ना कहीं जयप्रकाश नारायण के समाजवाद भी जिंदा है लेकिन कुछ लोग इनकी विचारों से भटक गए हैं इसलिए भारतीय राजनीति में वह अलग हो गए हैं डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती है कि जयप्रकाश नारायण के सपनों को अभी तक हम लोगों ने पूरा नहीं कर पाए हैं लेकिन हमारा कर्तव्य है कि हम उनके सपनों को पूरा करें।

जयप्रकाश नारायण की धर्म पत्नी प्रभावती देवी जब ब्रह्मचर्य का शपथ ले ली थी तो जयप्रकाश नारायण ने भी उनके साथ जीवन निर्वहन किए थे और पति पत्नी रहते हुए भी यह दोनों ब्रह्मचर्य का पालन करते रहे।


जयप्रकाश नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

1. जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर उन्नीस सौ दो को बिहार के सिताबदियारा में हुआ था


2.जयप्रकाश नारायण राष्ट्रवादी थे और उन्हें जालियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों को छोड़कर बिहार विद्यापीठ में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की।

3. जयप्रकाश नारायण समाजशास्त्र से m.a. किया, उन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालय से 8 वर्ष तक अध्ययन किया

4. अमेरिका से वापस आने के बाद उनका संपर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहरलाल नेहरू से हुआ वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने 1932 में गांधी नेहरू और अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के जेल जाने के बाद उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों में संग्राम का नेतृत्व किया था उन्हें भी मद्रास में सितंबर 1932 में गिरफ्तार कर लिया गया और नासिक के जेल भेज दिया।

5. 1948 में उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल के नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिलकर समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की।

6. 1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे 1974 में किसानों के बिहार आंदोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफा की मांग की और बिहार विधानसभा भंग करने की मांग की थी।

7. वह इंदिरा गांधी के प्रशासनिक नीतियों के विरोध थे 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अंतर्गत जेपी सहित छह सौ से अधिक विरोधी नेताओं को बंदी बनाया गया और उन्हें प्रेस पर सेंसरशिप भी लगा दी गई थी

8. 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोधी पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया

9. जयप्रकाश नारायण का निर्धन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ


बाइट--- डॉक्टर मृदुला प्रकाश ,चरखा समिति के महामंत्री


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