पटना: राजधानी पटना के कदम कुआं स्थित चरखा समिति में मंगलवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि मनाई गई. इस मौके पर प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया. इस दौरान चरखा समिति की महिला सदस्यों और स्वतंत्रता सेनानियों ने जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया.
देश में आजादी की लड़ाई से लेकर वर्ष 1977 तक तमाम आंदोलनों में जेपी का अहम रोल रहा है. जेपी को पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विरोध के लिए भी जाना जाता है. कहा जाता है कि उनके आंदोलन की वजह से इंदिरा गांधी के हाथ से सत्ता छीन गई थी. लोकनायक जयप्रकाश ने भारतीय जनमानस पर अपनी अमिट छाप छोड़ी.
जयप्रकाश और उनकी पत्नी को किया गया याद
जयप्रकाश नारायण के समाजवाद का नारा आज भी गूंज रहा है. चरखा समिति की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में जयप्रकाश नारायण और उनकी धर्मपत्नी प्रभावती देवी को याद किया गया. यहां मौजूद चरखा समिति की महामंत्री डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती हैं कि जयप्रकाश नारायण की आज पुण्यतिथि और विजयादशमी भी है, जो सौभाग्य की बात है.
अबतक पूरा नहीं हो पाया है जेपी का सपना
डॉक्टर मृदुला प्रकाश बताती है कि जयप्रकाश नारायण के सपनों को अभी तक हम लोगों ने पूरा नहीं कर पाए हैं. लेकिन, हमारा कर्तव्य है कि हम उनके सपनों को पूरा करें. उन्होंने बताया कि जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती देवी ने जब ब्रह्मचर्य का शपथ ले ली थी तो जयप्रकाश नारायण ने भी उनके साथ जीवन निर्वहन किया. जीवन भर वह दोनों ब्रह्मचर्य का पालन करते रहें.
जयप्रकाश नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
- जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताबदियारा में हुआ था
- जयप्रकाश नारायण राष्ट्रवादी थे और उन्हें जालियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों को छोड़कर बिहार विद्यापीठ में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की
- जयप्रकाश नारायण समाजशास्त्र से एमए किया
- बाद में अमेरिका से वापस आने के बाद उनका संपर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहरलाल नेहरू से हुआ
- इस दौरान वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने
- 1948 में जेपी ने कांग्रेस के समाजवादी दल के नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिलकर समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की
- 1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे 1974 में किसानों के बिहार आंदोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफा की मांग की और बिहार विधानसभा भंग करने को कहा
- जेपी इंदिरा गांधी के प्रशासनिक नीतियों के विरोधी थे
- 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अंतर्गत जेपी को बंदी बनाया गया
- 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोधी पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया
- जयप्रकाश नारायण का निधन उनके पटना स्थित आवास में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ