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बंगाल चुनाव: ममता बनर्जी को चुनौती देंगे कन्हैया, बिहार में जीत से वामपंथी दलों का मोरल हाई

अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव होना है. बिहार में 16 सीट जीतने के बाद वामपंथी दलों का मोरल हाई है. सभी पार्टियां अभी से चुनाव की तैयारी में लग गईं है. बिहार के विधायक बंगाल में कैंप कर रहे हैं. सीपीआई कन्हैया कुमार से बंगाल में चुनाव अभियान कराने की तैयारी कर रही है.

west bengal election
बंगाल चुनाव
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Published : Dec 19, 2020, 10:07 PM IST

Updated : Dec 20, 2020, 10:51 AM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली जीत से वामपंथी दलों का मोरल हाई है. 2015 के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले को तीन सीट पर जीत मिली थी. 2020 के चुनाव में वामपंथी दलों के 16 उम्मीदवार जीत गए. इस जीत के बाद वामपंथी दलों को बिहार में अपनी खोई जमीन फिर से पाने की उम्मीद जगी है. वहीं, इस जीत के बाद वामपंथी दल अब अपने पुराने गढ़ पश्चिम बंगाल में चुनावी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

ममता बनर्जी को चुनौती देंगे कन्हैया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बीजेपी के साथ-साथ वामपंथी दलों की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए वामपंथी दल पूरी ताकत लगा रहे हैं. वामपंथी दलों के बिहार के विधायक बंगाल चुनाव में प्रचार करते नजर आएंगे. सीपीआई जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. कन्हैया बंगाल में ममता बनर्जी को चुनौती देते नजर आएंगे.

west bengal election
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बंगाल में कैंप करेंगे बिहार के विधायक
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने बताया "पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता बिहार में बेहतर प्रदर्शन के बाद काफी उत्साहित हैं. बंगाल चुनाव की तैयारी चल रही है. बिहार के विधायक बंगाल में भी कैंप करेंगे, इसका सिलसिला शुरू हो गया है. बिहार के तर्ज पर बंगाल में भी हमारी लड़ाई भाजपा से है. बंगाल में बिहार की तरह व्यापक गठबंधन का अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. ज्यादा उम्मीद है कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे. करीब 12 से 15 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे."

kunal CPI M
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल

तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को हराने के लिए करेंगे गठबंधन
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के सेंट्रल कमेटी के मेंबर अरुण मिश्रा ने कहा "बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कारण ही भाजपा अपनी जगह बना रही है. हमारी लड़ाई भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों से होगी. बंगाल में हमारी पार्टी का जनाधार काफी बेहतर है. बिहार में जिस तरीके से लोगों ने भरोसा दिखाया है उसके बाद पूरे देश में वामपंथी दलों पर लोगों का भरोसा और अधिक देखने को मिल रहा है. बंगाल चुनाव मे निश्चित तौर पर पिछली बार की अपेक्षा हम अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे. बिहार की तर्ज पर हम बंगाल चुनाव में एक व्यापक गठबंधन बनाने की कोशिश करेंगे ताकि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को मात दे सकें और जनता की सरकार बना सकें."

Arun mishra
सीपीआईएम के केंद्रीय कमेटी के सदस्य अरुण मिश्रा.

भाजपा को हराने के लिए व्यापक गोलबंदी जरूरी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल कमेटी के मेंबर जानकी पासवान ने कहा "बिहार में वामपंथ की बड़ी जीत हुई है, जिसके बाद पूरे देश में पार्टी का मोरल हाई है. बंगाल चुनाव की भी तैयारी और रणनीति अभी से बनाई जा रही है. निश्चित तौर पर बंगाल में भी लोगों का भरोसा जैसे हम पर पहले था आगे भी बना रहेगा. भाजपा को हराने के लिए हम चाहेंगे कि वहां पर भी एक व्यापक गोलबंदी हो. बंगाल में वामपंथी दलों का मोर्चा है, जिसमें चार वामपंथी पार्टियां शामिल हैं. हम चाहते हैं कि भाजपा को हराने के लिए और जो भी दल हमारे साथ आना चाहें आएं."

Janaki paswan
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल कमेटी के मेंबर जानकी पासवान.

2016 में 32 सीट जीत पाए थे वामपंथी दल
गौरतलब है कि 2016 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वामदलों ने 200 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ 32 सीटें जीत पाए थे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी 25, भारतीय कांग्रेस पार्टी 1, मार्क्सवादी फॉरवर्ड ब्लॉक 1, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक 2 और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी 3 सीट जीत पाई थी.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में वामपंथी दलों को 29 सीटें दी गई थी, जिसमें 16 सीटों पर वामदलों ने जीत दर्ज की. वाम दलों का कहना है कि बिहार चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद फिर से जनता में विश्वास दिख रहा है. यही विश्वास पूरे देश के चुनाव में देखने को मिलेगा.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली जीत से वामपंथी दलों का मोरल हाई है. 2015 के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले को तीन सीट पर जीत मिली थी. 2020 के चुनाव में वामपंथी दलों के 16 उम्मीदवार जीत गए. इस जीत के बाद वामपंथी दलों को बिहार में अपनी खोई जमीन फिर से पाने की उम्मीद जगी है. वहीं, इस जीत के बाद वामपंथी दल अब अपने पुराने गढ़ पश्चिम बंगाल में चुनावी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

ममता बनर्जी को चुनौती देंगे कन्हैया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बीजेपी के साथ-साथ वामपंथी दलों की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए वामपंथी दल पूरी ताकत लगा रहे हैं. वामपंथी दलों के बिहार के विधायक बंगाल चुनाव में प्रचार करते नजर आएंगे. सीपीआई जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. कन्हैया बंगाल में ममता बनर्जी को चुनौती देते नजर आएंगे.

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बंगाल में कैंप करेंगे बिहार के विधायक
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने बताया "पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता बिहार में बेहतर प्रदर्शन के बाद काफी उत्साहित हैं. बंगाल चुनाव की तैयारी चल रही है. बिहार के विधायक बंगाल में भी कैंप करेंगे, इसका सिलसिला शुरू हो गया है. बिहार के तर्ज पर बंगाल में भी हमारी लड़ाई भाजपा से है. बंगाल में बिहार की तरह व्यापक गठबंधन का अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. ज्यादा उम्मीद है कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे. करीब 12 से 15 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे."

kunal CPI M
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल

तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को हराने के लिए करेंगे गठबंधन
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के सेंट्रल कमेटी के मेंबर अरुण मिश्रा ने कहा "बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कारण ही भाजपा अपनी जगह बना रही है. हमारी लड़ाई भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों से होगी. बंगाल में हमारी पार्टी का जनाधार काफी बेहतर है. बिहार में जिस तरीके से लोगों ने भरोसा दिखाया है उसके बाद पूरे देश में वामपंथी दलों पर लोगों का भरोसा और अधिक देखने को मिल रहा है. बंगाल चुनाव मे निश्चित तौर पर पिछली बार की अपेक्षा हम अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे. बिहार की तर्ज पर हम बंगाल चुनाव में एक व्यापक गठबंधन बनाने की कोशिश करेंगे ताकि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को मात दे सकें और जनता की सरकार बना सकें."

Arun mishra
सीपीआईएम के केंद्रीय कमेटी के सदस्य अरुण मिश्रा.

भाजपा को हराने के लिए व्यापक गोलबंदी जरूरी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल कमेटी के मेंबर जानकी पासवान ने कहा "बिहार में वामपंथ की बड़ी जीत हुई है, जिसके बाद पूरे देश में पार्टी का मोरल हाई है. बंगाल चुनाव की भी तैयारी और रणनीति अभी से बनाई जा रही है. निश्चित तौर पर बंगाल में भी लोगों का भरोसा जैसे हम पर पहले था आगे भी बना रहेगा. भाजपा को हराने के लिए हम चाहेंगे कि वहां पर भी एक व्यापक गोलबंदी हो. बंगाल में वामपंथी दलों का मोर्चा है, जिसमें चार वामपंथी पार्टियां शामिल हैं. हम चाहते हैं कि भाजपा को हराने के लिए और जो भी दल हमारे साथ आना चाहें आएं."

Janaki paswan
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल कमेटी के मेंबर जानकी पासवान.

2016 में 32 सीट जीत पाए थे वामपंथी दल
गौरतलब है कि 2016 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वामदलों ने 200 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ 32 सीटें जीत पाए थे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी 25, भारतीय कांग्रेस पार्टी 1, मार्क्सवादी फॉरवर्ड ब्लॉक 1, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक 2 और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी 3 सीट जीत पाई थी.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में वामपंथी दलों को 29 सीटें दी गई थी, जिसमें 16 सीटों पर वामदलों ने जीत दर्ज की. वाम दलों का कहना है कि बिहार चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद फिर से जनता में विश्वास दिख रहा है. यही विश्वास पूरे देश के चुनाव में देखने को मिलेगा.

Last Updated : Dec 20, 2020, 10:51 AM IST
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