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मांझी की मांग बनी NDA के गले की फांस, भाजपा ने कहा को-ऑर्डिनेशन कमेटी की जरूरत नहीं

हम पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग कर एनडीए की परेशानी बढ़ा दी है. मांझी कई मुद्दों पर बीजेपी के नेताओं के खिलाफ हमला बोल रहे हैं. बीजेपी ने भी कह दिया है कि फिलहाल कोऑर्डिनेशन कमेटी की जरूरत नहीं है.

Dispute in NDA
एनडीए में तकरार
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Published : Jun 10, 2021, 10:23 PM IST

पटना: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) की सरकार है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार चल रही है. इस सरकार में छोटे दलों की भूमिका भी अहम है. खासतौर पर दलित नेता जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं. वह लगातार एनडीए (NDA) के शीर्ष नेताओं पर हमला बोल रहे हैं. उन्होंने कोऑर्डिनेशन कमेटी (Coordination Committee) की मांग कर गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी है.

यह भी पढ़ें- मांझी के बयान पर बवाल, RJD ने कहा- दलित और मुस्लिम की आवाज बनना है तो छोड़ें NDA

पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी कभी जदयू में थे. नीतीश कुमार ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी थी. नीतीश ने मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया. बाद में मांझी ने बगावत कर दी. काफी जद्दोजहद के बाद नीतीश कुमार को लालू यादव के समर्थन से सीएम की कुर्सी मिली. नीतीश कुमार लालू यादव के खेमे में गए तो मांझी एनडीए में रहे. जैसे ही नीतीश कुमार ने एनडीए से नजदीकियां बढ़ाई मांझी ने पाला बदला और महागठबंधन में चले गए.

देखें रिपोर्ट

कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग पर महागठबंधन से अलग हुए थे मांझी
राजद ने बड़े तामझाम के साथ जीतन राम मांझी को महागठबंधन में शामिल किया था. कुछ माह बाद ही जीतन राम मांझी कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग करने लगे. वह राजद द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराज हुए और महागठबंधन छोड़ दिया. मांझी फिर एनडीए के नाव पर सवार हो गए. इस बार मांझी की एंट्री नीतीश कुमार ने कराई. हम पार्टी का गठबंधन जदयू के साथ है.

बेबाक राय रखते हैं मांझी
जीतन राम मांझी हर मुद्दे पर बेबाक राय रखते हैं. पहले तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला बाद में नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए. मांझी ने कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग कर एनडीए के नेताओं को मुश्किल में डाल दिया है. दरअसल भाजपा और हम पार्टी के नेता कई मुद्दों पर आमने-सामने हो गए हैं. मामला दलित अल्पसंख्यक विवाद का हो या बांका बम विस्फोट, तमाम मुद्दों पर भाजपा और हम पार्टी के रास्ते अलग-अलग हैं.

मुकेश ने भी बढ़ाई मुश्किल
दूसरी ओर वीआईपी के नेता मुकेश सहनी ने भी भाजपा की परेशानी बढ़ा दी है. मुकेश की नजर उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है. वह 150 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं. ईटीवी भारत से इस संबंध में बातचीत के दौरान मुकेश ने कहा था कि चुनाव में हमारी पार्टी एनडीए का हिस्सा होगी या नहीं इसपर अभी फैसला नहीं हुआ है. मुकेश के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारी से भाजपा की टेंशन बढ़ गई है. मुकेश सहनी ने ट्वीट कर एनडीए के नेताओं से अनावश्यक बयानबाजी छोड़ने और 19 लाख रोजगार के वादे पर काम करने की नसीहत दी है.

एक सप्ताह में बन सकता है कोऑर्डिनेशन कमेटी
"नेताओं की बयानबाजी से एनडीए में तनाव है. इसका फायदा विपक्ष उठा रहा है. ऐसे में हमलोगों ने एनडीए के अंदर कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग की है. हमें उम्मीद है कि एक सप्ताह के अंदर कोऑर्डिनेशन कमेटी बन जाएगी."- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम

"मांझी बिना किसी मतलब के विवाद खड़ा कर रहे हैं. जीतन राम मांझी के बगैर भी बिहार में एनडीए की सरकार थी. उन्हें अनावश्यक मुद्दों को उठाने से बचना चाहिए. कोऑर्डिनेशन कमेटी की जरूरत फिलहाल नहीं है."- नवल किशोर यादव, भाजपा नेता

"बिहार में इन दिनों दबाव की राजनीति चल रही है. नीतीश कुमार छोटे दलों को विश्वास में लेकर भाजपा पर दबाव बनाना चाहते हैं. लिहाजा मांझी आक्रमक हैं. जदयू नेताओं की चुप्पी भी इस बात की ओर इशारा करती है कि कहीं ना कहीं मांझी को बड़े नेताओं का साथ मिल रहा है. बोर्ड निगम आयोग में हिस्सेदारी को लेकर भी एनडीए में फिलहाल खींचतान दिख रहा है."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

यह भी पढे़ं- बोले मुकेश सहनी- 'NDA के साथीगण अनावश्यक बयानबाजी छोड़ 19 लाख रोजगार के वादा पर काम करें'

पटना: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) की सरकार है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार चल रही है. इस सरकार में छोटे दलों की भूमिका भी अहम है. खासतौर पर दलित नेता जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं. वह लगातार एनडीए (NDA) के शीर्ष नेताओं पर हमला बोल रहे हैं. उन्होंने कोऑर्डिनेशन कमेटी (Coordination Committee) की मांग कर गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी है.

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पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी कभी जदयू में थे. नीतीश कुमार ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी थी. नीतीश ने मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया. बाद में मांझी ने बगावत कर दी. काफी जद्दोजहद के बाद नीतीश कुमार को लालू यादव के समर्थन से सीएम की कुर्सी मिली. नीतीश कुमार लालू यादव के खेमे में गए तो मांझी एनडीए में रहे. जैसे ही नीतीश कुमार ने एनडीए से नजदीकियां बढ़ाई मांझी ने पाला बदला और महागठबंधन में चले गए.

देखें रिपोर्ट

कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग पर महागठबंधन से अलग हुए थे मांझी
राजद ने बड़े तामझाम के साथ जीतन राम मांझी को महागठबंधन में शामिल किया था. कुछ माह बाद ही जीतन राम मांझी कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग करने लगे. वह राजद द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराज हुए और महागठबंधन छोड़ दिया. मांझी फिर एनडीए के नाव पर सवार हो गए. इस बार मांझी की एंट्री नीतीश कुमार ने कराई. हम पार्टी का गठबंधन जदयू के साथ है.

बेबाक राय रखते हैं मांझी
जीतन राम मांझी हर मुद्दे पर बेबाक राय रखते हैं. पहले तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला बाद में नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए. मांझी ने कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग कर एनडीए के नेताओं को मुश्किल में डाल दिया है. दरअसल भाजपा और हम पार्टी के नेता कई मुद्दों पर आमने-सामने हो गए हैं. मामला दलित अल्पसंख्यक विवाद का हो या बांका बम विस्फोट, तमाम मुद्दों पर भाजपा और हम पार्टी के रास्ते अलग-अलग हैं.

मुकेश ने भी बढ़ाई मुश्किल
दूसरी ओर वीआईपी के नेता मुकेश सहनी ने भी भाजपा की परेशानी बढ़ा दी है. मुकेश की नजर उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है. वह 150 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं. ईटीवी भारत से इस संबंध में बातचीत के दौरान मुकेश ने कहा था कि चुनाव में हमारी पार्टी एनडीए का हिस्सा होगी या नहीं इसपर अभी फैसला नहीं हुआ है. मुकेश के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारी से भाजपा की टेंशन बढ़ गई है. मुकेश सहनी ने ट्वीट कर एनडीए के नेताओं से अनावश्यक बयानबाजी छोड़ने और 19 लाख रोजगार के वादे पर काम करने की नसीहत दी है.

एक सप्ताह में बन सकता है कोऑर्डिनेशन कमेटी
"नेताओं की बयानबाजी से एनडीए में तनाव है. इसका फायदा विपक्ष उठा रहा है. ऐसे में हमलोगों ने एनडीए के अंदर कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग की है. हमें उम्मीद है कि एक सप्ताह के अंदर कोऑर्डिनेशन कमेटी बन जाएगी."- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम

"मांझी बिना किसी मतलब के विवाद खड़ा कर रहे हैं. जीतन राम मांझी के बगैर भी बिहार में एनडीए की सरकार थी. उन्हें अनावश्यक मुद्दों को उठाने से बचना चाहिए. कोऑर्डिनेशन कमेटी की जरूरत फिलहाल नहीं है."- नवल किशोर यादव, भाजपा नेता

"बिहार में इन दिनों दबाव की राजनीति चल रही है. नीतीश कुमार छोटे दलों को विश्वास में लेकर भाजपा पर दबाव बनाना चाहते हैं. लिहाजा मांझी आक्रमक हैं. जदयू नेताओं की चुप्पी भी इस बात की ओर इशारा करती है कि कहीं ना कहीं मांझी को बड़े नेताओं का साथ मिल रहा है. बोर्ड निगम आयोग में हिस्सेदारी को लेकर भी एनडीए में फिलहाल खींचतान दिख रहा है."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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