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कभी 'दुश्मन'...कभी 'संकट मोचक'...कुछ ऐसा रहा ललन सिंह का नीतीश से 'दोस्ताना'

जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दोस्ती बहुत पुरानी है. 70 के दशक से दोनों एक दूसरे के शुभचिंतक रहे हैं. हालांकि 2009 में दोनों के रिश्ते में खटास आई और दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन बैठे. उस समय ललन ने कहा था, 'नीतीश कुमार के पेट के दांत मैं ही तोड़ूंगा'

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Published : Jul 31, 2021, 8:31 PM IST

पटना: शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मौजूदगी में दिल्ली के जंतर-मंतर रोड स्थित जेडीयू कार्यालय में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan alias Lalan Singh) को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. ललन सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है. दोनों की दोस्ती सालों पुरानी है, लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन बैठे थे.

ये भी पढ़ें- नीतीश ने यूं ही नहीं सौंपी सवर्ण समाज से आने वाले ललन सिंह को JDU की कमान, भरोसे की वजह समझिए

संघर्ष के दिनों में भी नीतीश कुमार के साथी रहे ललन सिंह बिहार की सत्ता में नीतीश कुमार की एंट्री के बाद से ही उनके प्रमुख रणनीतिकार रहे हैं. नीतीश कुमार और ललन सिंह की करीबी को लेकर कई तरह की बातें भी हुईं. नीतीश और लालू की तरह ललन सिंह ने जेपी आंदोलन से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. दोनों क्लासमेट भी रह चुके हैं. इसलिए शुरुआत से दोस्ती और मजबूत संबंधों के बूते ही जेडीयू में ललन सिंह नीतीश कुमार के बाद सबसे ताकतवर नेता बने रहे.

हालांकि, एक वक्त ऐसा भी आया था, जब ललन सिंह ने नीतीश कुमार से अपने रास्ते अलग कर लिए. 2009 में ललन सिंह पर पार्टी फंड के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा. ऐसे में उन्होंने पार्टी को अलविदा कर दिया. 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव प्रचार और फिर चुनावी मैदान से नीतीश पर सियासी तीर भी छोड़ते रहे.

ये भी पढ़ें- ललन सिंह के अध्यक्ष बनते ही JDU दफ्तर में मनाई गई होली, कार्यकर्ताओं ने कुछ ऐसे मनाया जश्न

नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए लालू यादव कई मौकों पर कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार के पेट में दांत है. जब ललन सिंह और नीतीश कुमार में सियासी दुश्मनी थी, उन दिनों ललन ने कहा था, 'मैं ही नीतीश कुमार के पेट के दांत को तोड़ूंगा'. हालांकि बाद में फिर से दोनों दुश्मन से दोस्त हो गए. इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें विधान पार्षद बनवाया और वो बिहार सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री भी बने.

ललन सिंह का सियासी सफर जारी रहा. जेडीयू में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. कई बार सांसद भी बने, अभी भी मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. नीतीश कुमार की सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. अब आखिरकार नीतीश ने अपने 'संकट मोचक' को अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठा दिया है.

ये भी पढ़ें- अपने राजनीतिक फैसलों से नीतीश कुमार ने जितना चौंकाया, उतना ही JDU को उलझाया भी

आपको बताएं कि आरसीपी सिंह के मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन जान के बाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सर्वसम्मति से ललन सिंह का चुनाव हुआ है. यहां पार्टी कार्यालय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शनिवार की सायं साढ़े 4 बजे से जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू हुई.

आरसीपी सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए अगले अध्यक्ष के तौर पर सांसद ललन सिंह का नाम प्रस्तावित किया. जिसका सभी सदस्यों ने समर्थन किया. जनता दल युनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के सभी सांसद और सभी प्रदेशों के अध्यक्ष ने हिस्सा लिया.

आरसीपी सिंह को हाल ही में मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार के दौरान मंत्री बनाया गया था, जिसके बाद से ही अध्यक्ष पद पर नए व्यक्ति की ताजपोशी तय मानी जा रही थी. क्योंकि केंद्र सरकार में मंत्री बन जाने के बाद संगठन के लिए समय निकालना आरसीपी सिंह के मुश्किल साबित हो रहा था. बता दें कि पिछले साल दिसंबर में पहले आरसीपी सिंह जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बने थे और बाद में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंपी थी.

पटना: शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मौजूदगी में दिल्ली के जंतर-मंतर रोड स्थित जेडीयू कार्यालय में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan alias Lalan Singh) को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. ललन सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है. दोनों की दोस्ती सालों पुरानी है, लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन बैठे थे.

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संघर्ष के दिनों में भी नीतीश कुमार के साथी रहे ललन सिंह बिहार की सत्ता में नीतीश कुमार की एंट्री के बाद से ही उनके प्रमुख रणनीतिकार रहे हैं. नीतीश कुमार और ललन सिंह की करीबी को लेकर कई तरह की बातें भी हुईं. नीतीश और लालू की तरह ललन सिंह ने जेपी आंदोलन से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. दोनों क्लासमेट भी रह चुके हैं. इसलिए शुरुआत से दोस्ती और मजबूत संबंधों के बूते ही जेडीयू में ललन सिंह नीतीश कुमार के बाद सबसे ताकतवर नेता बने रहे.

हालांकि, एक वक्त ऐसा भी आया था, जब ललन सिंह ने नीतीश कुमार से अपने रास्ते अलग कर लिए. 2009 में ललन सिंह पर पार्टी फंड के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा. ऐसे में उन्होंने पार्टी को अलविदा कर दिया. 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव प्रचार और फिर चुनावी मैदान से नीतीश पर सियासी तीर भी छोड़ते रहे.

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नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए लालू यादव कई मौकों पर कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार के पेट में दांत है. जब ललन सिंह और नीतीश कुमार में सियासी दुश्मनी थी, उन दिनों ललन ने कहा था, 'मैं ही नीतीश कुमार के पेट के दांत को तोड़ूंगा'. हालांकि बाद में फिर से दोनों दुश्मन से दोस्त हो गए. इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें विधान पार्षद बनवाया और वो बिहार सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री भी बने.

ललन सिंह का सियासी सफर जारी रहा. जेडीयू में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. कई बार सांसद भी बने, अभी भी मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. नीतीश कुमार की सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. अब आखिरकार नीतीश ने अपने 'संकट मोचक' को अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठा दिया है.

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आपको बताएं कि आरसीपी सिंह के मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन जान के बाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सर्वसम्मति से ललन सिंह का चुनाव हुआ है. यहां पार्टी कार्यालय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शनिवार की सायं साढ़े 4 बजे से जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू हुई.

आरसीपी सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए अगले अध्यक्ष के तौर पर सांसद ललन सिंह का नाम प्रस्तावित किया. जिसका सभी सदस्यों ने समर्थन किया. जनता दल युनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के सभी सांसद और सभी प्रदेशों के अध्यक्ष ने हिस्सा लिया.

आरसीपी सिंह को हाल ही में मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार के दौरान मंत्री बनाया गया था, जिसके बाद से ही अध्यक्ष पद पर नए व्यक्ति की ताजपोशी तय मानी जा रही थी. क्योंकि केंद्र सरकार में मंत्री बन जाने के बाद संगठन के लिए समय निकालना आरसीपी सिंह के मुश्किल साबित हो रहा था. बता दें कि पिछले साल दिसंबर में पहले आरसीपी सिंह जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बने थे और बाद में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंपी थी.

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