पटना : आरजेडी के बाहुबली आनंद मोहन (Former MP Anand Mohan ) के पटना सुनवाई के लिये आने के दौरान घर पर जाने और मीटिंग करते हुए तस्वीर वायरल होने के बाद महागठबंधन सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं. इस मुद्दे पर बीजेपी हमलावर है. एक तरह जहां केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) ने इसे JDU-RJD की सरकार बनते ही जंगलराज की ताकत करार दिया वहीं. जेडीयू (JDU spokesperson Neeraj Kuma) ने बयान पर पलटवार करते हुए इसे राजनीतिक वियोग में विपक्ष का अनर्गल प्रलाप बताया.
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'राजनीतिक वियोग में विपक्ष के लोग अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं. जब से मीडिया के द्वारा जैसे ही जानकारी मिली, विपक्ष के सलाह की जरूरत नहीं है, पुलिस मुख्यालय ने मामले को खुद संज्ञान में लिया. रिपोर्ट तलब किया और कार्रवाई भी सुनिश्चित किया. कोई भी तय शुदा मानक का उल्लंघन करेगा वो जेल जाएगा'- नीरज कुमार, प्रवक्ता, जेडीयू
जेडीयू का बीजेपी पर निशाना: जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मुद्दे पर जैसे ही मीडिया के जरिए जानकारी मिली पुलिस अफसरों ने रिपोर्ट तलब कर कार्रवाई शुरू कर दी. विपक्ष इस मुद्दे पर अनर्गल प्रलाप कर रहा है महागठबंधन की सरकार को विपक्ष के सलाह की जरूरत नहीं है. नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर निकलने और महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के अभी 1 सप्ताह भी नहीं हुए और इतनी बड़ी घटना हो गई है. सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है इस घटना को लेकर नीतीश कुमार भी काफी नाराज हैं. फिलहाल बीजेपी को महागठबंधन सरकार के कुछ ही दिनों में यह बड़ा मुद्दा मिल गया है.
जेल से अपने निजी आवास पर पहुंच गए थे आनंद मोहन: गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन पर सहरसा पुलिस की ओर से फिर एक मामला दर्ज (FIR Against Anand Mohan In Saharsa) किया गया. मामला 12 अगस्त को पटना में एक केस के मामले में पेशी के बाद बेखौफ होकर पटना की सड़कों पर घूमने और पाटलिपुत्र स्थित अपने आवास में पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद और बेटे विधायक चेतन आनंद के साथ मीटिंग करने से जुड़ा है. फोटो वायरल होने के बाद सहरसा एसपी लिपि सिंह (Saharsa SP Lipi Singh) की ओर से मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) से करायी गई. प्रारंभिक जांच में मामला सही पाया गया है. बता दें कि मामले में पुलिस मुख्यालय के अपर महानिदेशक जेएस गंगवार ने एसपी लिपि सिंह से मामले में रिपोर्ट तलब किया है.
"सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था. उस पर पुलिस मुख्यालय की ओर से जांच रिपोर्ट मांगी गई थी. सहरसा के पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) की ओर से मामले की जांच करायी गई. मामला सही पाया गया है. इसमें शामिल 6 लोगों को सस्पेंड कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है. मामले में जेल प्रशासन की भूमिका की जांच होगी. जो लोग भी रिस्पॉन्सिबल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और की जा रही है"- लिपि सिंह, पुलिस अधीक्षक, सहरसा
जेल प्रशासन पर भी कार्रवाई की तैयारीः वहीं इस मामले में जेल आईजी ने जेल अधीक्षक से भी शोकॉज नोटिस मांगा गया है. एसपी लिपि सिंह ने सहरसा जेल प्रशासन की भूमिका पर भी संदेह जाहिर करते हुए जांच करने की बात कही है. वहीं मामले को सहरसा डीएम ने भी गंभीरता से लिया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए जेल आईजी ने सहरसा के जेल अधीक्षक से शोकॉज नोटिस जारी किया है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में जेल प्रशासन पर भी कार्रवाई तय है.
क्या है डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड? मुजफ्फरपुर जिले में 5 दिसंबर 1994 को जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी. इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. बताया जाता है कि तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज वापस जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया. मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई. इस घटना उन दिनों काफी सुर्खियों में रहा था. हादसे के समय जी. कृष्णैया की आयु 35 साल के करीब था.