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'अपने कार्यों की बदौलत लड़ूंगा पटना मेयर पद का चुनाव, छोटी सोच को बदलने की है जरूरत' - जदयू के व्यवसायिक व उद्योग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमल नोपानी

इस बार जनता अपने प्रतिनिधि मेयर (Patna mayor) को चुनेगी ये बहुत ही सुखद बात है. कई सामाजिक और व्यवसायिक संगठनों का मुझपर चुनाव लड़ने का दबाव है. मैंने निर्णय किया कि अगर सामान्य सीट हो जाती है तो निश्चित रूप से एक सामाजिक सोच के साथ मैं पटना मेयर का चुनाव लड़ूंगा. ये बातें जदयू के व्यवसायिक व उद्योग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमल नोपानी ने कही है.

Patna mayor election
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Published : Apr 26, 2022, 8:30 PM IST

पटना: सरकार के नए आदेश के तहत प्रदेश में इस बार नगर पालिका चुनाव (Nagar Palika Chunav) में नगर परिषद और नगर निगम (Patna Municipal council ) के मेयर और डिप्टी मेयर, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद जनता के मतों से सीधे चुने जाएंगे. कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले 1 माह के अंदर नगर पालिका चुनाव को लेकर सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है. इसी बीच राजधानी पटना में व्यवसायिक जगत की ओर से मेयर पद के लिए एक बड़ा नाम कमल नोपानी (Kamal Nopany On Patna Mayor Election) का उछाला जा रहा है.

पढ़ें- पटना की स्वच्छता रैंकिंग देशभर में 44वें स्थान पर अटकी, गंगा टाउन श्रेणी में तीसरा स्थान

पटना मेयर का चुनाव बना दिलचस्प: कमल नोपानी अभी के समय में जदयू के व्यवसायिक और औद्योगिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं. जदयू के बड़े नेताओं में इनका नाम शुमार होता है. अभी के समय पटना नगर निगम में भाजपा समर्थित उम्मीदवार सीता साहू मेयर (Mayor Sita Sahu) हैं. माना जा रहा है कि इस बार भी मेयर पद के लिए वह प्रत्याशी बनेंगी. ऐसे में इस बार पटना नगर निगम का चुनाव काफी रोचक होने के आसार बन रहे हैं. क्योंकि मेयर पद के लिए भाजपा और जदयू चुनाव के नोटिफिकेशन जारी होने से पहले ही आमने सामने आ गए हैं. ऐसे में जदयू के व्यवसायिक और उद्योग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमल नोपानी ने ईटीवी से खास बातचीत में मेयर पद पर अपनी दावेदारी के दावों की मुहर लगाई.

"इस बार सरकार ने नया नियम बनाए हैं. नियम के मुताबिक सीधे जनता के मतों से ही मेयर और डिप्टी मेयर चुने जाएंगे. यह सरकार की एक अच्छी पहल है क्योंकि अब तक मेयर और डिप्टी मेयर के लिए काफी मैनेजमेंट होता था जिसमें खरीद-फरोख्त के भी आरोप लगते रहते थे. इस बार जनता के सीधे मतों से मेयर चुना जाना है. संभव है कि पटना नगर निगम का सीट आरक्षित नहीं होगा. सभी को अपनी छोटी सोच को बदलना होगा तभी समावेशी विकास संभव है. "- कमल नोपानी, अध्यक्ष, व्यवसायिक व औद्योगिक प्रकोष्ठ, जदयू

मेयर का चुनाव लड़ेंगे कमल नोपानी!: कमल नोपानी ने बताया कि व्यवसायी वर्ग की ओर से मेयर का चुनाव लड़ने के लिए काफी दबाव आ रहा है. व्यवसायियों का आग्रह है कि वह चुनाव लड़े क्योंकि पूर्व में जो कुछ भी उन्होंने सामाजिक कार्य किए हैं और लगातार अभी तक करते आ रहे हैं. इसको देखते हुए कई व्यवसायिक संगठन और कई सामाजिक संगठन भी उनसे चुनाव लड़ने की डिमांड कर रहे हैं. ऐसे में व्यवसायियों और नगर वासियों की डिमांड पर वह इस बार मेयर पद के लिए चुनाव लड़ने जा रहे हैं. जात धर्म से ऊपर उठकर शहर का समावेशी विकास करने के उद्देश्य से वह चुनाव में अपनी उम्मीदवारी पेश करेंगे. अभी के समय शहर में लोगों के मूलभूत सुविधाएं और जरूरतों को जानने और उन्हें पूरा करने की जरूरत है जिसके लिए वह काम करेंगे.

'मेयर बनने पर इन बातों पर रहेगा खास ध्यान': कमल नोपानी ने कहा कि कई स्लम बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. वहां शौचालय नहीं है और वहां शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है. इसके पीछे सबसे बड़ा यह कारण है कि कहीं से भी जब झुग्गी को अतिक्रमण हटाने के नाम पर हटाया जाता है तो झुग्गी वालों के रहने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती. स्लम बस्ती वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें मुख्यधारा में भी लाने की आवश्यकता है ताकि बेरोजगारी की समस्या दूर हो सके. शहर में स्ट्रीट फूड वेंडर्स की भी बहुत कठिनाइयां हैं. वेंडिंग जोन नहीं होने की वजह से सड़क पर अतिक्रमण होता है. वेंडर्स को भी परेशानी होती है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार प्रत्येक अनुमंडल में एक वेंडिंग जोन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब हम अपनी दावेदारी पेश करेंगे तो वेंडिंग जोन के मुद्दे को प्रमुखता से रखेंगे और निकट भविष्य में इस पर काम भी करेंगे.

पढ़ें - पटना नगर निगम के सफाई कर्मियों का वेतन बढ़ेगा, महापौर सीता साहू की घोषणा

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पटना: सरकार के नए आदेश के तहत प्रदेश में इस बार नगर पालिका चुनाव (Nagar Palika Chunav) में नगर परिषद और नगर निगम (Patna Municipal council ) के मेयर और डिप्टी मेयर, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद जनता के मतों से सीधे चुने जाएंगे. कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले 1 माह के अंदर नगर पालिका चुनाव को लेकर सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है. इसी बीच राजधानी पटना में व्यवसायिक जगत की ओर से मेयर पद के लिए एक बड़ा नाम कमल नोपानी (Kamal Nopany On Patna Mayor Election) का उछाला जा रहा है.

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पटना मेयर का चुनाव बना दिलचस्प: कमल नोपानी अभी के समय में जदयू के व्यवसायिक और औद्योगिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं. जदयू के बड़े नेताओं में इनका नाम शुमार होता है. अभी के समय पटना नगर निगम में भाजपा समर्थित उम्मीदवार सीता साहू मेयर (Mayor Sita Sahu) हैं. माना जा रहा है कि इस बार भी मेयर पद के लिए वह प्रत्याशी बनेंगी. ऐसे में इस बार पटना नगर निगम का चुनाव काफी रोचक होने के आसार बन रहे हैं. क्योंकि मेयर पद के लिए भाजपा और जदयू चुनाव के नोटिफिकेशन जारी होने से पहले ही आमने सामने आ गए हैं. ऐसे में जदयू के व्यवसायिक और उद्योग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमल नोपानी ने ईटीवी से खास बातचीत में मेयर पद पर अपनी दावेदारी के दावों की मुहर लगाई.

"इस बार सरकार ने नया नियम बनाए हैं. नियम के मुताबिक सीधे जनता के मतों से ही मेयर और डिप्टी मेयर चुने जाएंगे. यह सरकार की एक अच्छी पहल है क्योंकि अब तक मेयर और डिप्टी मेयर के लिए काफी मैनेजमेंट होता था जिसमें खरीद-फरोख्त के भी आरोप लगते रहते थे. इस बार जनता के सीधे मतों से मेयर चुना जाना है. संभव है कि पटना नगर निगम का सीट आरक्षित नहीं होगा. सभी को अपनी छोटी सोच को बदलना होगा तभी समावेशी विकास संभव है. "- कमल नोपानी, अध्यक्ष, व्यवसायिक व औद्योगिक प्रकोष्ठ, जदयू

मेयर का चुनाव लड़ेंगे कमल नोपानी!: कमल नोपानी ने बताया कि व्यवसायी वर्ग की ओर से मेयर का चुनाव लड़ने के लिए काफी दबाव आ रहा है. व्यवसायियों का आग्रह है कि वह चुनाव लड़े क्योंकि पूर्व में जो कुछ भी उन्होंने सामाजिक कार्य किए हैं और लगातार अभी तक करते आ रहे हैं. इसको देखते हुए कई व्यवसायिक संगठन और कई सामाजिक संगठन भी उनसे चुनाव लड़ने की डिमांड कर रहे हैं. ऐसे में व्यवसायियों और नगर वासियों की डिमांड पर वह इस बार मेयर पद के लिए चुनाव लड़ने जा रहे हैं. जात धर्म से ऊपर उठकर शहर का समावेशी विकास करने के उद्देश्य से वह चुनाव में अपनी उम्मीदवारी पेश करेंगे. अभी के समय शहर में लोगों के मूलभूत सुविधाएं और जरूरतों को जानने और उन्हें पूरा करने की जरूरत है जिसके लिए वह काम करेंगे.

'मेयर बनने पर इन बातों पर रहेगा खास ध्यान': कमल नोपानी ने कहा कि कई स्लम बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. वहां शौचालय नहीं है और वहां शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है. इसके पीछे सबसे बड़ा यह कारण है कि कहीं से भी जब झुग्गी को अतिक्रमण हटाने के नाम पर हटाया जाता है तो झुग्गी वालों के रहने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती. स्लम बस्ती वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें मुख्यधारा में भी लाने की आवश्यकता है ताकि बेरोजगारी की समस्या दूर हो सके. शहर में स्ट्रीट फूड वेंडर्स की भी बहुत कठिनाइयां हैं. वेंडिंग जोन नहीं होने की वजह से सड़क पर अतिक्रमण होता है. वेंडर्स को भी परेशानी होती है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार प्रत्येक अनुमंडल में एक वेंडिंग जोन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब हम अपनी दावेदारी पेश करेंगे तो वेंडिंग जोन के मुद्दे को प्रमुखता से रखेंगे और निकट भविष्य में इस पर काम भी करेंगे.

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